चने की बुवाई को लेकर आयी बड़ी अपडेट | चने के भाव में हो सकता है भारी फेरबदल
किसान साथियो चना एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जिसे खासकर रबी के मौसम में उगाया जाता है। कम पानी वाले इलाकों में किसान अक्सर चने के साथ सरसों और मसूर की खेती भी करते हैं। हालाँकि, कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल चने की बुवाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है। मध्य प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस दौरान प्रदेश में हुई बारिश ने तापमान में कमी ला दी है, जिसका रबी की फसलों, खासकर चने पर अच्छा असर पड़ा है। ठंडी और नमी वाली ये परिस्थितियाँ चने की फसल के लिए काफी अनुकूल होती हैं।
चने की बुवाई में आई गिरावट
कृषि संचालनालय, भोपाल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक मध्य प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष 135.34 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में की गई 135.04 लाख हेक्टेयर की बुवाई से थोड़ी अधिक है। हालांकि, चालू रबी सीजन के लिए रबी फसलों की बुवाई का लक्ष्य 140.08 लाख हेक्टेयर रखा गया है। दूसरी ओर, प्रमुख दलहनी फसल चना की बुवाई में इस साल कमी देखी गई है। इस वर्ष चना की बुवाई 20.11 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि में की गई 23.17 लाख हेक्टेयर की बुवाई से कम है। फिर भी, चालू रबी सीजन के लिए चना की बुवाई का लक्ष्य 20.52 लाख हेक्टेयर रखा गया है।
अन्य रबी फसलों की कितनी हुई बुवाई
देश में रबी फसलों की बुवाई में इस वर्ष कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। गेहूं की बुवाई में पिछले साल की तुलना में वृद्धि दर्ज की गई है। 90.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की जा चुकी है, जो पिछले वर्ष के 84.63 लाख हेक्टेयर से अधिक है। हालांकि, गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 91.86 लाख हेक्टेयर रखा गया है जो सामान्य क्षेत्र 94.22 लाख हेक्टेयर से कम है। फिर भी, वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि गेहूं की बुवाई का लक्ष्य हासिल हो सकता है। दूसरी ओर, जौ, मटर, मसूर और अन्य दलहनी फसलों की बुवाई में पिछले वर्ष की तुलना में कमी देखी गई है। जौ की बुवाई 47 हजार हेक्टेयर, मटर 2.53 लाख हेक्टेयर और मसूर 7.42 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष के आंकड़ों से कम है। सभी दलहनी फसलों की बुवाई 20.06 लाख हेक्टेयर में हुई है जो पिछले वर्ष के 33.73 लाख हेक्टेयर से काफी कम है। इसी तरह, प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई में भी कमी आई है। 12.40 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है, जो पिछले वर्ष के 13.97 लाख हेक्टेयर से कम है। अलसी की बुवाई भी 1.05 लाख हेक्टेयर रह गई है, जो पिछले वर्ष के 1.22 लाख हेक्टेयर से कम है। कुल मिलाकर, रबी तिलहनों की बुवाई 13.44 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले वर्ष के 15.19 लाख हेक्टेयर से कम है।
चना के भाव में आई गिरावट
पिछले साल दीपावली के आसपास चने के भाव काफी ऊंचे स्तर पर थे, कांटा किस्म 7201 रुपये और विशाल किस्म 7071 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी। हालांकि, इसके बाद से ही खरीदारों ने ऊंचे भावों के कारण खरीददारी कम कर दी। इंदौर मंडी में चने के भाव में पिछले कुछ दिनों से लगातार गिरावट देखी जा रही है। मंगलवार को चने के भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। पिछले चार दिनों में चने के भाव में कुल 200 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। 7 जनवरी, 2025 को इंदौर अनाज मंडी में कांटा किस्म 6650 से 6700 रुपये, विशाल किस्म 6400 से 6425 रुपये और डंकी किस्म 5600 से 5900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा था। वहीं, ऑस्ट्रेलिया से आयातित नए चने का कारोबार मुंबई में 7200 से 7300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर और तंजानिया पूल का चना 6500 से 6600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर उपलब्ध है।
आने वाले सीजन में चना के भाव क्या रह सकते है
ऑस्ट्रेलिया में चने का उत्पादन इस बार रिकॉर्ड स्तर पर होने की उम्मीद है जिसके कारण बड़ी मात्रा में चने का आयात भारत में हो रहा है। ऑस्ट्रेलियाई चने की गुणवत्ता भी पिछले एक दशक में सर्वश्रेष्ठ मानी जा रही है। भारत में त्योहारी सीजन समाप्त होने के बाद से चने की मांग कम हो गई है और बड़े पैमाने पर आयात के कारण कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। अप्रैल से अगस्त 2024 के दौरान भारत ने करीब 0.87 लाख टन चना आयात किया जिसमें से 75 हजार टन ऑस्ट्रेलिया से आया। आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया से और अधिक चने का आयात होने की संभावना है जिसकी कीमत 6500 रुपये प्रति क्विंटल रहने की उम्मीद है। इस कारण दिल्ली बाजार में चने के भाव में गिरावट देखी जा रही है और मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी चने के भाव कम होकर क्रमशः 7000 रुपये और 6850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भी चने के भाव में नरमी बनी रहेगी।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।