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चना बाजार में उतार-चढ़ाव जारी। जानिए क्या है आज के मंडी भाव

जानिए क्या है आज के मंडी भाव
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किसान साथियों पिछले लगभग दो-तीन सप्ताह से देसी चना का बाजार उतार-चढ़ाव के बीच में फंसा हुआ है। जिसके कारण किसानों और व्यापारियों में दुविधा का माहौल बना हुआ है। पिछले कुछ सप्ताह में चने की कीमतें अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुकी थीं, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले चने की कीमतों में काफी कमी देखी जा रही थी। लेकिन अभी पिछले तीन-चार दिनों से चने की कीमतों में हल्का सुधार देखने को मिल रहा है। चना बाजार को लेकर हालिया स्थिति में कोई खास मंदी नहीं देखी गई, बल्कि भाव सीमित तेजी के साथ स्थिर बने हुए हैं। कल दिल्ली की मंडियों में राजस्थान के बेहतरीन चने के भाव ₹5,800 से ₹5,825 प्रति क्विंटल तक स्थिर बताए गए, जबकि मध्यप्रदेश लाइन का व्यापार ₹5,750 से ₹5,775 प्रति क्विंटल के बीच हुआ। जबकि आज फिर से ₹25 की तेजी देखी जा रही है। इसके साथ-साथ उत्पादक मंडियों में चने की आवक सीमित बनी हुई है, जिससे बाजार में नीचे भाव में माल नहीं मिल रहा है। इसलिए बाजार में भाव नीचे नहीं जा रहे। वहीं दूसरी ओर दाल मिलों की ओर से मांग सीमित रही, जिससे तेजी को ज़्यादा रफ्तार नहीं मिल पा रही है। बंदरगाहों पर उपलब्ध चना स्टॉक 4.27 लाख टन बताया गया है, लेकिन केंद्रीय पूल में चना का स्टॉक अपेक्षाकृत कम माना जा रहा है। साथियों हम कई दिनों से कह रहे हैं कि मानसून के इस दौर में और आने वाले त्योहारी सीजन के चलते बेसन एवं चना दाल की मांग बढ़ने की पूरी संभावना है। चालू रबी सीजन में चने का उत्पादन अनुमान भी कमजोर है, जिससे बाजार को लेकर धारणा सामान्य रूप से संतुलित लेकिन सहारे वाली बनी हुई है। चने के बाजार के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या बंदरगाहों पर पीली मटर और मसूर की भी बड़ी मात्रा में उपलब्धता है। हालांकि चना का स्टॉक अन्य दालों के मुकाबले थोड़ा सीमित है लेकिन मटर की दाल और मिलावटी बेसन पूर्वी भारत में सस्ते दामों पर बिक रहे हैं, जिससे देसी चने की मांग प्रभावित हो रही है। साथ ही, उत्पादक मंडियों में चने की आवक भी कम हो गई है, जिससे सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले दिनों में देसी चने के भाव में कोई बड़ा उछाल आएगा, या फिर किसानों और व्यापारियों को इसके लिए और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इन सभी बातों को विस्तार से समझते हैं इस रिपोर्ट में।

आपूर्ति में भारी कमी

अगर हम देसी चने की सप्लाई की बात करें, तो पिछले कुछ हफ्तों से यह काफी कम हो गई है। राजस्थान की प्रमुख मंडियां जैसे नोहर, भादरा, सवाई माधोपुर, सरदारशहर और तारानगर में चने की उपलब्धता मात्र 10% तक सिमट गई है। वहीं, महाराष्ट्र के अकोला, जलगांव, परभणी और मध्यप्रदेश के ग्वालियर, इंदौर, शिवपुरी, कटनी, भोपाल जैसी मंडियों में भी चने की सप्लाई बेहद कम है। सप्लाई में कमी का सीधा असर दामों पर पड़ रहा है। अगर कोई व्यापारी आज किसी मंडी से देसी चना दिल्ली मंगवाना चाहे, तो उसे कम से कम 5975 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चुकाना पड़ेगा। हालांकि, दिल्ली की मंडियों में यह चना 5800-5825 रुपये के भाव पर बिक रहा है, लेकिन यहां भी मांग की कमी के कारण बाजार में कोई खास हलचल नहीं है।

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मंडी भाव

अगर आज के प्रमुख मंडियों के चने के भावों की बात करें तो दिल्ली लॉरेंस रोड एमपी लाइन चना भाव ₹5775/5800, राजस्थान जयपुर लाइन चना भाव ₹5835, राजकोट मंडी देसी ₹5100/5500, जोधपुर मंडी ₹4800/5350, कोलकाता मंडी ऑस्ट्रेलिया ₹5900, और नागपुर मंडी में चने के भाव ₹6000/6050 रुपए प्रति क्विंटल के रहे।

ऑस्ट्रेलियाई चने का असर

इधर, ऑस्ट्रेलिया से आयातित चना भी बाजार में ज्यादा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ आयातकों के पास इसका स्टॉक है, लेकिन वे इसे 5875 रुपये प्रति क्विंटल से कम दाम पर बेचने को तैयार नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया में इस बार काले चने की बुआई भी पिछले सालों के मुकाबले कम हुई है। इसके बावजूद, कारोबारी अक्टूबर-नवंबर की शिपमेंट को लेकर पहले से ही सौदेबाजी कर रहे हैं, जिसमें भाव पिछले साल के मुकाबले काफी कम हैं।

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मटर का दबाव

देसी चने की मंदी की एक बड़ी वजह मटर की दाल का सस्ता होना है। मुंद्रा (मुंबई और कोलकाता बंदरगाह) से मटर की दाल काफी कम दामों पर बाजार में उतर रही है। खासकर पूर्वी भारत (बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, असम) में तो मटर की दाल को तुअर दाल में 30-35% मिलाकर बेचा जा रहा है। यहां तक कि बेसन में भी मटर की मिलावट की जा रही है, जिससे देसी चने से बने बेसन की मांग घट गई है। पूर्वी राज्यों में जितनी ज्यादा दाल गलती है, उतनी ही अच्छी मानी जाती है, और मटर की दाल पकने के बाद रंग में भी चने जैसी ही लगने लगती है। इस वजह से तुअर दाल का बाजार भी प्रभावित हो रहा है, और यह ट्रेंड पूरे साल जारी रह सकता है।

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कब बढ़ेंगे भाव

फिलहाल तो बाजार में देसी चना और बेसन की बिक्री सामान्य बनी हुई है। लेकिन, कुछ कारोबारियों का मानना है कि त्योहारी सीजन को देखते हुए 31 अगस्त तक देसी चने के भाव में 500 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह यह है कि कनाडा में मटर के भाव थोड़े बढ़े हुए हैं, और ऑस्ट्रेलिया से आने वाले चने के भाव भी मौजूदा दरों से ऊपर ही लग रहे हैं। इसके अलावा, नई फसल अभी दूर है, और मौजूदा स्टॉक भी तेजी से खत्म हो रहा है। ऐसे में, अगर मांग थोड़ी भी बढ़ती है, तो भाव में तेजी आ सकती है। हालांकि, अभी के हालात देखकर लगता है कि बाजार को उबरने में कुछ और समय लगेगा। लेकिन जैसे-जैसे स्टॉक कम होगा, भाव में सुधार की संभावना बढ़ सकती है। कारोबारियों को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है, क्योंकि बाजार कभी भी पलट सकता है व्यापार अपने संयम और विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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