क्या 2025 में ग्वार का भाव तेज हो सकता है | जाने ग्वार की तेजी मंदी रिपोर्ट में
किसान साथियो नए साल की शुरुआत के साथ ही ग्वार की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर ग्वार की बढ़ती मांग और घरेलू उत्पादन में कमी है। ग्वार गम का उपयोग खाद्य उद्योग और शेल गैस के खनन में होता है, जिसके कारण इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में ग्वार का उत्पादन सीमित क्षेत्रों में होता है, जिससे इसकी उपलब्धता भी कम होती है और कीमतों में बढ़ोतरी को बढ़ावा मिलता है। वर्तमान में, ग्वार की कीमतें 4800 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं। इसके अलावा, एनसीडीएक्स (NCDX) पर ग्वार के वायदा बाजार में भी कीमतें लगभग 5350 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं।
प्रमुख मंडियों में क्या रहा ग्वार का भाव
सिरसा मंडी ग्वार भाव 4400-5132 रूपये, आदमपुर मंडी 3555-5246 रूपये, मेड़ता मंडी 4600-5100 रूपये, नागौर मंडी 4500-5000 रूपये, जोधपुर मंडी 5000-5400 रूपये, श्री गंगानगर मंडी 4200-5160 रूपये, नोहर मंडी 5000-5234 रूपये, पीलीबंगा मंडी 5166-5183 रूपये, जैतसर मंडी 4851-5142 रूपये, सूरतगढ़ मंडी 4900-5162 रूपये, नोखा मंडी 4800-5200 रूपये, बीकानेर मंडी 5000-5191 रूपये, सिवानी मंडी 5230-5240 रूपये प्रति क्विंटल।
2025 में ग्वार की कीमतों का रुझान कैसा रहा सकता है
विश्व बाजार में ग्वार की मांग लगातार बढ़ रही है, विशेषकर ग्वार गम की। इसके साथ ही, उत्पादन में आ रही कमी और कृषि क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियां ग्वार की कीमतों में वृद्धि का कारण बन सकती हैं। भारत में ग्वार का मुख्य उत्पादन राजस्थान और गुजरात में होता है, जहां जलवायु परिस्थितियां अक्सर अनुकूल नहीं होतीं। ग्वार की खेती में कम निवेश और उत्पादन की चुनौतियां भी कीमतों में वृद्धि को बढ़ावा दे सकती हैं। यदि 2025 में कृषि क्षेत्र में तकनीकी सुधार जैसे बेहतर बीज, जल प्रबंधन और कीट नियंत्रण किए जाते हैं, तो ग्वार की खेती अधिक लाभदायक हो सकती है और कीमतों में संतुलन आ सकता है। हालांकि, यदि ये सुधार अपर्याप्त रहते हैं, तो कीमतें बढ़ती रह सकती हैं। भारत से ग्वार का निर्यात एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है और निर्यात नीति में किसी भी तरह के बदलाव का ग्वार की कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
क्या रह सकता है ग्वार का भाव
2025 में ग्वार की कीमतों में उतार-चढ़ाव कई कारकों पर निर्भर करेगा। यदि भारत की निर्यात नीति में कोई परिवर्तन होता है, जैसे कि निर्यात में कमी या शुल्क वृद्धि, तो ग्वार की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक स्तर पर ग्वार की मांग में वृद्धि होने पर भी भारत में ग्वार के दाम बढ़ सकते हैं। हालांकि, यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो ग्वार की मांग कम हो सकती है, जिससे कीमतें स्थिर रह सकती हैं। भारत सरकार की कृषि और निर्यात नीतियां भी ग्वार के भाव को प्रभावित करती हैं। यदि सरकार द्वारा ग्वार का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाता है तो कीमतों में स्थिरता आ सकती है। इसके अलावा, ग्वार के औद्योगिक उपयोग में होने वाले बदलाव, जैसे नई तकनीकों का विकास या वैकल्पिक उत्पादों का उपयोग, भी ग्वार की कीमतों पर असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में ग्वार की कीमतों में वृद्धि की संभावना है। वैश्विक मांग में वृद्धि, उत्पादन में कमी और कृषि क्षेत्र में आने वाली चुनौतियां ग्वार के दामों में वृद्धि के प्रमुख कारण हो सकते हैं। हालांकि, बाजार के भाव को प्रभावित करने वाले अन्य कारक भी हैं जो भविष्य में ग्वार की कीमतों को स्थिर या कम कर सकते हैं। इसलिए, किसानों और व्यापारियों के लिए यह आवश्यक है कि वे ग्वार के बाजार भाव का लगातार विश्लेषण करते रहें और उसी के अनुसार अपनी रणनीति बनाएं। बाकि व्यापार अपने विवेक से ही करे
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।