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आयात हल नहीं, तेलों के संकट से निपटने के लिए घरेलु उत्पादन पर देना होगा ध्यान, सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट

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आयात हल नहीं, तेलों के संकट से निपटने के लिए घरेलु उत्पादन पर देना होगा ध्यान, सरसों तेजी मंदी रिपोर्ट

किसान साथियो मलेशिया में हो रही खाद्य तेलों की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। विदेशों में खाद्य तेलों पर दबाव आने के कारण भारतीय बाजार दबाव मे जरूर दिख रहे हैं लेकिन अभी भी बाजारों में थोड़ी मजबूती बनी हुई है। यहां पर गिरावट का अनुपात विदेशी बाजारों के मुकाबले कम है। इस रिपोर्ट में हम सरसों के बाजार में होने वाली हलचलों को देखेंगे।

हालांकि शुक्रवार को विदेशों में खाद्य तेलों के साथ ही सोयाबीन के भाव में हल्की तेजी आने के बावजूद भी घरेलू बाजार में सरसों एवं इसके तेल की कीमतों में हल्की नरमी दर्ज की गई। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 6,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ब्रांडेड कंपनियों ने भी सरसों के खरीद भाव में 100 रुपये तक की कटौती की। सलोनी प्लान्ट पर सरसों का भाव 7250 रुपये प्रति क्विंटल रहा । हाजिर मंडियों की बात करें तो भरतपुर में 100 रुपये प्रति क्विंटल की नरमी दर्ज की गई। सरसों की आवक भी घटकर 1.90 लाख बोरियों की ही बनी रही।

मलेशिया में लगातार तीन दिनों की भारी गिरावट के बाद पॉम तेल की कीमतों में हल्का सुधार तो आया है लेकिन ओवर ऑल मार्केट दबाव मे ही दिख रहा है। शिकागों में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में भी सोयाबीन और सोया तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। लेकिन घरेलू बाजार में तेल मिलों की मांग सरसों में कमजोर ही बनी रही। हालांकि इन भाव में स्टॉकिस्टों एवं मिलो की बिकवाली भी कमजोर देखी गई। जानकारों के अनुसार इंडोनेशिया की सरकार बढ़ती पाम उत्पादों की इन्वेंट्री को कम करने के लिए निर्यात शुल्क में कटौती जैसे कदम जल्द उठा सकती है, इसलिए घरेलू बाजार में अभी खाद्य तेलों की कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।

विदेशी बाजारों की अपडेट

विदेशी बाजारों की बात करें तो बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (BMD) पर सितंबर महीने के वायदा अनुबंध में लगातार तीन दिनों की भारी गिरावट के बाद शुक्रवार पाम तेल की कीमतों में 17 रिगिंट का मामूली सुधार आकर भाव 3,585 रिगिट प्रति टन हो गए। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) पर सोयाबीन, सोया तेल की कीमतें आज इलेक्ट्रॉनिक व्यापार में तेज हुई, लेकिन मील की कीमतों में मंदा आया।

इंडोनेशिया के अधिकारियों के अनुसार सरकार पाम तेल निर्यात कर पर नए नियम लाने और निर्यात और बढ़ती इन्वेंट्री को कम करने के लिए जल्द ही प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है। उधर उद्योग भी इंडोनेशियाई अधिकारियों से निर्यात प्रतिबंधों और करों को कम करने का आग्रह कर रहा है ताकि वह उन उत्पादों को पहले बेच सके जो बर्बाद हो रहे हैं, क्योंकि आने वाली फसल को रखने के लिए स्टॉक को खाली करना जरूरी है ।

घरेलू बाजारों की बात करें तो मूँगफली के तेल को छोडकर सभी खाद्य तेलों में गिरावट ही देखने को मिली है। जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भी प्रति 10 किलो मे 11 रुपये कमजोर होकर क्रमश - 1,375 रुपये और 1,365 रुपये प्रति 10 किलो रह गई । हालांकि इस दौरान सरसों खल की कीमतों में 25 रुपये का सुधार आकर भाव 2,675 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सरसों की आवक

देशभर की मंडियों में शुक्रवार को सरसों की दैनिक आवक 1.90 लाख बोरियों की ही हुई, जबकि गुरूवार को भी आवक इतनी ही बोरियों की हुई थी। राज्यवार सरसों की आवक इस प्रकार से रहीं
राजस्थान सरसों आवक 100000 बोरी
मध्य प्रदेश सरसों आवक 15 हजार बोरी
उत्तर प्रदेश सरसों आवक 30 हजार बोरी,
हरियाणा और पंजाब सरसों आवक  15 हजार बोरी
गुजरात सरसों आवक  5 हजार बोरी
अन्य राज्यों की मंडियों में सरसों आवक 25 हजार

ज्ञातव्य है कि विदेशों में तेल कीमतों की मंदी से आयातक और तेल उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ा है। दूसरी ओर बंदरगाहों पर आयातित तेलों की पहली खेप के माल भी पूरी तरह नहीं बिके हैं।

सरकार को तेल तिलहन बाजार की उठापटक पर कड़ी नजर रखनी होगी। किसानों के हित को ध्यान में रखकर, उन्हें प्रोत्साहन देकर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे। शुल्क मुक्त आयात जैसे कदम से तात्कालिक रूप से तेल कीमतें कुछ कम हो सकती हैं पर यह भी देखना होगा कि विदेशों के सस्ते तेल की भरमार हमारे तिलहन किसानों के उत्पादों के भाव बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि आयातित तेल सस्ते होंगे तो देशी तेल तिलहनों को ऊंचे भाव पर कोई क्यों खरीदेगा। ऐसे में किसान तिलहन की जगह किसी और लाभप्रद फसल का रुख कर सकते हैं। देश की तेल तिलहन मामले में पूरी तरह से वी विदेशी बाजारों पर निर्भरता एक खतरनाक स्थिति होगी और इस पूरे परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को तेल तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सोची समझी रणनीति अख्तियार करने के साथ चौकस होना होगा।

रोके या बेचे

किसान साथियो हम अभी भी अपनी सरसों को होल्ड करने की सलाह पर कायम है। जिस हिसाब से सरसों की आने वाले समय में कमी दिख रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में सरसों में तेजी आनी निश्चित है हालांकि इसके लिए दिवाली तक भी इंतजार करना पड़ सकता है। निकट भविष्य में सरसों का भाव विदेशी बाजारो पर तेजी मंदी पर ही चलने वाला है इसलिए थोड़ा और हौंसला रखने की जरूरत है। बाकी व्यापार अपने विवेक से करें।

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