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अमेरिका से आयी बड़ी ख़बर | 2025 में 7000 रु में बिकेगा आपका ग्वार | देखें रिपोर्ट

अमेरिका से आयी बड़ी ख़बर | 2025 में 7000 रु में बिकेगा आपका ग्वार | देखें रिपोर्ट
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किसानों और व्यापारी भाइयों पिछले 4-5 सालों से लगातार सुस्त रहने के बाद अब ग्वार के बाजार में हलचल शुरू हो गई है। बाजार में अलग अलग स्तर पर विश्लेषक, निर्यातक, जानकार और व्यापारी बाजार की चाल पर अपना नजरिया रख रहे हैं। ग्वार की आवक धीरे धीरे कम होने लगी है और निर्यात डिमांड में इजाफा हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इस एक ही चीज है जो ग्वार के भाव में तेजी आने से रोक रही है वो है केरी फॉरवर्ड स्टॉक। हालांकि इस पुराने स्टॉक को लेकर भी बाजार में अलग अलग मत दिए जा रहे हैं। दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बताने की अमेरिका भारत से ग्वार गम का सबसे बड़ा आपकी जानकारी के लिए बताने की अमेरिका भारत से ग्वार गम का सबसे बड़ा आयातक देश है। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होने वाला है और सत्ता का यह परिवर्तन ग्वार के किसानों के अच्छे दिन ला सकता है। ऐसा होगा कि नहीं होगा यह तो भविष्य ही बताएगा लेकिन हमने ग्वार के बाजार का एक विस्तृत विश्लेषण किया है जिसके बाद ओवरऑल ट्रेंड निकाल कर सामने आ रहा है कि ग्वार में आने वाले समय में ₹6000 का स्तर दिख सकता है हमारे ऐसा कहने की पीछे क्या वजह है और क्या विश्लेषण है उसे आप इस रिपोर्ट में पढ़ सकते हैं। दोस्तो यह रिपोर्ट मंडी भाव टुडे के अपने विश्लेषण और ग्वार कारोबारी राहुल मित्तल के अनुभव के आधार पर तैयार की गई है। दोस्तो ग्वार उद्योग के लिए आगे का समय कई सकारात्मक संकेत लेकर आ रहा है। तो चलिए पढ़ते हैं ये रिपोर्ट

ग्वार उद्योग की मौजूदा स्थिति
दोस्तो जैसा कि आप सबको पता है कि ग्वार और ग्वार गम का उपयोग पारंपरिक रूप से ऑयल ड्रिलिंग और गैस इंडस्ट्री में होता आया है। ग्वार गम का ज्यादातर निर्यात अमेरिका को किया जाता है हालांकि, कोविड-19 के बाद ग्वार के उपयोग को एक नई दिशा मिल रही है । ग्वार गम अब फूड इंडस्ट्री सहित अन्य बाय-प्रोडक्ट्स में भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे इसकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले साल 1.25 लाख टन तक ग्वार गम फूड इंडस्ट्री में गया, जो इस उद्योग के लिए एक बड़ा अच्छा संकेत है।

डिमांड और सप्लाई का असंतुलन
दोस्तों पिछले कई सालों से लगातार ग्वार के भाव पिटने के कारण ग्वार उत्पादन में कमी देखने को मिली है। राहुल मित्तल के अनुसार भारत में पहले हर साल औसतन 60 लाख बोरी ग्वार का उत्पादन होता था, लेकिन पिछले सात-आठ वर्षों में यह धीरे-धीरे घटा है। पुराने केरी फॉरवर्ड स्टॉक के सहारे सप्लाई पूरी होती रही, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। ग्वार का कैरी-ओवर स्टॉक बेहद कम हो गया है, और नई फसल की आपूर्ति में भी कमी देखी जा रही है। इस कमी के कारण ग्वार की कीमतों में तेजी आने की संभावना है। फ़ूड इंडस्ट्री में उपयोग बढ़ने के कारण नई फसल के लिए डिमांड ज्यादा है, लेकिन सप्लाई सीमित है। मित्तल ने कहा कि फूड इंडस्ट्री में उपयोग के लिए केवल नया ग्वार ही लिया जाता है, इसलिए पुराना स्टॉक अभी भी ड्रिलिंग और गैस इंडस्ट्री में ही उपयोग होता है।

अमेरिका और वैश्विक बाजार का प्रभाव
दोस्तो अमेरिका में सत्ता परिवर्तन को भारतीय ग्वार उद्योग के लिए एक बड़ा अवसर बन सकता है। जैसा कि आप सबको पता है कि राष्ट्रपति ट्रंप बड़े तेल उत्पादक देश के साथ बहुत अच्छे संबंध रखने के लिए नहीं जाने जाते हैं इसलिए पूरी संभावना है कि ट्रंप सरकार की वापसी से ऑयल ड्रिलिंग और गैस इंडस्ट्री पर ज्यादा ध्यान देगी और इस कारोबार में तेजी आएगी, यह तेजी भारतीय ग्वार गम के लिए फायदेमंद होगी। दोस्तों अगर ग्वार के आयात निर्यात के गणित को समझे तो पहले 6 लाख टन के कुल ग्वार एक्सपोर्ट होता था और इस में से लगभग 4 लाख टन केवल अमेरिका को जाता था। हालांकि, कोविड के बाद यह आंकड़ा घटकर 1.5 लाख टन तक आ गया। अब ट्रंप सरकार की नीतियों और ऑयल ड्रिलिंग में वृद्धि के चलते यह एक्सपोर्ट फिर से बढ़ने की उम्मीद है। दोस्तों दूसरी बड़ी अच्छी बात यह है कि चीन में भी ग्वार गम की डिमांड बढ़ रही है। चीन में ग्वार गम फूड इंडस्ट्री में तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। पहले फूड इंडस्ट्री में केवल 10-15 हजार टन का एक्सपोर्ट होता था, जो अब 1 लाख टन से ऊपर पहुंच गया है। डिमांड बढ़ने से एक बार फिर से ग्वार के किसानों की अच्छे दिन आ सकते हैं।

ग्वार की कीमतों में संभावित तेजी
दोस्तों अगर डिमांड और सप्लाई का समीकरण इसी तरह बना रहा तो ग्वार के भाव 2025 में 6500-7000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकते हैं। हालांकि साल 2011-2012 जैसी तेजी फिर आएगी ऐसा नहीं लगता। हालांकि सप्लाई और डिमांड की आदर्श स्थिति में भाव 7 हज़ार से ऊपर भी जा सकते है। सरकार ने भी गवार इंडस्ट्री को सपोर्ट करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने नए प्लॉट्स को ग्वार खरीद में मंडी फीस से छूट दी है। सरकार की सपोर्ट नीतियों का फायदा इंडस्ट्री को जरूर मिलेगा। हालांकि पुराने प्लांट्स के लिए भी सब्सिडी और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित करने की जरूरत है।

बाजार में क्या है गड़बड़ झाला
सरकार द्वारा नई यूनिट्स को दी जा रही मंडी छूट और सब्सिडी पुराने प्लांट्स के लिए नुकसानदायक हो सकती है। मंडी भाव टुडे इस बात को जोर देकर कहना चाहते हैं कि सरकार को पुराने प्लांट्स के लिए भी सुविधाएं देनी चाहिए ताकि वे प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें। ग्वार के बाजार के लिए दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि भाव में बहुत ज्यादा तेजी मंदी रहने के कारण ग्वार का बाजार फेक न्यूज और अफवाहों से भी प्रभावित होता रहता है और अक्सर यह सट्टे का केंद्र बन जाता है। हाल ही में एचएम पीवी वायरस की फेक न्यूज के कारण बाजार में हलचल हुई, लेकिन जल्द ही स्थिति सामान्य हो गई। अगर ग्वार की तेजी को रोकने वाला कोई सबसे बड़ा फैक्टर है तो वह है कैरी फॉरवार्ड स्टॉक। ग्वार ऐसी फसल है जिसे बिना किसी दिक्कत के लंबे समय तक होल्ड किया जा सकता है इसलिए किसान और व्यापारी कई कई साल तक ग्वार को स्टॉक करके रखते हैं। लंबे समय तक स्टॉक रहने के कारण इसके सही करी फॉरवर्ड स्टॉक का अंदाजा लगाना मुश्किल होता भाव की। यही वजह है कि कैरी फॉरवार्ड स्टॉक को लेकर अलग-अलग बातें की जाती है । इसका सही-सही अंदाजा किसी को भी नहीं होता है लेकिन यूट्यूब सोशल मीडिया और फेसबुक पर बैठे तथाकथित जानकार अलग-अलग अफवाहें फैलाते रहते हैं। और ग्वार का बाजार सट्टे का केंद्र बन जाता है।

क्या हैं ग्वार के लिए सकारात्मक संकेत
1. एक्सपोर्ट में सुधार: अमेरिका और चीन जैसे देशों से बढ़ती डिमांड भारतीय ग्वार उद्योग के लिए अच्छा संकेत है।
2. फूड इंडस्ट्री में बढ़ता उपयोग: ग्वार गम का उपयोग अब केवल ऑयल ड्रिलिंग तक सीमित नहीं है। फूड इंडस्ट्री में इसका बढ़ता उपयोग नई संभावनाएं पैदा कर रहा है।
3. सरकारी नीतियां: नई यूनिट्स को मिल रही सब्सिडी से उत्पादन में वृद्धि होगी।
4. कीमतों में तेजी: सप्लाई की कमी और बढ़ती डिमांड के कारण ग्वार की कीमतें बढ़ने की पूरी संभावना है।
5. पिछले वर्षों में किसानों के पास एक करोड़ बोरी का कैरीओवर स्टॉक हुआ करता था, लेकिन अब यह घटकर 50 लाख बोरी तक रह गया है। पीएम मोदी के हाल के कुवैत दौरे के बाद, गवार के निर्यात में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

रोके या बेचे
दोस्तो जैसा कि हमने उपर बताया कि साल 2025 में ग्वार के लिए 6500-7500 रुपये के भाव तक की तेजी उम्मीद कर सकते है। डिमांड और सप्लाई में सुधार के साथ ग्वार उद्योग के लिए आने वाला समय सुनहरे अवसर लेकर आएगा। जिन साथियों के पास इस समय ग्वार रखा हुआ है वह इसे होल्ड कर सकते हैं और उम्मीद कर सकते हैं कि जल्दी ही पहले 6000 और बाद में 6500 के स्तर ग्वार के भाव में दिखाई देंगे

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।