Movie prime

महिला किसानो को सरकार ने दिया बड़ा तोहफा | जाने पूरी डिटेल्स

महिला किसान
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

किसान साथियों पुरुष तो खेतीबाड़ी करते ही थे परंतु अब महिलाये भी खेतीबाड़ी मे अपना योगदान दे सकती है  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखपति दीदी योजना और कृषि सखी योजना महिलाओं को खेती-किसानी में आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से शुरू की गई हैं। ये योजनाएँ महिलाओं को कृषि क्षेत्र में शामिल कर उन्हें अधिक सशक्त और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

क्या है लखपति दीदी योजना (what is Lakhpati Didi Yojana)
लखपति दीदी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है ताकि वे अपनी आमदनी बढ़ा सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। इस योजना के तहत महिलाएं विभिन्न प्रकार के कृषि और गैर-कृषि कार्यों में शामिल होकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकती हैं। इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे महिलाओं को लखपति (एक लाख रुपये या उससे अधिक आय अर्जित करने वाली) बनाने के लक्ष्य के साथ डिज़ाइन किया गया है।

कृषि सखी योजना (Krishi Sakhi Yojana)
कृषि सखी योजना का उद्देश्य महिलाओं को कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षित और सशक्त बनाना है। कृषि सखियां वे महिलाएं होती हैं जो कृषि संबंधी तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर अन्य महिला किसानों को सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। इस योजना के तहत कृषि सखियों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं, जिसमें फसल उत्पादन, पशुपालन, उद्यानिकी, और जल प्रबंधन शामिल हैं।

हाल की पहलें और मान्यता
18 जून को पीएम मोदी ने पीएम किसान योजना के तहत पीएम किसान सम्मान निधि की राशि जारी करते हुए लगभग 30,000 कृषि सखियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सखी पहल को 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रही है।
लखपति दीदी योजना और कृषि सखी योजना जैसी पहलों से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी मिलेगी। ये योजनाएँ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित करेंगी और उन्हें कृषि क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेंगी।

कृषि सखी योजना (Krishi Sakhi Yojana) के तहत ग्रामीण महिलाओं को कृषि के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, जिससे वे अन्य किसानों का सहयोग कर सकें और खेती में उत्पादन को बढ़ाने में सहायता कर सकें। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में फसल उत्पादन बढ़ाने और खेती में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता (MoU) भी हुआ है।
कृषि सखी योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले प्रशिक्षण के प्रमुख क्षेत्र
1.    फसल उत्पादन तकनीक:

  • उन्नत बीज चयन
  • सही समय पर बुआई और रोपाई
  • सिंचाई और जल प्रबंधन तकनीक
  • जैविक खेती और उर्वरक प्रबंधन

2.    फसल संरक्षण:

  • कीट और रोग प्रबंधन
  • जैविक कीटनाशकों और पेस्टिसाइड्स का उपयोग
  • फसल के बाद संरक्षण तकनीक

3.    मिट्टी प्रबंधन:

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के तरीके
  • मिट्टी परीक्षण और उर्वरक की सही मात्रा का निर्धारण
  • सतत खेती के लिए मिट्टी संरक्षण

4.    पशुपालन और डेयरी:

  • पशुपालन की उन्नत तकनीक
  • डेयरी प्रबंधन
  • पशुओं के स्वास्थ्य और पोषण

5.    उद्यानिकी और बागवानी:

  • सब्जियों और फलों की उन्नत खेती
  • बागवानी के लिए उन्नत तकनीक
  • हर्बल और औषधीय पौधों की खेती

6.    जल प्रबंधन और सिंचाई तकनीक:

  •  ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली
  •  जल संरक्षण के तरीके
  • वर्षा जल संचयन

कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम
30 अगस्त 2023 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एमओयू के तहत कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित महिलाओं को कृषि सखी का प्रमाण पत्र दिया जाता है, जिससे उन्हें कृषि सलाहकार के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। ये महिलाएं स्थानीय समुदाय में कृषि से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं और नवीनतम कृषि तकनीकों का प्रचार-प्रसार कर सकती हैं।

कृषि सखी योजना का प्रभाव
1.    उत्पादन में वृद्धि:

  • उन्नत कृषि तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन बढ़ाने में मदद
  • फसल की गुणवत्ता में सुधार

2.    महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण:

  • महिलाओं को आय के नए स्रोत प्रदान करना
  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना

3.    सामुदायिक विकास:

  • कृषि सखियों द्वारा समुदाय के अन्य किसानों को प्रशिक्षित करना
  • सामूहिक कृषि कार्यों में सुधार

कृषि सखी योजना महिलाओं को सशक्त बनाकर कृषि उत्पादन में वृद्धि करने और किसानों की मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत महिलाएं न केवल अपने परिवारों के लिए बल्कि अपने पूरे समुदाय के लिए भी लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की उन्नति और समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा।

कृषि सखी बनने वाली कितनी महिलाएं
कृषि सखी कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 70,000 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इनमें से 34,000 महिलाओं को पैरा विस्तार कार्यकर्ता (Para Extension Worker) के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। बाकी शेष महिलाओं को भी जल्द ही प्रमाण-पत्र वितरित किए जाएंगे, जिससे वे भी कृषि क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें।

वर्तमान स्थिति:
•    प्रशिक्षित महिलाएं: 70,000
•    प्रमाणित कृषि सखियां: 34,000
•    शेष महिलाएं: 36,000 (जिन्हें प्रमाण-पत्र वितरित किया जाना है)

इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार करना है। प्रमाणित कृषि सखियां अपने समुदाय में अन्य किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों और विधियों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि और समग्र ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा।

कृषि सखी बनने की प्रक्रिया (How to Become Krishi Sakhi)
यदि आप कृषि सखी बनना चाहती हैं और कृषि के कामों में सहायता देना चाहती हैं, तो आपको निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन करना होगा:
1.    प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजीकरण:

सबसे पहले आपको कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजीकरण करना होगा। इसके लिए आप अपने स्थानीय कृषि विभाग या संबंधित सरकारी एजेंसी से संपर्क कर सकती हैं।

2.    प्रशिक्षण प्राप्त करना:
पंजीकरण के बाद, आपको कृषि से संबंधित किसी एक विषय पर 56 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। यह प्रशिक्षण कृषि के विभिन्न पहलुओं जैसे फसल उत्पादन, फसल संरक्षण, मिट्टी प्रबंधन, पशुपालन, उद्यानिकी आदि पर केंद्रित होगा।

3.    परीक्षा में शामिल होना:
 प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, आपको एक परीक्षा देनी होगी। यह परीक्षा आपके प्रशिक्षण के दौरान सीखी गई जानकारी का मूल्यांकन करेगी।

4.    प्रमाण-पत्र प्राप्त करना:
 यदि आप परीक्षा में सफल होती हैं, तो आपको कृषि सखी का प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा। इस प्रमाण-पत्र के माध्यम से आप आधिकारिक तौर पर कृषि सखी के रूप में काम कर सकेंगी।
5.    कार्यरत कृषि सखी के रूप में योगदान देना:
 प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद, आप अपने समुदाय में अन्य किसानों को कृषि तकनीकों और विधियों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं, जिससे वे कृषि उत्पादन को बढ़ा सकें।

कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम (Krishi Sakhi Certification Programme)
कृषि सखी सर्टिफिकेशन कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र प्रदान करना है। इसके साथ ही, उन्हें कृषि पैरा-एक्सटेंशन सहायक (Para Extension Worker) बनने का अवसर भी मिलता है। यह कार्यक्रम लखपति दीदी योजना के उद्देश्यों को पूरा करने में भी सहायक है, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और अच्छी आय अर्जित कर सकें।

कृषि सखी कार्यक्रम के संचालन के राज्य (States Operating Krishi Sakhi Program)
वर्तमान में कृषि सखी कार्यक्रम निम्नलिखित 12 राज्यों में संचालित किया गया है:
1.    राजस्थान
2.    उत्तर प्रदेश
3.    मध्यप्रदेश
4.    छत्तीसगढ़
5.    महाराष्ट्र
6.    गुजरात
7.    कर्नाटक
8.    तमिलनाडु
9.    झारखंड
10.    आंध्रप्रदेश
11.    ओडिशा
12.    मेघालय

इन राज्यों में महिलाओं को कृषि सखी बनने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे अपने समुदाय में कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
कृषि सखी कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं को कृषि से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण 56 दिनों का होता है, जिसमें कृषि की व्यापक जानकारी दी जाती है। प्रशिक्षण के प्रमुख विषय निम्नलिखित हैं:
1.    भूमि की तैयारी से लेकर फसल काटने तक का कृषि पारिस्थितिकी अभ्यास:
o    भूमि की जुताई, बुआई, फसल की देखभाल, और फसल काटने तक के सभी चरणों का प्रशिक्षण।
o    कृषि पारिस्थितिकी के सिद्धांत और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोग।

2.    किसान फील्ड स्कूलों का आयोजन:
o    स्थानीय समुदाय में किसानों के लिए प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन।
o    समूह में सीखने और समस्या-समाधान की तकनीकों का विकास।

3.    बीज बैंक की स्थापना एवं प्रबंधन:
o    बीज संग्रहण, संरक्षण, और वितरण की तकनीकें।
o    उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रबंधन और उनका सही उपयोग।

4.    मृदा स्वास्थ्य, मृदा और नमी संरक्षण प्रथाएं:
o    मृदा परीक्षण और उर्वरता बनाए रखने के तरीके।
o    मृदा संरक्षण और नमी संधारण की तकनीकें।

5.    एकीकृत कृषि प्रणाली:
o    फसल विविधीकरण, फसल चक्रण और मिश्रित खेती के लाभ।
o    पशुपालन, मछली पालन, और बागवानी को कृषि में शामिल करने के तरीके।

6.    पशुपालन प्रबंधन की मुख्य बातें:
o    पशुओं की देखभाल, पोषण, और स्वास्थ्य प्रबंधन।
o    दुग्ध उत्पादन और पशु उत्पादों का सही प्रबंधन।

7.    बायो इनपुट की तैयारी, उपयोग और बायो इनपुट की स्थापना:
o    जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, और जैविक उपचार तैयार करने की विधियां।
o    उनके सही उपयोग और स्थापना की प्रक्रियाएं।

8.    बुनियादी संचार कौशल:
o    प्रभावी संचार के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान।
o    स्थानीय किसानों के साथ संवाद स्थापित करने के कौशल।

अतिरिक्त प्रशिक्षण विषय
  मनरेगा और डे-एनआरएलएम के माध्यम से प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण:
 प्राकृतिक खेती के सिद्धांत और उनके लाभ।
मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने की तकनीकें।

इन सभी विषयों का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, महिलाएं न केवल अपने कृषि कार्यों में सुधार कर सकती हैं, बल्कि वे अपने समुदाय के अन्य किसानों को भी मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं, जिससे समग्र कृषि उत्पादन में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके।

कृषि सखी (Krishi Sakhi) बनने के बाद की औसत कमाई
कृषि सखी (Krishi Sakhi) बनने के बाद, महिलाएं सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत काम कर सकती हैं और अपनी सेवाओं के माध्यम से अच्छी आय अर्जित कर सकती हैं। कृषि सखी बनने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और परीक्षा पास करने के बाद, उन्हें पैरा विस्तार कार्यकर्ता (Para Extension Worker) के रूप में प्रमाणित किया जाता है। इसके बाद, वे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों में भाग ले सकती हैं।

वार्षिक औसत कमाई: एक कृषि सखी एक वर्ष में औसतन 60,000 से 80,000 रुपये तक की कमाई कर सकती है।

आय के स्रोत
1.    प्रशिक्षण और सलाह सेवाएं:
o    स्थानीय किसानों को कृषि तकनीकों और विधियों पर प्रशिक्षण देना।
o    फसल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, और जैविक खेती पर सलाह प्रदान करना।

2.    कृषि योजनाओं में भागीदारी:
o    कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं में शामिल होना।
o    सरकारी कार्यक्रमों और अभियानों में सहयोग करना।

3.    बीज बैंक और जैविक उत्पादों का प्रबंधन:
o    बीज बैंक की स्थापना और प्रबंधन के माध्यम से आय अर्जित करना।
o    जैविक खाद और कीटनाशकों की तैयारी और बिक्री।

4.    फसल कटाई और पशुपालन प्रबंधन:
o    फसल कटाई के बाद उत्पादों की मार्केटिंग और बिक्री में सहायता।
o    पशुपालन से संबंधित उत्पादों का प्रबंधन और विपणन।

5.    मनरेगा और अन्य ग्रामीण विकास कार्यक्रम:
o    मनरेगा और अन्य ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के तहत कार्य करना।
o    प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं में भागीदारी।

कृषि सखी कार्यक्रम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है और उन्हें अपनी आजीविका सुधारने के साथ-साथ समुदाय के अन्य किसानों की मदद करने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार, कृषि सखी बनकर महिलाएं न केवल अपनी आय बढ़ा सकती हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

कैसे करेगी कृषि सखियां खेतीबाड़ी मे मदद
कृषि सखियां विभिन्न तरीकों से किसानों की मदद करती हैं, जिससे उन्हें कृषि उत्पादन में सुधार और समग्र आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सहायता मिलती है। MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन) की योजना के तहत काम कर रही कृषि सखियों के माध्यम से किसानों को निम्नलिखित प्रकार की सहायता प्रदान की जा रही है:

किसानों की सहायता के तरीके

1.    कृषि गतिविधियों की निगरानी:
o    हर महीने प्रत्येक खेत पर जाकर कृषि गतिविधियों की निगरानी करना।
o    फसलों की स्थिति, सिंचाई, और फसल प्रबंधन की प्रगति को देखना।

2.    किसानों की चुनौतियों का समाधान:
o    किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझना और उनके समाधान के लिए उपाय सुझाना।
o    फसल रोग, कीट प्रबंधन, और अन्य कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान करना।

3.    प्रशिक्षण और कार्यशालाएं:
o    किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, जैविक खेती, और फसल प्रबंधन पर प्रशिक्षण देना।
o    हर हफ्ते किसान हित समूह (एफआईजी) स्तर की बैठकें आयोजित करना।

4.    एफपीओ के कामकाज में सहयोग:
o    किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के कामकाज और विपणन गतिविधियों को समझना और उनमें सहयोग करना।
o    किसानों को एफपीओ के माध्यम से अपने उत्पादों का विपणन और बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करना।

5.    किसान डायरी रखने में मदद:
o    किसानों को उनकी कृषि गतिविधियों का रिकॉर्ड रखने में मदद करना।
o    फसल उत्पादन, खर्च, और आय की जानकारी दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करना।

6.    समुदाय आधारित संसाधन व्यक्तियों (एलआरपी):
o    30 कृषि सखियां लोकल रिसोर्स पर्सन (LRP) के रूप में काम कर रही हैं।
o    किसानों के खेतों पर जाकर उनकी मदद करना और कृषि गतिविधियों की निगरानी करना।

वित्तीय प्रोत्साहन
•    मासिक संसाधन शुल्क: कृषि सखियों को उनके काम के लिए हर महीने 4,500 रुपए का संसाधन शुल्क मिलता है।

निष्कर्ष
कृषि सखियां किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो रही हैं। वे न केवल कृषि गतिविधियों की निगरानी और समस्याओं का समाधान करती हैं, बल्कि किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों के प्रशिक्षण के माध्यम से उनके उत्पादन में सुधार करने में भी मदद करती हैं। इसके साथ ही, एफपीओ और अन्य सामुदायिक संगठनों के माध्यम से विपणन गतिविधियों को समझकर किसानों की आय बढ़ाने में भी सहयोग करती हैं। इस प्रकार, कृषि सखियां ग्रामीण कृषि समुदाय के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।