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बाजरे के बाजार में तेजी की संभावना। किसानों और व्यापारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव

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किसान साथियों इन दिनों कृषि बाजार में बाजरा को लेकर काफी चर्चा हो रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान और व्यापारी इस साल गर्मियों में बाजरे की फसल को लेकर कुछ चिंतित नजर आ रहे हैं। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल ग्रीष्मकालीन बाजरे की पैदावार पिछले सालों के मुकाबले काफी कम हुई है। इसकी वजह से बाजार में इसकी कीमतों में उछाल आने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, बाजरा भारत के कई राज्यों में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है जिस पर लाखों किसानों की आजीविका निर्भर करती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर बाजरे की खेती होती है। इस साल जहां एक ओर पानी की कमी और उत्पादन लागत बढ़ने के कारण किसानों ने बाजरे की बिजाई कम की है, वहीं दूसरी ओर पिछले सीजन का स्टॉक भी अब बाजार में कम बचा है। ये सभी कारण मिलकर बाजरा बाजार में एक नई गतिविधि पैदा कर रहे हैं जिसका असर आने वाले दिनों में साफ देखने को मिल सकता है। तो चलिए बाजरे के मौजूदा भाव आवक और उत्पादन पर विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं इस रिपोर्ट में।

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बाजरे की फसल में कमी के कारण

इस साल गर्मियों में बाजरे की फसल में जो कमी देखने को मिल रही है, उसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। सबसे पहली बात तो यह कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने इस बार बाजरे की बिजाई ही कम की है। ऐसा मुख्य रूप से दो वजहों से हुआ - पहली वजह तो यह कि सिंचाई के लिए पानी की कीमतें बढ़ गई हैं जिससे उत्पादन लागत काफी अधिक हो गई। दूसरा बड़ा कारण यह है कि पिछले कुछ सीजन से बाजरे के भाव किसानों को लुभावने नहीं लग रहे थे, जिससे उन्होंने इस बार अन्य फसलों को प्राथमिकता दी। राया, मथुरा, भरतपुर और आगरा जैसे इलाकों में जहां आमतौर पर गर्मियों में बाजरे की अच्छी पैदावार होती है, वहां इस बार फसल का रकबा काफी कम रहा। इन इलाकों से आने वाली रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल बाजरे की आवक पिछले साल के मुकाबले लगभग 27-28 प्रतिशत तक कम हुई है। यह कमी बाजार में सप्लाई की कमी का एक बड़ा कारण बन रही है।

बाजरे की स्टॉक स्थिति 

बाजरा बाजार  के मौजूदा हालातो को जानने  के लिए स्टॉक पोजीशन को समझना बेहद जरूरी है। दरअसल, खरीफ सीजन का बाजरा अब लगभग 8 महीने से बाजार में आ रहा था और अब इसका स्टॉक काफी कम बचा है। सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही स्रोतों से मिलने वाला बाजरा अब बाजार में कम ही दिखाई देता है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से अब नया बाजरा आने में अभी कम से कम 4-5 महीने का समय है। इस बीच बाजार में मौजूदा स्टॉक पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। पिछले सीजन में हालांकि बाजरे की बिजाई अच्छी हुई थी, लेकिन लगातार मांग बनी रहने के कारण जो माल बाजार में आता गया, वह तुरंत बिकता गया। इससे पाइपलाइन में कोई बड़ा स्टॉक जमा नहीं हो पाया।

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बाजरे की मांग और आपूर्ति 

बाजरा बाजार की मौजूदा गतिविधियों को समझने के लिए मांग और आपूर्ति के समीकरण को देखना जरूरी है। इस साल बाजरे का कुल उत्पादन लगभग 170-175 लाख मीट्रिक टन के आसपास रहने का अनुमान है। दिलचस्प बात यह है कि खाद्यान्नों के रूप में बाजरे की खपत में पिछले कुछ सालों में लगभग 27% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं दूसरी ओर, एथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलरी प्लांट्स की मांग भी बाजरे के बाजार को प्रभावित कर रही है। जनवरी के बाद से सरकार ने एथेनॉल कंपनियों को 2250 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 24 लाख टन चावल बेचने की अनुमति दी थी और फिर हाल ही में 28 लाख टन अतिरिक्त चावल बेचने की घोषणा की है। इसका बाजरे की मांग पर कुछ प्रभाव पड़ा है, लेकिन अब यह प्रभाव कम होता दिख रहा है।

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बाजरे के मौजूदा भाव 

वर्तमान में बाजरे के भाव क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हैं। उत्तर प्रदेश के इटावा, औरैया, कासगंज, एटा और मैनपुरी जैसे इलाकों में बाजरा 2240-2250 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है। वहीं राजस्थान के भीलवाड़ा, दुर्ग, शेखावाटी और मरुधर क्षेत्र में इसके भाव 2260-2270 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि मौली बरवाला जैसे कुछ मंडियों में सूखे बाजरे की मांग 2400-2450 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने लगी है, लेकिन इतने भाव पर भी माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा भाव में अभी 100-125 रुपए प्रति क्विंटल तक की तेजी और आ सकती है, क्योंकि नई फसल आने में अभी काफी समय बाकी है। बाजरे की स्थिति को अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से देखें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस समय ग्रीष्मकालीन बाजरे की फसल तैयार है और कटाई शुरू हो चुकी है। मथुरा, भरतपुर और आगरा लाइन में नया ग्रीन बाजरा 2250-2350 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रहा है, जो नमी की मात्रा के आधार पर तय किया जा रहा है। वहीं आगरा-मथुरा लाइन में अभी साठी बाजरा आना शुरू हुआ है, लेकिन इसकी बिजाई भी कम हुई है। राजस्थान के परंपरागत बाजरा उत्पादक क्षेत्रों से भी इस समय आवक कम ही देखने को मिल रही है। पश्चिमी बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों से भी बाजरा आता है, लेकिन वहां से भी इस बार आवक में कमी दर्ज की गई है।

भविष्य की संभावना 

साथियों इस समय बाजरा बाजार की जो स्थिति है, उसे देखते हुए किसानों और व्यापारियों के लिए कुछ सलाह दी जा सकती है। जिन किसानों के पास अभी बाजरा का स्टॉक है, उन्हें थोड़ा और इंतजार करना चाहिए क्योंकि भाव और बढ़ने की संभावना है। हालांकि, यह भी ध्यान रखना होगा कि बाजार में अचानक कोई बड़ा स्टॉक आ जाए तो भाव गिर भी सकते हैं। इसके अलावा व्यापारियों के लिए यह समय सावधानी से काम करने का है। छोटे-छोटे लॉट में खरीदारी करना और मार्जिन का ध्यान रखना समझदारी होगी। बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए यह समय अपनी जरूरत के हिसाब से स्टॉक जमा कर लेने का अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि आने वाले महीनों में भाव और बढ़ सकते हैं। व्यापार अपने विवेक और संयम से करें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।