विश्वकर्मा योजना है क्या और इससे किस किसको कितना फायदा मिल सकता है | यहां जाने
किसान साथियों भारत सरकार समय-समय पर विभिन्न योजनाएँ लेकर आती है, जिनका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना होता है। इन्हीं योजनाओं में से एक है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, जिसे विशेष रूप से शिल्पकारों और कारीगरों को आर्थिक सहयोग देने के लिए शुरू किया गया है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कम ब्याज दर पर ऋण, तकनीकी प्रशिक्षण, टूलकिट प्रोत्साहन, और डिजिटल ट्रांजैक्शन से जुड़ने के लिए विशेष सहायता प्रदान की जाती है।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना क्या है?
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत सरकार की एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इसके तहत बायोमेट्रिक आधारित पंजीकरण प्रक्रिया के माध्यम से लाभार्थियों को विशेष प्रमाणपत्र और पहचान पत्र प्रदान किया जाता है। यह योजना उन कारीगरों और शिल्पकारों के लिए बनाई गई है, जो अपने हाथों से या औजारों की मदद से कठिन श्रम करते हैं। इसका उद्देश्य इन पारंपरिक व्यवसायों को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में शामिल करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
वित्तीय सहायता और ऋण की विशेषताएँ
इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को गिरवी-मुक्त ऋण दो चरणों में प्रदान किया जाता है:
पहली किस्त - 1 लाख रुपये तक का ऋण, जिस पर केवल 5% की रियायती ब्याज दर लागू होगी।
दूसरी किस्त - पहली किस्त का सफलतापूर्वक उपयोग करने के बाद, 2 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा।
सरकार द्वारा 8% की सीमा तक ब्याज अनुदान प्रदान किया जाता है, जिससे कारीगरों को ऋण चुकाने में आसानी होती है। इस वित्तीय सहायता से लाभार्थी अपने कार्य में आवश्यक संसाधनों की खरीद, व्यापार के विस्तार, और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में सक्षम होंगे।
कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ उन व्यक्तियों को मिलेगा जो एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में कार्यरत हैं। खास बात यह है कि यह योजना केवल शिक्षित युवाओं के लिए ही नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए भी उपलब्ध है, जिन्होंने औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं की है। स्कूल छोड़ चुके युवा से लेकर M.Tech डिग्री धारक तक इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। सरकार का उद्देश्य इन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आवश्यक वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना है।
योजना में कौन-कौन शामिल
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कई प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित कारीगर और शिल्पकार आते हैं:
नाव निर्माता - पारंपरिक रूप से नावों का निर्माण करने वाले कारीगर।
मूर्तिकार - विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ बनाने वाले शिल्पकार।
बढ़ई - लकड़ी से फर्नीचर और अन्य वस्तुएँ बनाने वाले।
टूलकिट निर्माता - औद्योगिक और पारंपरिक औजारों के निर्माता।
पत्थर तोड़ने वाले - निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाले पत्थरों को तैयार करने वाले।
हथियार निर्माता - पारंपरिक हथियार और औजार बनाने वाले कारीगर।
लोहार - धातु से बने उत्पाद तैयार करने वाले।
ताला बनाने वाले - सुरक्षा से जुड़े उपकरण और ताले बनाने वाले।
गुड़िया और खिलौना निर्माता - पारंपरिक भारतीय खिलौनों का निर्माण करने वाले।
धोबी - पारंपरिक कपड़ा धुलाई और प्रेस करने वाले।
कुम्हार - मिट्टी के बर्तन और अन्य उत्पाद बनाने वाले।
दर्जी - कपड़ों की सिलाई और डिजाइनिंग का कार्य करने वाले।
मोची/जूता कारीगर - जूते और चमड़े के उत्पाद बनाने वाले।
नाई - बाल और दाढ़ी संवारने का कार्य करने वाले।
राजमिस्त्री - भवन निर्माण और मरम्मत का कार्य करने वाले।
मछली पकड़ने का जाल निर्माण करने वाले।
टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर - घरेलू उपयोग की वस्तुएँ बनाने वाले।
अन्य लाभ और सुविधाएँ
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत सिर्फ वित्तीय सहायता ही नहीं, बल्कि कई अन्य सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं, जिनमें शामिल हैं:लाभार्थियों को उनके व्यवसाय को उन्नत बनाने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है साथ ही कारीगरों को आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए विशेष प्रोत्साहन ₹15,000 तक का टूलकिट प्रोत्साहन राशि दी जाती है। लाभार्थियों को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वे कैशलेस भुगतान प्रणाली को अपना सकें। इसके अलावा उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।