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क्या अभी देसी चने कि फसल को बेचना सही रहेगा | या आगे जाकर भाव ओर बढ़ेगा देखे पूरी जकरी इस रिपोर्ट मे

क्या अभी देसी चने कि फसल को बेचना सही रहेगा | या आगे जाकर भाव ओर बढ़ेगा देखे पूरी जकरी इस रिपोर्ट मे

किसान साथियों पिछली दिवाली से इस दिवाली के बीच देसी चने के व्यापार में नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन कारोबारियों को मजूरी का काम मिलता रहा। सरकार द्वारा जिस तरह पिछली दिवाली से पूर्व मंदे भाव में देसी चने की बिकवाली की गई, उस हिसाब से इस बार नहीं किया गया, क्योंकि केंद्रीय पूल में ही पुराना स्टॉक काफी निपट चुका था तथा जो माल पड़ा था, वह हल्की क्वालिटी के होने के चलते प्राइवेट दाल मिलों में नहीं चल रहा था। इस बार देसी चने का उत्पादन 75 लाख मीट्रिक टन के करीब हुआ है, जो सामान्य खपत की तुलना में 37 प्रतिशत कम रहा । यही कारण है कि सरकार द्वारा बिकवाली किए जाने के बावजूद भी जो पिछली दिवाली पर राजस्थानी चना 4900 लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में बिका था, उसके भाव इस दिवाली पर 6400 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह इसकी दाल भी एवरेज क्वालिटी की जो पिछली दिवाली पर 5450 रुपए बिकी थी, उसके भाव 7200 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें

क्या आगे ओर बढ़ सकती है किमते
साथियों इस तरह हम देख रहे हैं कि चने के भाव ऊंचे रहे है, लेकिन कारोबारी उत्पादन कम को देखकर पहले ही स्टॉक ज्यादा कर चुके थे, जिससे उस हिसाब से उन्हें लाभ भी नहीं मिल पाया, क्योंकि ग्राहकी का समर्थन नहीं मिला तथा सरकार विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जून महीने से ही खुले बाजार में बेचती रही। आगे की स्थिति यह है कि फिलहाल भाव पर देसी चने में कोई नुकसान होने वाला नहीं है तथा दूरगामी परिणाम लाभदायक रहेगा उत्पादक व वितरक किसी भी मंडी में देसी चने का स्टॉक खपत के अनुरूप नहीं है । आगे नयी फसल आने में अभी 5 महीने का समय बाकी है तथा बरसात कम होने से कर्नाटक आंध्र प्रदेश में बिजाई कम हुई है। राजस्थान में भी पानी की जरूरत है । अत: अगला उत्पादन भी बहुत ज्यादा होने वाला नहीं है। सरकार द्वारा ढाई महीने पहले देसी चने की स्टॉक सीमा 200 से घटाकर 50 मेट्रिक टन कर दिए जाने से एक बार देसी चने की महंगाई रुक जरूर गई है, लेकिन पाइप लाइन में माल नहीं होने से अब चारों तरफ किल्लत बनने लगी है। ऊपर के भाव से 250 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है। यह भी पढ़े :- क्या धान के भाव घटाने की हो रही है साजिश, जानें पूरी खबर

क्या दिवाली के बाद बढ़ सकती है किमते
लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में राजस्थानी चना 6400 रह गए हैं, लेकिन राजस्थान एमपी महाराष्ट्र की मंडियों से आवक देसी चने की आपूर्ति एक पखवाड़े में 21-22 प्रतिशत औसतन प्रति मंडी कम हो रही है। दूसरी ओर वर्तमान भाव से सरकारी माल अब महंगे पड़ने लगे हैं, क्योंकि उस चने में दाल व बेसन का कश कम बैठ रहा है। इस वजह से एक बार फिर राजस्थानी प्राइवेट सेक्टर के स्टॉक किए हुए देसी चने की पूछ परख निकलने लगी है। जानकारों का कहना है कि कारोबारियों में घबराहट का माहौल बना हुआ है, लेकिन आगे दिवाली के साथ-साथ देव उठनी एकादशी के बाद शादियों की मांग बढ़ जाएगी। दूसरी ओर उड़द, तुवर, मूंग, राजमां, काबली चना की तुलना में देसी चना आम उपभोक्ताओं को सस्ता पड़ रहा है, इस वजह से खपत, अन्य दालों की तुलना में अधिक रहने की स्थिति में बाजार यहां से फिर से तेज होने का आभास हो रहा है। गौरतलब है कि इसका उत्पादन चालू सीजन में मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक सहित सभी उत्पादक राज्यों में 30-31 प्रतिशत कम रह जाने का अनुमान रहा है, क्योंकि गत 3 वर्षों से देसी चने में मंदा चलने से किसानों का रुझान इसकी बजाय मटर व मसूर की बिजाई में ज्यादा था। जिससे इसका बिजाई रकबा घट गया है ।

इस बार उत्पादकता भी कम हुई है क्या
दूसरी ओर प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी कम रहा है। महाराष्ट्र में बिजाई कम होने के साथ-साथ 6 प्रतिशत उत्पादकता कम रही है, उधर ग्वालियर-इंदौर लाइन में सामान्य हुई है, लेकिन वहां बिजाई कम होने से आवक समाप्ति की ओर है, राजस्थान में बिजाई कम होने से सकल उत्पादन में भारी कमी हुई है, उसमें दाने छोटा रह गए थे, क्योंकि फसल तैयार होने पर मौसम प्रतिकूल रहा है । वहां पर सरसों एवं मसूर की बिजाई ज्यादा किसानों ने किया है, जिस कारण सकल उत्पादन देसी चने का 110 लाख मैट्रिक टन से घटकर 75 लाख मीट्रिक टन रह गया है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए प्रति क्विंटल रखा गया है तथा अप्रैल-मई के महीने में सरकार किसानों से देसी चना 16 लाख मीट्रिक टन के करीब किया था, ऐसा अनुमान है । इस वजह से उत्पादक मंडियों में भी किसानी चने की आवक घट गई है। सरकार द्वारा देसी चने की बिक्री की जा रही है, लेकिन पड़ते के अभाव में ज्यादा मंदा बेचने की इच्छुक नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 5350 रुपए में खरीद किया गया है, जो सरकार के घर में ब्याज भाड़ा लगाकर 6000 रुपए का पड़ा है, इन परिस्थितियों में राजस्थानी चना वर्तमान भाव से एक बार फिर व्यापार लाभदायक लग रहा है।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।