सरसों और सोयाबीन के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी | आयात ड्यूटी बढ़ने के बाद अब कितने तेज होंगे बाजार | जाने रिपोर्ट में
किसान साथियो ऐसा लगता है कि तेल तिलहन के किसानो व्यापारियों और मिलर्स के अच्छे दिन आ गए हैं। एक तरफ जहां सरसों और सोयाबीन के भावों में निरंतर तेजी आ रही है वहीं अब सरकार की तरफ से एक बड़ी खुशखबरी आ रही है। भारत ने कच्चे और रिफाइनड खाद्य तेलों (crude and refined edible oils) पर मूल आयात ड्यूटी में 20 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार ने कच्चे, रिफाइंड सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर सीमा शुल्क (Custom duty on edible oils) बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, कच्चे और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क को बढ़ाकर क्रमश: 20 फीसदी और 32.5 फीसदी कर दिया गया। सरकार के इस कदम को स्थानीय तिलहन किसानों को समर्थन देने की कोशिश के तौर पर माना जा सकता है।
बढोतरी के बाद कितना हो जाएगा आयात शुल्क
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर मूल सीमा शुल्क शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि रिफाइंड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इन कच्चे तेलों और रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क क्रमश: 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 27.5 प्रतिशत और 13.75 प्रतिशत से बढ़कर 35.75 प्रतिशत हो जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि शुल्क में बदलाव शनिवार से प्रभावी हो जाएंगे।
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भाव पर इसका क्या होगा असर
दोस्तो मंडी भाव टुडे पर हम अक्सर बताते हैं कि भारत अपनी खाद्य तेलों की कुल खपत का 65% से अधिक हिस्सा विदेशों से आयात के माध्यम से पूरी करता है। खाद्य तेलों में मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदा जाता है। जबकि अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन आदि देशों से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात होता है। ड्यूटी बढ़ाने के सरकार फैसले का कई रूपों में असर पड़ सकता है
सबसे पहला असर यह होगा कि अब भारत में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ सकती हैं और मांग घट सकती है। दूसरी ओर, पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद कम हो सकती है। चूंकि आयात शुल्क में वृद्धि आज से प्रभावी है इसलिए 14 सितंबर से कच्चे पाम ऑयल, कच्चे सोया ऑयल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 20% मूल सीमा शुल्क लगेगा। अब इन तीनों खाद्य तेलों पर टोटल आयात शुल्क 5.5% से बढ़कर 27.5% हो जाएगा, क्योंकि भारत इन तेलों पर अन्य तरह का उपकर भी लगाता है। अब रिफाइंड पाम ऑयल, रिफाइंड सोया ऑयल और रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल के आयात पर अब कुल शुल्क 35.75% लगेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले यह शुल्क मात्र 13.75% था।
सरसों और सोयाबीन के किसानों को कितना फायदा
किसान साथियों चूंकि विदेशी से आने वाला तेल अब महंगा हो जाएगा इसलिए घरेलू बाजार में अब सरसों तेल और सोयाबीन तेल की घरेलू डिमांड घरेलू उत्पादन की तरफ जाएगी। इस डिमांड को पूरी करने के लिए घरेलू बाजार में तेल मिल्स अब अब सरसों और सोयाबीन की खरीद को बढ़ाएंगे। जिससे सरसों और सोयाबीन की मंडियों में डिमांड बढ़ जाएगी। जिससे भाव में उछाल आने की प्रबल संभावना है। मंडी भाव टुडे का मानना है कि 20% के आयात शुल्क में वृद्धि के कारण सरसों और सोयाबीन के भावों में भी 20% तक वृद्धि होनी चाहिए। गौर तलब है कि आयात शुल्क के बढ़ाने की चर्चा कई दिनों से चल रही थी इसलिए बाजार पहले से ही लगभग 10% तक तेज हो चुके हैं। ऐसे में 10% तक की वृद्धि और होने की संभावना बन गई है। सरसों के लिहाज से देखा जाए तो अब सरसों के भाव हाजिर मंडियों में 6500 और कंडीशन सरसों की मिल पहुंच में 7500 तक आराम से चले जाएंगे। देखने वाली बात यह भी होगी कि सरकार नाफेड के माध्यम से सरसों की बिक्री में तेजी लाती है या नहीं। अगर घरेलू बाजार में नाफेड अपनी बिक्री को जबरदस्त तरीके से बढ़ाता है तो बाजार में यह तेजी सीमित भी रह सकती है। फिर भी कुल मिलाकर आयात शुल्क बढ़ाने की खबर से बाजार 200 से 500 तक तेज हो सकता है। बात सोयाबीन की करें तो यहाँ पर अभी तक कुछ खास तेजी नहीं बनी है इसलिए सोयाबीन के भाव में 15% का उछाल आ सकता है। बाजार की तेजी मंदी का ट्रेंड आज के बाजार से स्पष्ट हो जाएगा।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।