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नए सीजन में कैसे चलेगा सरसों का बाजार | जानिए क्या कहते हैं व्यापारी और एक्सपर्ट

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नयी सरसों की आवक के चलते सरसों के भाव में हो सकता है बदलाव | सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट

किसान भाइयों, 2025 में सरसों के बाजार की दिशा को लेकर काफी चर्चा हो रही है, खासकर जब नई सरसों की फसल आने वाली है। नई फसल के आगमन से पहले, बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। किसानों, व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तय करेगा कि आने वाले महीनों में सरसों के दाम किस दिशा में जाएंगे। क्या सरसों के दाम बढ़ेंगे या फिर गिरेंगे? इसका उत्तर जानने के लिए हमें कुछ प्रमुख पहलुओं पर ध्यान देना होगा। इस वर्ष सरसों के उत्पादन के लिए मौसम अनुकूल होने की संभावना जताई जा रही है। किसानों के लिए यह अनुकूल मौसम है, जो फसल की बेहतर वृद्धि और उच्च यील्ड (उत्पादन)  दे सकता है। हालांकि, कुछ दिन पहले बुवाई में कमी के कारण कुल उत्पादन पिछले वर्ष से कम रहने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है। यदि हम वर्तमान बाजार स्थिति की बात करें, तो सरसों के दामों में हल्की गिरावट आई है, लेकिन कुछ संकेत भी हैं, जो यह दिखाते हैं कि आने वाले समय में बदलाव हो सकता है। तो आइए, हम एक-एक करके इन पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से।

पिछले सप्ताह क्या रहा रूझान 
किसान साथियों, पिछले सप्ताह की शुरुआत में, जयपुर मंडी में सरसों का दाम 6600 रुपए प्रति क्विंटल था, लेकिन सप्ताह के अंत में यह 6400 रुपए तक पहुँच गया। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण सरसों तेल, डीओसी (Mustard DOC) और सरसों खली की मांग में कमी को बताया जा रहा है। इन घटकों की कमी ने सरसों के बाजार को बहुत अधिक समर्थन नहीं दिया। बावजूद इसके सप्ताह भर के उतार-चढ़ाव के बाद, बाजार में उम्मीद की एक हल्की किरण दिखाई दी, और अंत में बाजार थोड़ा स्थिर हुआ। अगर सरसों तेल की बात करें तो साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार सरसों के तेल की स्थिति में भी कुछ सुधार आया है। विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया तेल की मांग में वृद्धि ने घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में 2 से 3 रुपए की बढ़ोतरी की। इसका प्रभाव सरसों के व्यापार पर भी पड़ा, क्योंकि तेल की कीमत में बढ़ोतरी ने सरसों की मांग को थोड़ा बढ़ाया। हालांकि, सरसों खली की मांग में कोई विशेष बढ़त नहीं देखी गई, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी रही।

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बाजार की स्थिति और हालिया मार्केट सेंटिमेंट 
किसान साथियों, वर्तमान में सरसों के दामों में गिरावट की मुख्य वजह मांग और आपूर्ति का असंतुलन है। क्योंकि घरेलू बाजार में सरसों की मांग काफी सामान्य है, लेकिन आपूर्ति में ज्यादा बढ़ोतरी होने की संभावना है, जिससे बाजार में अधिक दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा, बाजार में मुनाफा वसूली भी चल रही है, जिससे दाम और गिरने की आशंका है। इसके अतिरिक्त पाम तेल को भी इसके मंदी का एक बड़ा कारण बताया जा रहा है क्योंकि पाम तेल के मुकाबले सरसों तेल सस्ता होने के कारण भी सरसों तेल के दाम स्थिर हैं। सोया तेल और पाम तेल के बीच कम अंतर होने के कारण सरसों तेल की कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिल रहा है। राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में नई सरसों की आवक वर्तमान में अपने अंतिम विकास चरण में है, जिससे सरसों की कुल उपलब्धता बढ़ने की संभावना है। जब नई फसल की आवक ज्यादा होगी, तो बाजार में सरसों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे कीमतों में दबाव आ सकता है। इसके बावजूद, उत्पादन में कमी की संभावना होने के कारण कीमतों में गिरावट का रुझान अपेक्षित है। इसके अलावा इस समय सरसों की सप्लाई अब भी मजबूत बनी हुई है। नाफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन) और हाफेड (हरियाणा एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव) की लगातार बिकवाली से बाजार में पर्याप्त सप्लाई बनी हुई है। यह लगातार सप्लाई सरसों के भाव को दबा सकती है, क्योंकि अतिरिक्त सप्लाई के कारण कीमतों में गिरावट देखने को मिलती है। इसके अलावा, तेल और खल के बाजार में नरमी आई है, जिससे मीलों ने ऊपरी स्तरों पर खरीदारी कम कर दी है। कमजोर मांग भी इस गिरावट का मुख्य कारण बन रही है।

तेल और खल को लेकर क्या स्थिति है
किसान भाइयों, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोया तेल की मांग में सुधार होने से सरसों तेल को कुछ सपोर्ट मिला है। इससे घरेलू बाजार में सरसों तेल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस बढ़ोतरी का असर सरसों के व्यापार पर भी पड़ा, क्योंकि सरसों तेल की कीमतों में इज़ाफा होने से सरसों के दाम में भी थोड़ा सुधार हुआ। जयपुर में कचची घानी सरसों का रेंज 1300-1350 रुपये प्रति क्विंटल के बीच कारोबार कर रहा है। इस स्थिति में यह अनुमान है कि जनवरी के अंत तक यह रेंज बनी रहेगी। अगर कीमत 1300 के आसपास गिरती है, तो यह एक खरीदारी का अच्छा अवसर हो सकता है, जबकि 1350 के पास बिकवाली की सलाह दी जा रही है, क्योंकि इस स्तर से कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना कम होगी। अगर सरसों खली की बात करें तो खल के भाव 2300 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे गिरने से सरसों के भाव बढ़ने की संभावना कम हो गई है। हालांकि, सरसों खली की मांग में कोई विशेष सुधार नहीं देखा गया है, और इसका असर सरसों के व्यापार पर पड़ा है। बाजार में सरसों खली की सप्लाई अधिक होने के कारण इसकी कीमतें स्थिर रही हैं। इससे बाजार में स्थिरता नहीं बन पा रही है, और व्यापारियों को इसे लेकर कुछ चिंताएं हैं।

आज के भाव 
किसान भाइयों, अगर सरसों के आज के मंडियों के ताजा भाव की बात करें तो वर्तमान में विभिन्न मंडियों में सरसों की कीमत भरतपुर मंडी में 6045 रूपये प्रति क्विंटल, अलवर मंडी में 6050 रूपये प्रति क्विंटल, कोटा मंडी में 5850 रुपए प्रति क्विंटल, सुमेरपुर मंडी में 6375 रुपए प्रति क्विंटल, बीकानेर मंडी में 5400 से 5700 रूपये प्रति क्विंटल, जोधपुर मंडी में 6380 रुपए प्रति क्विंटल, गंगापुर सिटी में 6000 रुपए प्रति क्विंटल और श्रीगंगानगर मंडी में 5781 रुपए प्रति क्विंटल के भाव रहे।

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नए सीजन में कैसे चलेगा सरसों का बाजार 
किसान भाइयों, नई फसल की आवक के साथ बाजार में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है। व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, जनवरी के अंत तक जयपुर मंडी में सरसों के दाम 6250 से 6550 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रह सकते हैं। कच्ची घानी सरसों तेल की कीमतें 1250 से 1350 रुपए के बीच रहने की उम्मीद है। वहीं, सरसों खली के दाम 2250 से 2450 रुपए के बीच रह सकते हैं। नई आवक के दबाव के कारण, सरसों के दाम 6000 से 6250 रुपए के रेंज तक भी जा सकते हैं। हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह देखा जा सकता है कि बाजार में सुधार हो सकता है और दाम स्थिर हो सकते हैं। लेकिन वर्तमान में, नई फसल की आवक के शुरू होने से पहले सरसों में तेजी की उम्मीद कम दिखाई दे रही है। क्योंकि फिलहाल बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव की संभावना नहीं है, और नई फसल की आवक बढ़ने तक सरसों के भाव में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। इसलिए, इस समय खरीदारी से बचने की सलाह दी जा रही है। उम्मीद है कि मार्च के अंत तक, जब फसल की आवक अपनी चरम सीमा पर होगी, तब सरसों के बाजार में बॉटम (निचला स्तर) बन सकता है। होली के बाद शायद, जब आवक बढ़ेगी, तब बाजार में फिर से तेजी देखने को मिल सकती है। अगर उत्पादन कम होने की संभावना सच साबित होती है, तो इसके परिणामस्वरूप सरसों के भाव में कुछ समय बाद तेजी देखने को मिल सकती है। हालांकि, यह तेजी नई फसल की आवक के बाद ही स्पष्ट होगा। हाल फिलहाल की परिस्थितियों को देखते हुए मार्च तक बॉटम बनने की संभावना जताई जा रही है, उसके बाद कीमतों में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वह व्यापार अपने विवेक और संयम के साथ करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।