मौसम विभाग की मानसून पर आयी नयी रिपोर्ट | बासमती किसानों की बढ़ सकती है टेंशन
किसान साथियो इस बार देश में बारिश का पैटर्न थोड़ा अलग है। एक तरफ जहां राजस्थान, MP, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में मॉनसून के बादल जमकर बरस रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ बासमती धान की बेल्ट माने जाने वाले हरियाणा और पंजाब राज्य में बारिश कम ही हुई है। समूचे भारत को देखें तो जून में धीमी शुरुआत के बाद जुलाई में जमकर बारिश हुई है और अगस्त में भी मानसून फुल स्पीड में दिख रहा है। दोस्तो बासमती की खेती के हिसाब से देखें तो जैसे तैसे करके पंजाब और हरियाणा के किसान अपनी खेती को पाल रहे हैं लेकिन अब मानसून को लेकर ऐसी रिपोर्ट आ रही है जिससे धान के किसानों के मन में नुकसान को लेकर आशंका पैदा हो गई है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
इस रिपोर्ट में अनुमान दिया गया है कि इस बार मॉनसून की वापसी देर में हो सकती है। यानि कि बारिश का सीज़न सामान्य से ज्यादा वक्त तक चलने का अनुमान है। भारतीय मौसम विभाग पहले ही कह चुका है कि मॉनसून के बाकी के दो महीने में बारिश सामान्य से अधिक हो सकती है। रिपोर्ट से आशंका बन गई है कि अगर फसल पकने के वक्त जमकर बारिश होती है तो धान सहित कई फसलों को नुकसान हो सकता है
क्या है रिपोर्ट में अनुमान
न्युज एजेन्सी रॉयटर्स ने मौसम विभाग के दो अधिकारिक सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि इस साल मॉनसून की वापसी देरी से हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर महीने में भारत के ज्यादातर हिस्सों में कम दबाव का सिस्टम बनने की वजह से मॉनसून तय वक्त से कुछ ज्यादा समय तक बना रह सकता है। धान के किसानो के लिए यह चिंता का विषय बन गया है। क्योंकि सितंबर मध्य के बाद ही बासमती फसलों खास तौर पर 1509 का पकना शुरू होता है। उसके बाद 1121, 1718 और 1401 जैसी फसलों के काटने का समय आता है। पकावट के समय खेतों में पानी का रहना फसलों के लिए नुकसानदायक होता है। एक तो अधिक बारिश के करण धान की फसल गिर जाती है वहीँ कटाई में भी दिक्कत आती है, इसके अलावा खेतों में कंबाइन हार्वेस्टर चलना भी मुश्किल हो जाता है। खड़े पानी में कटाई की लेबर की लागत भी बढ़ जाती है। ढुलाई के समय ट्रैक्टर भी खेतों में अक्सर फंसे हुए दिखाई देते हैं। पकाई समय में बारिश पड़ना खड़ी फसलों को खराब भी कर सकता है। अगर मध्य सितंबर में भी मॉनसून रफ्तार में बना रहता है तो इस दौरान पकने वाली धान, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों की फसल पर इसका बुरा असर पड़ सकता है.
फायदा या नुकसान
मानसून सीज़न के लंबे होने का थोड़ा बहुत फायदा भी है। बारिश से जमीन की नमी बढ़ेगी जिसका फायदा राजस्थान जैसे राज्यों में सर्दियों में बुवाई की जाने वाली फसलों को मिल सकता है। बहरहाल जानकारों की नजर सितंबर की बारिश के पैटर्न पर रहेगी क्योंकि इसका खरीफ फसलों की पैदावार और अगली फसल की बुवाई दोनों पर ही असर दिखेगा। क्योंकि इससे फसलों भाव के उपर नीचे होने की संभावना रहेगी। फायदे और नुकसान की तुलना करें तो लंबे बारिश के सीजन का फायदा कम और नुकसान ज्यादा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बारिश को लेकर मौसम विभाग इसी हफ्ते अपने अगले अनुमान जारी करेगा। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
आमतौर पर कब वापस होता है मॉनसून
दोस्तो जैसा कि आप सब को पता है कि भारत मे मॉनसून की बारिश जून की शुरुआत के शुरू होती है। जुलाई आते आते मॉनसून पूरे भारत को कवर कर लेता है। जुलाई अगस्त में पूरे देश में बारिश होती है। इसके बाद मॉनसून की वापसी सितंबर के मध्य से शुरू होती है और अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक मॉनसून का सीजन खत्म हो जाता है। मौसम की रिपोर्ट को माने तो इस बार आशंका है कि मॉनसून की वापसी सितंबर अंत तक खिंच सकती है।
अभी तक कैसा रहा बारिश का रूझान
बात अभी तक की बारिश की करें तो जून में मॉनसून की शुरुआत के साथ अब तक पूरे देश में बारिश सामान्य से 7 % अधिक रही है। एक तरफ जहां मध्य भारत में बारिश सामान्य से 17 फीसदी अधिक रही है वही दूसरी तरफ पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में बारिश सामान्य से कम रही है।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।