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जीरे के व्यापार में सावधानी बरतने की सलाह, चीन की मांग अब तक नहीं आई सक्रिय

जीरा REPORT
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किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, जीरे के बाजार में हाल के दिनों में आई उल्लेखनीय तेजी के बाद अब व्यापार में ठहराव देखा जा रहा है। खासकर चीन की ओर से अपेक्षित मांग अब तक बाजार में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दी है, जिससे स्टॉकिस्टों और व्यापारियों में सतर्कता का माहौल बन गया है। बाजार के जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में जीरे के व्यापार में सावधानी बरतना जरूरी होगा।

आवक में उतार-चढ़ाव, लेकिन पहले के रिकॉर्ड स्तर से कम
ऊंझा मंडी की बात करें तो यहां जीरे की आवक फिलहाल सीमित दायरे में चल रही है। बीते कुछ दिनों से रोजाना लगभग 35,000 से 45,000 बोरी जीरे की आवक हो रही है, जबकि पहले यहां रिकॉर्ड स्तर की 72,000 से 75,000 बोरी प्रतिदिन की आवक दर्ज की जा चुकी है। इससे यह स्पष्ट है कि मंडियों में अब आवक घटती जा रही है।

बिजाई में 15% गिरावट, लेकिन व्यापारिक गतिविधियां सुधरने लगीं
गुजरात में इस साल जीरे की बिजाई भी कम हुई है। बीते वर्ष की तुलना में 2024-25 में जीरे की बिजाई करीब 15% घटकर 4.76 लाख हेक्टेयर में सीमित रह गई है। हालांकि, गुजरात की प्रमुख मंडियों में व्यापारिक गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार भी दिख रहा है।

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भावों में तेज उतार-चढ़ाव: हाल में मंदी का रुख
कीमतों की बात करें तो ऊंझा में हाल ही में जीरे के दाम 240 से 280 रुपए गिरकर अब ₹4720/₹4760 प्रति 20 किलोग्राम पर बने हुए हैं। इससे पूर्व बाजार में 180 से 500 रुपए प्रति 20 किलो तक का उछाल देखा गया था। वहीं, थोक किराना बाजार में सामान्य जीरा ₹1000 मंदा होकर फिलहाल ₹24,500 से ₹25,500 प्रति क्विंटल पर टिका हुआ है, जबकि इससे पूर्व यहां ₹3000 से ₹3200 की तेज़ी आई थी।

तुर्की और पाकिस्तान की खरीद से मिला था समर्थन
इस तेज़ी के पीछे एक कारण यह भी था कि तुर्की और पाकिस्तान ने ऊंझा से भारी मात्रा में माल की खरीद की थी। बाजार में चल रही चर्चाओं के अनुसार इन देशों को लगभग 50 से 55 कंटेनर जीरा भेजा गया है। हालांकि, चीन की मांग अभी भी प्रतीक्षित बनी हुई है।

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अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में प्रतिस्पर्धा बढ़ी
भारत के अलावा जीरे के प्रमुख उत्पादक देशों में तुर्की और सीरिया आते हैं, जहां कुल 35,000 टन उत्पादन होता है। हाल के वर्षों में अफगानिस्तान और ईरान भी इस क्षेत्र में चुनौती पेश कर रहे हैं, हालांकि इन देशों की गुणवत्ता भारतीय जीरे से कमजोर मानी जाती है।

निर्यात में वृद्धि दर्ज, लेकिन भविष्य के लिए सतर्कता जरूरी
2024-25 के अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत से कुल 1,78,846.56 टन जीरे का निर्यात हुआ, जिसकी कुल कीमत ₹4909.76 करोड़ रही। जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 1,06,905.40 टन जीरा ₹4034.48 करोड़ में निर्यात हुआ था। यानी निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों में वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष
बाजार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि जीरे के व्यापार में अब जोखिम बढ़ रहा है। चीन की मांग यदि शीघ्र नहीं आती है, तो भाव में और गिरावट संभव है। ऐसे में स्टॉकिस्टों और व्यापारियों को फिलहाल बड़ा स्टॉक बनाने से बचना चाहिए। व्यापार अपने विवेक से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।