2025 में ग्वार के किसानों के आ सकते हैं अच्छे दिन | जानिए क्या है इसकी वज़ह | ग्वार की सबसे सटीक तेजी मंदी रिपोर्ट
किसान साथियो मंडी भाव टूडे रिपोर्ट मे हम पहले भी बता चुके है कई दिनों से ग्वार के बाजार में काफी उथल पुथल से बनी हुई छाई हुई है। जानकारों का मानना है कि ग्वार बाजार के लिए आने वाले दो माह काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। ग्वार के चालू सीज़न के तीन महीने का समय पूरा हो चुका है। लेकिन अभी तक भी दैनिक आवकों में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है । भाव के कम रहने के कारण किसान बाजार में माल लेकर नहीं आ रहे हैं। दोस्तो ग्वार की आवक के पिछले कुछ सालों के ट्रेंड को देखें तो आमतौर पर यही देखा गया है कि ग्वार के सीज़न की शुरुआती आवकें ज्यादा रहती हैं जिसके कारण ग्वार के भाव नरम पड़ जाते है परंतु अब 2025 में ग्वार की कीमतों में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है, और इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है वैश्विक मांग में तेजी । खासकर ग्वार-गम, जिसका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण से लेकर शेल गैस खनन तक होता है, इसकी बढ़ती मांग ने कीमतों में उछाल लाने का काम किया है। ये सभी कारण ग्वार के भाव में तेजी का एक माहौल सा बना रहा है यही वजह है कि कीमतें बढ़कर 4800-5450 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। इसके साथ ही, वायदा बाजार में भी ग्वार के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं, वर्तमान में वायदा बाजार में ग्वार का भाव 5350 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है, आने वाले समय में इसके भाव और बढ़ सकते हैं। ग्वार के विशेषज्ञों और मंडी व्यापारियों का भी मानना है कि ग्वार की वैश्विक मांग को देखते हुए इसकी कीमतें आने वाले महीनों में और बढ़ सकती हैं।
क्यूँ तेजी की तरफ जा सकता है ग्वार का बाजार
ग्वार के व्यापारियों के अनुसार, 2025 में ग्वार के भाव 6,000-6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं। एक्सपोर्ट डिमांड बढ़ने और चूरी-कोरमा की मांग बढ़ने से इसमें और तेजी आ सकती है है। हालांकि, एनसीडेक्स में सट्टेबाजों द्वारा भाव को नियंत्रित करने के प्रयासों के कारण फिलहाल भाव स्थिर हैं, लेकिन यह स्थिति अधिक समय तक नहीं टिकेगी। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आती है, तो ग्वार की मांग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे कीमतें स्थिर हो सकती हैं।
पिछले वर्षों में किसानों के पास एक करोड़ बोरी का कैरीओवर स्टॉक हुआ करता था, लेकिन अब यह घटकर 50 लाख बोरी तक रह गया है।पीएम मोदी के हाल के कुवैत दौरे के बाद, गवार के निर्यात में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि कुवैत के लिए कुछ अंतर्निहित कारक सुधारने की संभावना है। गवार को एफडी के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह सात सालों में अपनी पूरी क्षमता दिखाता है। इस वर्ष गवार के लिए अच्छा समय आ सकता है।
गौरतलब है पिछले कुछ वर्षों में गवार का निर्यात घटकर 6 लाख मेट्रिक टन से 3-4 लाख मेट्रिक टन तक पहुंच गया है। पहले यह माल 4 देशों में भेजा जाता था, जबकि अब यह 60 देशों में भेजा जा रहा है। भविष्य में निर्यात की मांग में वृद्धि हो सकती है, खासकर कुवैत और इज़राइल के बाजारों में।
मौजूदा उत्पादन और स्टॉक की स्थिति
दोस्तों इस वक्त किसानों के पास इस बार गवार का माल बहुत उच्च गुणवत्ता का है। पिछले 15 सालों के मुकाबले इस साल का गवार अधिक अच्छी क्वालिटी का आया है, खासकर नागौर और मेड़ता के आसपास के क्षेत्रों में। 10 सालों में किसान ने काफी स्टॉक होल्ड किया हुआ है। छोटे-छोटे गांवों में भी 2,000 से 3,000 बोरी का स्टॉक पाया जाता है, और बड़े गांवों में 5,000 बोरी तक का स्टॉक मौजूद है। यदि हम राजस्थान की स्थिति देखें, तो यहां लगभग 10,000 गांव हैं, जिनमें 4 से 5 लाख बोरी का स्टॉक अभी किसानों के पास हो सकता है।
इस साल ग्वार का भविष्य 2025 में बहुत अच्छा नजर आता है। पहले जो अनुमान था कि ग्वार का उत्पादन एक करोड़ से सवा करोड़ बोरी होगा, वह कम बारिश के कारण घटकर 50 से 60 लाख बोरी रह गया है। यूनिवर्सिटी के आकलन के अनुसार यह आंकड़ा 50 लाख बोरी के आसपास रह सकता है, वर्तमान में मंडियों में 20 से 25 हजार बोरी ग्वार आ रही है, जबकि 20 से 25 हजार टन का एक्सपोर्ट भी बरकरार है।बाड़मेर और जैसलमेर बेल्ट में बारिश की कमी और गर्म हवाओं के कारण गवार का उत्पादन प्रभावित हुआ। गुजरात में भी उत्पादन 30% घटा है। इस कारण, गवार का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है और इसके चलते उत्पादकता पर भी असर पड़ा है। कुल मिलाकर, गवार और गम का संयुक्त उत्पादन इस साल लगभग 50 लाख बोरी तक रह सकता है।
राजस्थान के नागौर मंडी में लगभग 70,000 बोरी गवार का स्टॉक उपलब्ध है, जिसमें गवार और गम मिला कर यह संख्या करीब 40,000 से 50,000 बोरी तक पहुंच सकती है। गवार और गम का स्टॉक सट्टे में रखा जाता है, जिसके कारण इस पर कोई ठोस जानकारी मिलना मुश्किल है। इस साल सट्टे का खेल भी अधिक सक्रिय है और बड़े व्यापारी माल को सट्टे के रूप में नियंत्रित कर रहे हैं।
कुल मिल कर राजस्थान में इस वर्ष ग्वार का उत्पादन 80 लाख से 1 करोड़ बोरी तक होने का अनुमान है, जो पिछले साल के उत्पादन के बराबर है। हालांकि, पिछले तीन-चार वर्षों से किसानों और व्यापारियों द्वारा स्टॉक रोके जाने से बाजार में भारी मात्रा में ग्वार उपलब्ध है। नागौर मंडी में वर्तमान में प्रतिदिन 2,000-2,500 कट्टे ग्वार की आवक हो रही है। जो किसान इसे बेच चुके हैं, वे जरूरतमंद थे, जबकि अन्य अभी उच्च भाव की प्रतीक्षा में हैं।
2025 में ग्वार की कीमत का अनुमान
ग्वार विषयज्ञों का मानना है कि ग्वार की कीमत 6500 रुपये के आसपास रह सकती है। पुराने स्टॉक जो किसानों के पास है, वह 50 से 70 लाख बोरी के बीच हो सकता है, और यह बाजार में तब तक नहीं आएगा जब तक कीमत 7000 रुपये से ऊपर नहीं जाती। उन्होंने यह भी कहा कि मजबूत हाथों के पास ग्वार का स्टॉक है, और यह माल बाजार में 6500 रुपये के ऊपर पहुंचने पर ही आएगा। उन्होंने यह अनुमान भी व्यक्त किया कि यह कीमत तीन से चार महीने में 6500 रुपये तक पहुंच सकती है।
किसानों के पास ग्वार के स्टॉक के बारे में कहा कि इस समय किसानों के पास नई क्रॉप का बहुत कम माल बचा है। उनके अनुसार, भले ही ग्वार की कीमत 15000 रुपये तक चली जाए, लेकिन वह किसान इसे बाजार में नहीं लाएंगे। मनीष जी का मानना है कि किसान का हाथ बहुत मजबूत है, और वह ग्वार को तब तक नहीं बेचेंगे जब तक कि वह पूरी तरह से तैयार न हो। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यहां के किसान ने 63000 रुपये का जीरा भी अपने घर पर रखा है, तो वह ग्वार को किसी भी कीमत पर बाजार में नहीं लाने वाला है।
स्टॉक और निर्यात
पिछले वर्षों में किसानों के पास एक करोड़ बोरी का कैरीओवर स्टॉक हुआ करता था, लेकिन अब यह घटकर 50 लाख बोरी तक रह गया है। पीएम मोदी के हाल के कुवैत दौरे के बाद, गवार के निर्यात में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, क्योंकि कुवैत के लिए कुछ अंतर्निहित कारक सुधारने की संभावना है। गवार को एफडी के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह सात सालों में अपनी पूरी क्षमता दिखाता है। इस वर्ष गवार के लिए अच्छा समय आ सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में गवार का निर्यात घटकर 6 लाख मेट्रिक टन से 3-4 लाख मेट्रिक टन तक पहुंच गया है। पहले यह माल 4 देशों में भेजा जाता था, जबकि अब यह 60 देशों में भेजा जा रहा है। हालांकि, प्रोडक्शन में थोड़ी वृद्धि होने के कारण प्राइस में गिरावट आई है। प्रमुख बायरों को नियमित रूप से माल उपलब्ध होने के कारण उन्हें खरीदने में कोई दिक्कत नहीं होती। भविष्य में निर्यात की मांग में वृद्धि होने की संभावना है, खासकर कुवैत और इज़राइल के बाजारों में।
हाजिर अनाज मंडियों से ग्वार के भाव (06/01/2025)
सिरसा मंडी में ग्वार भाव 4400-4950 रुपए, ऐलनाबाद मंडी में 4650-4975 रुपए, संगरिया मंडी में 4155-4895 रुपए, जैतसर मंडी में 4775-5058 रुपए, बीकानेर मंडी में 5000-5141 रुपए, पदमपुर मंडी में 4752-5063 रुपए, घड़साना मंडी में 4805-5130 रुपए, श्रीगंगानगर मंडी में 4205-5180 रुपए, सूरतगढ़ मंडी में 5011-5082 रुपए, रायसिंहनगर मंडी में 4500-5036 रुपए, फतेहाबाद मंडी में 4925 रुपए, रावतसर मंडी में 4650-5040 रुपए, नोहर मंडी में 5000-5170 रुपए, आदमपुर मंडी में 5121 रुपए, पूगल मंडी में 4600-5150 रुपए, सादुल शहर मंडी में 5081 रुपए, श्रीमाधोपुर मंडी में 4900-4950 रुपए, और श्री विजयनगर मंडी में 4660-5015 रुपए प्रति क्विंटल रहे। तो दोस्तों , ग्वार की कीमतों में अधिकांश मंडियों में स्थिरता और उच्च स्तर देखने को मिला। बीकानेर, नोहर, और श्रीगंगानगर मंडी जैसी जगहों पर कीमतें ऊंचे स्तर पर रहीं, वहीं संगरिया मंडी में न्यूनतम कीमतें देखने को मिलीं।
वायदा कारोबार का ग्वार पर असर
ग्वार की कीमतों में गिरावट के पीछे वायदा कारोबार की भी अहम भूमिका मानी जा रही है। गंगानगर बेल्ट जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में ग्वार का उत्पादन बीते पांच वर्षों में 25-30% तक घटा है। इन इलाकों के कारोबारी अब फिजिकल व्यापार के बजाय वायदा बाजार में सक्रिय हैं। बड़े सट्टेबाज इस स्थिति का फायदा उठाते हुए कीमतों को नियंत्रित करते हैं और ब्याज बदलों के माध्यम से मुनाफा कमाते हैं।
हेजिंग की वजह से बड़े व्यापारी अपना माल स्टॉक कर लेते हैं और एनसीडीईएक्स (NCDEX) में बेच देते हैं। इससे उन्हें 18% तक ब्याज का फायदा होता है। आज के समय में किसान वायदा बाजार के भाव को देखकर अपना माल लेकर आते हैं। वायदा बाजार में गिरावट देखते ही किसान अपनी उपज को रोकने लगते हैं, जिससे बाजार में आपूर्ति प्रभावित होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि वायदा कारोबार बंद करने से किसानों और व्यापारियों दोनों को फायदा होगा।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।