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सरकारी आदेश के बाद कितने गिरेंगे गेहूं के भाव | जाने इस रिपोर्ट में

सरकारी आदेश के बाद कितने गिरेंगे गेहूं के भाव | जाने इस रिपोर्ट में
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किसान साथियो बीते कुछ हफ्तों से गेहूं की कीमत मंडियों और खुले बाजार में तेजी से बढ़ रही है। दाम इतने ऊंचे हो गए हैं कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग दोगुने स्तर पर पहुंच चुका है। इस स्थिति में, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पर अपने बफर स्टॉक से गेहूं बाजार में उतारने का दबाव बढ़ गया है, ताकि कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। अब एफसीआई ने 25 लाख टन गेहूं को ई-नीलामी के जरिए खुले बाजार में लाने का फैसला किया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बताया कि ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) 2024 के तहत गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं को ई-नीलामी के माध्यम से बेचेगा। यह गेहूं आटा मिलों, गेहूं उत्पादों के निर्माताओं और प्रोसेसिंग यूनिट्स को उपलब्ध कराया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य खुले बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करना है और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कितना तय हुआ है गेहूं का बिक्री मूल्य
भारत सरकार ने खाद्य महंगाई को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। खाद्य निगम (FCI) ने 2024 के लिए अपनी ओएमएसएस (घरेलू) नीति के तहत गेहूं का न्यूनतम बिक्री मूल्य तय किया है। इस नीति के अनुसार, उचित एवं औसत गुणवत्ता (FAQ) वाले गेहूं के लिए 2325 रुपये प्रति क्विंटल और थोड़ी कम गुणवत्ता वाले गेहूं (यूआरएस) के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल का रिजर्व मूल्य निर्धारित किया गया है। यह गेहूं ई-नीलामी के माध्यम से निजी कंपनियों को बेचा जाएगा, जिससे खुले बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इस कदम से उम्मीद है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आएगी और आम जनता को राहत मिलेगी।

FCI के पास कितना है गेहूं का स्टॉक
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास वर्तमान में गेहूं का भंडार काफी अधिक है। 31 अक्टूबर 2024 तक FCI और राज्य एजेंसियों के पास गेहूं का कुल स्टॉक 222.64 लाख टन है, जो कि निर्धारित मानक से अधिक है। सरकार ने इस अतिरिक्त भंडार का उपयोग करते हुए 25 लाख टन गेहूं को खुले बाजार में बेचने का निर्णय लिया है। इस बिक्री के बाद भी FCI के पास 197 लाख टन से अधिक गेहूं का भंडार शेष रहेगा, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए पर्याप्त माना जाता है।

गेहूं की कीमतों ने तोड़े पिछले सारे रिकार्ड
20 नवंबर 2024 को उपभोक्ता मामलों के विभाग ने खुलासा किया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात और गोवा की मंडियों में गेहूं का थोक भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से दोगुनी से भी ज्यादा है, जिससे आम उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच चिंता बढ़ गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मंडियों में गेहूं का औसत थोक भाव 31.92 रुपये प्रति किलो है, जबकि अधिकतम भाव 58 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया।

राज्यवार गेहूं की औसत कीमतें:

  1. उत्तर प्रदेश: 28.67 रुपये प्रति किलो
  2. दिल्ली: 31 रुपये प्रति किलो (3,100 रुपये प्रति क्विंटल)
  3. गुजरात: 35.14 रुपये प्रति किलो
  4. महाराष्ट्र: 39.74 रुपये प्रति किलो
  5. गोवा: 50 रुपये प्रति किलो (सबसे महंगी औसत कीमत)

22 नवंबर 2024 को मुंबई में गेहूं का थोक भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। यह एमएसपी से 64% अधिक है, जो किसानों को फायदा पहुंचा सकता है लेकिन उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

एमएसपी और हालिया बढ़ोतरी:
हाल ही में केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 150 रुपये बढ़ाकर 2,425 रुपये प्रति क्विंटल किया। हालांकि, मंडियों में बढ़ती कीमतें एमएसपी से काफी आगे निकल चुकी हैं। यह तेजी इस बात का संकेत है कि बाजार में गेहूं की आपूर्ति कम हो रही है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। अब देखना यह है कि सरकार और बाजार की स्थिति इसे कैसे संभालते हैं।

कितने गिर सकते हैं गेहूं के रेट 
किसान साथियो और व्यपारी भाइयो सरकार द्वारा खुले बाजार मे गेहूं बिक्री करने के एलान का असर हाजिर बाज़ारों मे कल से ही दिखना शुरू हो गया था । कल गेहूं के भाव 50 रु तक टूटे थे । आज भी प्राप्त समाचार के अनुसार कई जगह पर 50 से लेकर 100 रु के भाव कमजोर हुए हैं। गेहूं के बाजार के जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से गेहूं के बढ़ते भाव पर रोक तो लगेगी लेकिन बहुत बड़ा असर होगा ऐसा नहीं लगता। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त मात्रा मे स्टॉक तो है लेकिन इसे बहुत बड़ी मात्रा मे गेहूं का बफर स्टॉक नहीं माना जा सकता ।  पिछले दो सालों से सरकार को लक्ष्य के हिसाब से गेहूं नहीं मिल पाया है । इसलिए आमतौर पर जितना स्टॉक सरकार के पास पिछले कुछ सालों में रहा है इस बार यह उतना नहीं है । सरकार ने इसी के चलते OMSS के जरिये गेहूं बेचने में इतना समय लिया है ।  मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि गेहूं के भाव के 100-150 रु नीचे जाने के बाद फिर से तेजी कि तरफ मुड़ सकते हैं । दिल्ली मे जो गेहूं 3050 बिक रहा है उसके 2850 के नीचे जाने की संभावना नहीं है । बाकि व्यापार अपने विवेक से करे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।