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विदेशी बाजारों में गिरावट थमते ही सरसों में आएगी तेजी? जानिए कितना इंतजार

Sarso report

विदेशी बाजारों में गिरावट थमते ही सरसों में आएगी तेजी? जानिए कितना इंतजार

किसान साथियो सरसों में पिछले 1 महीने से जबरदस्त उतार चढ़ाव का माहौल बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेलों की जो हालत हुई है वो आप सबने देख ली है। विदेशी बाजारों में पाम तेल के भाव 7500 से गिरकर 3900 तक आ चुके हैं। लेकिन गनीमत की बात यह है कि इतनी बड़ी गिरावट के बावजूद भी भारत में मजबूत फंडामेंटल के चलते सरसों के भाव में 500 रुपये तक की गिरावट ही हुई है। इस रिपोर्ट में हम भारतीय बाजारों में सरसों की मजबूती और आगे बन रही सम्भावनाओं पर चर्चा करेंगे।

ताजा मार्केट अपडेट

पिछले हफ्ते लगातार 3 दिन की तेजी के बाद बढ़ी हुई कीमतों पर तेल मिलों की मांग कम होने से घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में मामूली नरमी आई, लेकिन तेल के दाम स्थिर बने रहे। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 25 रुपये नरम होकर 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जबकि दिल्ली लॉरेंस रोड़ पर सरसों के भाव 6500-6600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।  
ब्रांडेड कंपनियों में सलोनी प्लान्ट पर भी सरसों के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल तक कि कटौती करके 7350 रुपये प्रति क्विंटल में खरीद की गई। महेश एडीबल पर भी भाव 7350 ही रहे। अन्य मिलों पर भाव में स्थिरता देखने को मिली।
हाजिर मंडियों में सरसों के भाव में थोड़ी बहुत घट बढ़ देखने को मिली है। राजस्थान की मुख्य मंडियों में सरसों के भाव (Sarson Rate in Rajasthan) की बात करें तो नोहर मंडी में सरसों का टॉप भाव 6230, भरतपुर में 75 रुपये प्रति क्विंटल मंदी के साथ भाव ₹ 6451, हनुमानगढ़ में सरसों का रेट 6314, गोलूवाला में सरसों का रेट 5830, अनूपगढ़ में सरसों का भाव 6225, सादुलशहर में सरसों का भाव 6115, संगरिया में सरसों का रेट 6484रायसिंहनगर में सरसों का भाव ₹ 6246, श्रीगंगानगर में टोप भाव 6570 और केकड़ी मंडी में सरसों का भाव 6450 रुपये प्रति क्विंटल तक बोला गया।

हरियाणा की मुख्य मंडियों में सरसों के भाव( Haryana Sarso Rate) की बात करें तो ऐलनाबाद में सरसों का रेट 6273, आदमपुर में भाव 6471, बरवाला मंडी में सरसों का भाव 6285,और सिरसा मंडी में सरसों का टॉप भाव 6150 से 6295 रूपए तक बोला गया।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें शनिवार को लगातार दिनों की तेजी के क्रमश 1,391 रुपये और 1,81 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गई। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 2,650 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर टिक गई

सरसों की आवक

किसान साथियो जहां तक आवक की बात है अब यह 1.70 लाख बोरी की ही रह गई है। यही हालात बने रहे तो सरसों की चौतरफा कमी हो सकती है। साथियो हमने अपनी पहले की रिपोर्ट में भी बताया है कि खपत के हिसाब से सरसों कम है।

राज्यवार सरसों की आवक इस प्रकार से रही

राजस्थान आवक 90000 बोरी
मध्य प्रदेश आवक 10000 बोरी
उत्तर प्रदेश आवक 25000 बोरी
हरियाणा और पंजाब आवक 15000 बोरी
गुजरात आवक 5000 बोरी
अन्य आवक 25000 बोरी
टोटल आवक 170000 बोरी

घरेलू बाजार में पिछले दो दिनों से सरसों के भाव में तेजी बनी हुई थी, लेकिन शनिवार को बढ़ी हुई कीमतों में मिलों की खरीद कम हो गई। लेकिन नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों एवं किसानों की बिकवाली कम आने से सरसों की दैनिक आवकों में कमी दर्ज की गई। भाव और आवक की घट बढ़ यह दर्शा रही गई है कि स्थिति टाइट होने वाली है।
इस सबके बीच सरकार भी बीच बीच में अपना पेंच अटकाती रहती है।  केंद्र सरकार ने उद्योग संगठनों से खाद्य तेलों के एमआरपी पर 15 रुपये तत्काल प्रभाव से कम करने का निर्देश दिया हुआ है। इसका असर भी तेल तिलहन की कीमतों पर दिखेगा। सरकार की ओर से खाद्य तेलों के दाम और कम करने की पहल के तहत खाद्य तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई जिसमें खाद्य तेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) में लगभग 15 रुपये प्रति लीटर तक की और कटौती करने और वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से निर्देश दिया गया।

विदेशी बाजारों की अपडेट

विश्व स्तर पर अभी भी मंदी की आशंका दूर नहीं हुई है। इंडोनेशिया में पाम तेल की इन्वेंट्री लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण इंडोनेशिया सरकार पर पॉम तेल का स्टॉक हल्का करने का दबाव है। चूँकि निकट भविष्य में विदेशी बाजारों का भारतीय बाजारों पर दबाव रहेगा ही, ऐसे में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। लेकिन थोड़े लंबे समय को देखें तो माहौल अच्छा बनता दिखाई दे रहा है।

विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला सहित लगभग सभी खाद्य तेलों के दाम में गिरावट आई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में पिछले सप्ताह के मुकाबले खाद्य तेलों का बाजार काफी टूटा है जो गिरावट का मुख्य कारण है। पिछले दिनों विदेशी बाजारों में आयी भारी गिरावट की वजह से देश में आयातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उन्होंने जिस भाव पर सौदे खरीदे थे अब उन सौदों का निपटाना मुश्किल हो गया है क्योंकि इस बीच सीपीओ और सोयाबीन डीगम जैसे खाद्य तेलों के दाम विदेशों में बुरी तरह टूटे हैं। इससे आयातकों के लिए ऊंचे भाव पर आयात किया गया खाद्य तेल आधे से कम भाव पर बेचने की नौबत आ गई है। उन्हें बैंक कर्ज का भुगतान करने की परेशानी आ रही हैं। इसके अलावा आगे के सौदे के लिए बैंक उनको साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) देने से कतरा रहे हैं।

किसान क्या करें रोके या बेचे

किसान साथियो मौसम बदलने के साथ ही खाद्य तेलों की बढ़ती हुई डिमांड के कारण अभी तक सरसों में कोई बहुत बड़ी गिरावट नहीं आयी है। जिस हिसाब से विदेशी बाजार गिरे हैं हालत काफी पतली हो सकती थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि भारत में सरसों की जड़ में मंदा नहीं है। सरकारी सख्ती के कारण ना किसी के पास सरसों का पुराना स्टॉक है ना किसी मिल के पास बड़ा स्टॉक है। ऐसे में आने वाले समय में सरसों के भाव में अच्छी तेजी की संभावना बनती दिख रही है। जैसे ही विदेशी बाजारों में गिरावट थमेगी भारत में भाव तेजी से उपर आ सकते हैं।