अगर आप भी देसी बाजरे की खेती करना चाहते हैं तो, बाजरे की इस किस्म की बुआई एक बार जरूर करें
किसान साथियों, बाजरा एक ऐसी फसल है जो भारतीय किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। यह न सिर्फ कम पानी में उगाई जा सकती है, बल्कि इसमें पोषक तत्वों की भरमार होती है। अगर आप एक ऐसी बाजरे की किस्म की तलाश में हैं जो जल्दी तैयार हो, स्वाद में लाजवाब हो और कम बारिश वाले इलाकों के लिए परफेक्ट हो, और बाजरे की देसी किस्म हो तो नंदी 67 (HHB 67) आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकती है। यह बाजरे की देसी किस्म है, जिसका स्वाद हाइब्रिड वैरायटीज़ से कहीं बेहतर माना जाता है। अगर आपके खेत में पानी की कमी है या आप बारिश पर निर्भर खेती करते हैं, तो यह किस्म आपकी पैदावार को बिना किसी ज्यादा मेहनत के बढ़ा सकती है। चलिए, आज की इस रिपोर्ट में हम बाजरे की इस किस्म की विशेषताओं को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे, ताकि किसान साथियों को सही प्रकार से समझ में आ सके कि बाजरे की यह वैरायटी उनके लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती है
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नंदी 67 (HHB 67)
साथियों, अगर आपको ऐसी फसल चाहिए जो कम समय में तैयार हो जाए, तो नंदी 67 से बेहतर कोई विकल्प नहीं। यह किस्म मात्र 60 से 65 दिन में हार्वेस्ट के लिए तैयार हो जाती है। इसकी यह खासियत उन किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है जो कम समय में दूसरी फसल लेना चाहते हैं या फिर अनिश्चित मौसम की स्थिति में भी अच्छी पैदावार चाहते हैं। आपको बता दें कि इतनी जल्दी पकने वाली होने के बावजूद इसकी गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता। बाजरे की दूसरी किस्मों की तुलना में यह जल्दी कटाई देती है, जिससे किसानों को समय और लेबर की बचत होती है
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बीज दर
नंदी 67 की एक और खास बात यह है कि इसे उगाने के लिए कम बीज की जरूरत पड़ती है। सिर्फ 1.5 से 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में इसकी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। यह किसानों के लिए कॉस्ट-इफेक्टिव है क्योंकि बीज की मात्रा कम होने से खर्चा भी कम आता है। इसके अलावा, इस किस्म के बीजों का अंकुरण दर (germination rate) अच्छा होता है, जिससे फसल का स्टैंड (plant population) अच्छा बना रहता है। अगर बीज की गुणवत्ता अच्छी हो और बुआई का तरीका सही हो, तो पैदावार और भी बेहतर हो सकती है।
पैदावार
नंदी 67 से प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है। हालांकि, यह पानी की उपलब्धता और मिट्टी की क्वालिटी पर निर्भर करता है। अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो पैदावार और बढ़ाई जा सकती है। लेकिन यह किस्म बारिश आधारित खेती (rainfed farming) के लिए भी बिल्कुल सही है। इसकी खास बात यह है कि यह ड्रॉट-टॉलरेंट (सूखा सहनशील) है, यानी अगर बारिश कम भी हो, तो भी यह अच्छी उपज दे सकती है। इसलिए, यह उन इलाकों के लिए आदर्श है जहां अनियमित वर्षा होती है।
बरानी इलाकों के लिए
साथियों, भारत के कई हिस्सों में सिंचाई की सुविधा नहीं होती, ऐसे में किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहते हैं। नंदी 67 ऐसे ही किसानों के लिए एक वरदान है। यह किस्म कम नमी में भी अच्छी ग्रोथ दिखाती है और सूखे की स्थिति को भी झेल लेती है। अगर आपके इलाके में अनिश्चित बारिश होती है या पानी की कमी रहती है, तो यह किस्म आपके लिए बेस्ट चॉइस हो सकती है। इसके अलावा, यह कम उर्वरक (fertilizer) में भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे खेती की लागत कम होती है।
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स्वादिष्ट और पौष्टिक
साथियों, बाजरा पहले से ही एक न्यूट्रिशन पावरहाउस माना जाता है, लेकिन नंदी 67 का स्वाद देसी किस्मों जैसा होता है, जो हाइब्रिड वैरायटीज़ से ज्यादा टेस्टी होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इसका उपयोग रोटी, खिचड़ी, दलिया और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाने में किया जा सकता है। अगर आप ऑर्गेनिक और केमिकल-फ्री अनाज चाहते हैं, तो यह किस्म एक बेहतरीन विकल्प है। देसी किस्म होने के कारण इसका स्वाद काफी बेहतर होता है, जिसकी आपको अन्य किस्म के मुकाबले बाजार में भी अधिक कीमत प्राप्त होती है
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।