MP में किसानों के लिए आई बड़ी खुशखबरी। मूंग और उड़द की सरकारी खरीद हुई शुरू
किसान साथियों, मध्यप्रदेश के लाखों किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। क्योंकि वो किसान जो गर्मी की तपती धूप में ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द की फसल उगाकर बाजार में कीमतों के लिए परेशान थे, अब उन्हें सरकार ने एक सुनहरा मौका दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की लगातार उठ रही मांग को गंभीरता से लेते हुए ऐलान किया है कि 19 जून से मूंग और उड़द की सरकारी खरीदी के लिए पंजीयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार की घोषणा के बाद किसानों में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है क्योंकि इससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि फसल की बिक्री को लेकर जो अनिश्चितता बनी रहती है, वह भी काफी हद तक दूर होगी। अब तक राज्य में कई किसान इस चिंता में थे कि बाजार में दलहनों की कीमतें गिरती जा रही हैं, और उन्हें लागत भी नहीं निकल रही। खासकर जब कटाई का समय पास आता है, तो व्यापारी औने-पौने दाम पर मूंग और उड़द उठाकर ले जाते हैं। लेकिन अब सरकार के इस फैसले से किसानों को सीधे सरकारी रेट पर उपार्जन केंद्रों पर फसल बेचने का मौका मिलेगा। यह कदम न सिर्फ किसानों को आर्थिक संबल देगा, बल्कि सरकार के प्रति किसानों का भरोसा भी और गहरा करेगा। तो चलिए, सरकारी खरीद की प्रक्रिया और उससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को विस्तार से समझते हैं इस रिपोर्ट में।
सिर्फ 600 रुपये में 6 महीने तक Whatsapp पर भाव पाने के लिए 9729757540 पर मैसेज करें
19 जून से पंजीयन की प्रक्रिया
साथियों, 19 जून से मध्यप्रदेश में मूंग और उड़द बेचने के लिए किसानों को पंजीयन कराना होगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही थी क्योंकि खरीदी को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट घोषणा नहीं थी। किसानों और विपक्ष के नेताओं ने लगातार मुख्यमंत्री से गुहार लगाई थी कि सरकार मूंग की सरकारी खरीदी जल्द शुरू करे। इसी दबाव और किसानों की आवाज़ को सुनते हुए सरकार ने पंजीयन का ऐलान किया है। पंजीयन के लिए किसानों को अपने आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, और भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की छायाप्रति जमा करनी होगी। जो किसान बटाई पर खेती करते हैं, उन्हें अनुबंध की प्रति भी देनी होगी। यानी हर किसान को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके पास ज़रूरी दस्तावेज़ मौजूद हों ताकि वह समय पर पंजीयन कर सके और खरीदी में शामिल हो सके। पंजीयन की प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से हो सकती है, लेकिन ज़्यादा जानकारी गांव की सहकारी समितियों से मिलेगी।
सिर्फ 600 रुपये में 6 महीने तक Whatsapp पर भाव पाने के लिए 9729757540 पर मैसेज करें
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिर्फ पंजीयन की घोषणा ही नहीं की, बल्कि खरीदी प्रक्रिया को लेकर कई सख्त निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि इस बार खरीदी प्रक्रिया में कोई भ्रष्टाचार या देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। किसानों को समय पर भुगतान मिले, इसकी सुनिश्चितता ज़िला कलेक्टर और कृषि विभाग की ज़िम्मेदारी होगी। पिछले वर्षों में किसानों को भुगतान में देरी की शिकायतें मिली थीं, जिससे किसान बेहद परेशान और निराश हुए थे। लेकिन इस बार सरकार ने व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए प्रिंटेड रसीद, बैंक ट्रांसफर और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने की बात कही है। किसानों को रसीद के साथ-साथ मोबाइल पर SMS अलर्ट भी मिलेगा, जिससे उन्हें यह पता रहेगा कि उनकी फसल का कितना वजन हुआ और कितनी राशि उन्हें मिलने वाली है। इससे पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वास बनेगा
मूंग और उड़द का समर्थन मूल्य घोषित
सरकार ने मूंग और उड़द के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर दी है। मूंग का भाव ₹8682 प्रति क्विंटल और उड़द का भाव ₹7400 प्रति क्विंटल तय किया गया है। यह समर्थन मूल्य किसानों को बाजार में मिलने वाली न्यूनतम दरों से काफी बेहतर है, खासकर तब जब बाजार में मूंग का भाव 6000–7000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच घूम रहा है। इससे उन किसानों को फायदा मिलेगा जिन्होंने गर्मी में मूंग और उड़द की बुआई की और जिनकी फसल मई के अंत और जून की शुरुआत में कटाई के लिए तैयार हो गई है। कई बार किसान लागत निकालने के लिए बाजार में जल्दबाज़ी में फसल बेच देते हैं, लेकिन अब उन्हें रुककर सरकारी खरीदी केंद्रों तक अपनी उपज पहुंचाने की सलाह दी जा रही है। MSP की घोषणा से यह साफ है कि सरकार किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मुआवजा देना चाहती है
सिर्फ 600 रुपये में 6 महीने तक Whatsapp पर भाव पाने के लिए 9729757540 पर मैसेज करें
रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद
इस बार प्रदेश के 36 जिलों में मूंग और 13 जिलों में उड़द की खेती की गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि मूंग का क्षेत्रफल 14.35 लाख हेक्टेयर और उत्पादन लगभग 20.23 लाख मीट्रिक टन तक जा सकता है। वहीं उड़द का क्षेत्रफल करीब 0.95 लाख हेक्टेयर है और उसका उत्पादन करीब 1.24 लाख मीट्रिक टन तक अनुमानित है। इस बढ़ते उत्पादन को देखते हुए सरकार के सामने एक चुनौती थी कि फसल बर्बाद न हो, और किसान औने-पौने दामों में फसल न बेचें। इसी वजह से पंजीयन और खरीदी की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने का दबाव बढ़ रहा था। अगर यह खरीदी समय पर नहीं होती, तो बाजार में ओवर-सप्लाई से रेट गिर जाते और किसान नुकसान में चले जाते। सरकार का यह फैसला, रिकॉर्ड उत्पादन को देखते हुए, एक टाइमली और प्रैक्टिकल कदम माना जा रहा है।
किसानों को मिलेगी प्रिंटेड रसीद
फसलों की खरीदी की ज़िम्मेदारी स्थानीय सहकारी संस्थाओं को दी जाएगी। हर किसान जब खरीदी केंद्र पर अपनी फसल लेकर आएगा, तो उसका वजन, गुणवत्ता परीक्षण, और फिर फसल की रसीद जनरेट की जाएगी। यही रसीद किसान के खाते में भुगतान का आधार बनेगी, जिससे आगे कोई विवाद न हो। सहकारी समितियों के ज़रिए खरीदी करवाने का फायदा ये है कि किसानों को स्थानीय भाषा और पहचान का भरोसा मिलता है। समितियों को भी आदेश दिए गए हैं कि खरीदी केंद्रों पर क्लियर डिस्प्ले, तौल कांटे की पारदर्शिता, और शीतल पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। साथ ही सरकार प्रचार-प्रसार के लिए गांवों में लाउडस्पीकर अनाउंसमेंट, पोस्टर, और व्हाट्सएप ग्रुप्स के ज़रिए जानकारी फैला रही है।
👉 सिर्फ सर्विस लेने वाले ही *WhatsApp करें – 9729757540*
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।