सरकार के इस फैसले के बाद 6000 का आंकड़ा छु सकते हैं चने के भाव | देखें पूरी खबर
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों चने के बाजार के लिए एक बढ़िया खबर है । अगर आप मंडी मार्केट की प्रीमियम सर्विस पर हैं तो आपको या खबर दो दिन पहले ही दे दी गई थी । और यह बताया गया था कि चने पर आयात शुल्क लग सकता है । अब यह फैसला धरातल पर आ गया है । भारत सरकार ने घरेलू चना उत्पादन में सुधार और रबी सीजन की मजबूत फसल की उम्मीद के बीच 1 अप्रैल 2025 से चना (बेसन वाला काबुली या देसी चना) पर 10% आयात शुल्क दोबारा लगाने का फैसला लिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मई 2024 से चने के आयात पर कोई शुल्क नहीं था। सरकार के इस फैसले के बाद चने के भाव में सुधार आने की संभावना बढ़ गई है । सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब देश में दालों के उत्पादन में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। यह फैसला स्थानीय किसानों को समर्थन देने और दालों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें।
चना उत्पादन में धीरे-धीरे सुधार
कृषि मंत्रालय की दूसरी अग्रिम अनुमान रिपोर्ट (28 फरवरी) के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में चना उत्पादन 11.54 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 11.04 मिलियन टन था। हालाँकि यह FY22 में दर्ज 13.54 मिलियन टन के उच्चतम स्तर से कम है, लेकिन यह सुधार की ओर इशारा करता है। मंत्रालय के मुताबिक, चना उत्पादन FY22 से FY24 तक गिरावट में रहा, लेकिन इस वर्ष हल्की बढ़ोतरी के साथ सरकार को उम्मीद है कि घरेलू आपूर्ति और मूल्य संतुलन फिर से स्थापित हो सकेगा।
क्या चल रहे है चने के भाव
किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, देशभर की मंडियों में चने के भाव में कल मजबूती देखी गई। कई मंडियों में 100 से 200 रुपये तक की तेजी दर्ज हुई। लातूर में चना विजया ₹ 6000 तक, इंदौर में काबुली चना ₹ 9000 तक और रायपुर में लोकल चना ₹ 5900 तक पहुँचा। पिपरिया, बीकानेर, जालना, जयपुर, इंदौर जैसी मंडियों में तेज़ी का माहौल रहा। वहीं दिल्ली और जयपुर में भाव स्थिर रहे। आष्टा, अहमदनगर, और इंदौर में मौसमी और काबुली किस्मों के अच्छे भाव मिले। कोटा, महोबा, अक्कलकोट, सोलापुर, गुलबर्गा, और सेडम में आवक बढ़ी है। कुल मिलाकर आज चना बाजार में मांग मजबूत रही और खरीदार सक्रिय नजर आए, जिससे भावों में तेजी बनी रही। आज भी भावों के तेज खुलने की उम्मीद है ।
चना आयात और पीली मटर पर बहस
कम उत्पादन और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने मई 2024 में चना आयात को शुल्क-मुक्त कर दिया था, जिससे ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया जैसे देशों से चने का आयात बढ़ा। अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। लेकिन अब, बढ़ते घरेलू उत्पादन को देखते हुए सरकार ने फिर से आयात शुल्क लागू कर दिया है। इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के चेयरमैन बिमल कोठारी ने इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि अब पीली मटर (Yellow Peas) के शुल्क-मुक्त आयात को भी समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे भारतीय किसानों को नुकसान हो रहा है।
आत्मनिर्भर भारत: दालों में नया मिशन शुरू
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में छह साल के 'पल्सेज आत्मनिर्भरता मिशन' की घोषणा की है, जिसका विशेष फोकस तूर, उड़द और मसूर पर रहेगा। इस मिशन के तहत नेफेड और एनसीसीएफ किसानों से इन दालों की बिना सीमा के खरीदारी करेंगे, बशर्ते किसान इन एजेंसियों के साथ पंजीकरण और अनुबंध करें। मिशन का उद्देश्य जलवायु-प्रतिरोधी बीजों का विकास, उच्च प्रोटीन सामग्री और उत्पादकता को बढ़ाना है। इसके अलावा, कटाई के बाद भंडारण और प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिससे किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके। भारत की दालों पर बढ़ती आयात निर्भरता भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक है। 2024 में भारत का दाल आयात लगभग दोगुना होकर 6.63 मिलियन टन हो गया, जो पिछले वर्ष 3.31 मिलियन टन था। यह देश की कुल खपत (लगभग 27 मिलियन टन) का एक-चौथाई हिस्सा है।
तेज खुल सकते हैं बाजार
दोस्तों चना पर 10% आयात शुल्क लगने से आयातित चना 500 रुपए प्रति क्विंटल तक महंगा हो जाएगा । अगर आप भी मंडी बाजार से जुड़े हैं और आयात-निर्यात से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो हमारी प्रीमियम सेवा मात्र ₹500 में 6 महीने के लिए उपलब्ध है। इसके लिए 9518288171 पर संपर्क करें। इससे घरेलू बाजार में भी सुधार बनने कि संभावना है । चना पर आयात शुल्क की बहाली न सिर्फ घरेलू किसानों को राहत देगी, बल्कि सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती देगी। साथ ही, दालों में स्थायी आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए नई नीतियां और मिशन आने वाले वर्षों में भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि संरचना को बदल सकते हैं।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।