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मूंग-मसूर तेजी मंदी रिपोर्ट -02 जुलाई 2025

MOUNG MASSOR
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किसान साथियों और व्यापारी भाइयों मूंग और मसूर, दोनों ही दालों के बाजार में एक तरह की स्थिरता बनी हुई है। मौजूदा समय में दाल मिलें और स्टॉकिस्ट जरूरत के अनुसार ही माल उठा रहे हैं, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना हुआ है। मूंग की बात करें तो प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की मंडियों से इसकी आवक फिलहाल स्थिर बनी हुई है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में मूंग की नई फसल की आवक भी शुरू होने की उम्मीद है, जिससे आगे बाजार में सप्लाई और बढ़ सकती है। जयपुर, इंदौर, दिल्ली, अकोला, जहांसी जैसे प्रमुख बाजारों में मूंग के दाम ₹6,700 से ₹7,300 प्रति क्विंटल के बीच स्थिर बताए गए हैं।

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दिल्ली में मूंग के भाव ₹7,100 से ₹7,150, अकोला में ₹7,200, जबकि इंदौर में ₹7,000 से ₹7,200 तक रहे। इसके अतिरिक्त, जयपुर में मूंग के बिल्टी भाव ₹6,750 से ₹7,050 के बीच बोले गए और जहांसी में ₹6,700 से ₹7,300 तक मूवमेंट देखा गया। किसानों और व्यापारियों को सलाह दी जा रही है कि चूंकि वर्तमान में भाव अच्छे हैं और बाजार में स्थिरता का माहौल है, ऐसे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मुनाफा वसूली करते रहना समझदारी होगी। विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय पूल से मूंग की नियमित बिक्री और सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर मूंग की खरीद भी जारी है, जिससे भावों को ऊपर की ओर खिंचने से रोका जा रहा है। दूसरी ओर, मसूर के बाजार में भी हालात लगभग वैसे ही हैं। देसी मसूर के भाव दिल्ली में स्थिर बने हुए हैं, वहीं आयातित मसूर के दाम भी प्रमुख बंदरगाहों जैसे मुंद्रा, हल्दिया और कोलकाता में ₹5,950 से ₹6,025 प्रति क्विंटल के बीच टिके हुए हैं।

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कनाडा से आयातित मसूर के कंटेनर ₹6,150 प्रति क्विंटल तक बोले गए, जबकि पटना मंडी में देसी मसूर के बिल्टी भाव ₹6,550 तक रहे। जानकारों का कहना है कि फिलहाल दाल मिलें सिर्फ जरूरत के मुताबिक ही मसूर खरीद रही हैं, क्योंकि एक तरफ आवक थोड़ी कमजोर हुई है लेकिन दूसरी तरफ स्टॉकिस्टों के पास पर्याप्त स्टॉक भी मौजूद है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े उत्पादक राज्यों में मसूर की नई आवक धीमी है, लेकिन इसका उत्पादन घटने का कोई बड़ा संकट नहीं है। कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार रबी सीजन में मसूर का कुल उत्पादन 17 लाख टन के आसपास होने का अनुमान है, जो देश की जरूरतों के लिहाज से संतुलित कहा जा सकता है। इसके अलावा, अनुमान जताया जा रहा है कि आने वाले महीनों में मसूर के आयात में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे भावों पर दबाव बना रहेगा। इस पूरी स्थिति को देखते हुए दाल कारोबार से जुड़े लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे भावों में किसी बड़ी तेजी की उम्मीद ना रखें और अभी के स्तर पर मुनाफा वसूली को प्राथमिकता दें। व्यापार अपने विवेक से करें।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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