रुपये ने डॉलर को दिखाये दिन में तारे | 3 दिन में हो गया इतना तेज | जाने आगे क्या है उम्मीद
दोस्तों भारतीय रुपये ने विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार तीसरे दिन मजबूती दर्ज की है। इस बीच, डॉलर इंडेक्स लगभग पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे अमेरिकी मुद्रा का दबदबा कमजोर हुआ है। रुपये की इस उछाल के पीछे मुख्य कारण देश के मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा को माना जा रहा है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। पिछले तीन कारोबारी दिनों में भारतीय मुद्रा ने डॉलर के मुकाबले 0.77 प्रतिशत यानी 67 पैसे की मजबूती हासिल की है। हाल ही में आए आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता और मजबूती दिखा रही है। विनिर्माण, सेवा क्षेत्र और निर्यात जैसे कारकों ने बाजार में सकारात्मक प्रभाव डाला है। वहीं, अमेरिकी डॉलर में गिरावट भी रुपये की मजबूती का एक प्रमुख कारण बनी है। डॉलर में गिरावट से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में रुपये को अतिरिक्त समर्थन मिला है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धात्मक मुद्रा के रूप में उभर रहा है।
क्या है डॉलर के मुकाबले रुपये की मौजूदा स्थिति
साथियों मंगलवार को घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के चलते रुपया 26 पैसे की बढ़त के साथ 86.55 (अनंतिम) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, अमेरिका से निराशाजनक आर्थिक आंकड़े आने के कारण अमेरिकी डॉलर में गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, एशियाई मुद्राओं की मजबूती ने भी रुपये को समर्थन दिया। हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने रुपये की मजबूती को कुछ हद तक सीमित कर दिया। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 86.71 पर खुला था और इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान 86.54 के उच्चतम स्तर और 86.78 के न्यूनतम स्तर तक गया। अंततः यह 86.55 के स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर की तुलना में 26 पैसे अधिक था। विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय रुपये में और मजबूती आने की संभावना बनी हुई है, खासकर यदि वैश्विक इक्विटी बाजार मजबूत रहते हैं और अमेरिकी डॉलर में गिरावट जारी रहती है।
तीन कारोबारी दिनों में रुपये में उछाल
सोमवार को रुपया 24 पैसे बढ़कर 86.81 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जबकि गुरुवार को यह 17 पैसे की मजबूती के साथ 87.05 के स्तर पर बंद हुआ था। होली के अवसर पर शुक्रवार को विदेशी मुद्रा बाजार बंद था, लेकिन उससे पहले रुपये ने कुल 67 पैसे की बढ़ोतरी दर्ज की थी। जनवरी के निम्नतम स्तर 87.94 से तुलना करें तो अब तक रुपये में 1.58 प्रतिशत की मजबूती देखी जा चुकी है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि रुपये की यह तेजी जारी रहती है, तो यह निकट भविष्य में 86.30 से 86.80 के बीच व्यापार कर सकता है। भारतीय बाजार में जारी आर्थिक सुधार और वैश्विक वित्तीय स्थिरता इस प्रवृत्ति को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापता है, 0.04 प्रतिशत गिरकर 103.32 पर पहुंच गया है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट का प्रमुख कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था के हालिया नकारात्मक संकेतक हैं, जिसमें औद्योगिक उत्पादन और आवासीय क्षेत्र के आंकड़ों में गिरावट शामिल है। इससे निवेशकों को यह संकेत मिला कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व भविष्य में अपनी मौद्रिक नीति को नरम कर सकता है, जिससे डॉलर पर दबाव बढ़ सकता है।
इसी बीच, वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 1.31 प्रतिशत बढ़कर 72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। यह स्थिति रुपये के लिए कुछ चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर तेल आयात पर निर्भर है। हालांकि, व्यापार घाटे में कमी और रुपये की मजबूती से इस दबाव को संतुलित करने में सहायता मिल सकती है।
शेयर बाजार में तेजी
भारतीय शेयर बाजार भी रुपये की मजबूती के साथ सकारात्मक प्रदर्शन कर रहा है। बीएसई सेंसेक्स 1,131.31 अंक या 1.53 प्रतिशत बढ़कर 75,301.26 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 325.55 अंक या 1.45 प्रतिशत बढ़कर 22,834.30 के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियाँ इस तेजी को प्रभावित कर सकती हैं। एफआईआई ने सोमवार को भारतीय शेयर बाजार से 4,488.45 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिक्री की थी। यदि विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में विश्वास बनाए रखते हैं, तो रुपये की मजबूती और शेयर बाजार में वृद्धि दोनों को समर्थन मिल सकता है।
आने वाले दिनों में रुपये की दिशा क्या होगी ?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की यह मजबूती आने वाले दिनों में जारी रह सकती है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी बनी रहेंगी। अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की आगामी बैठक निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इससे अमेरिकी डॉलर की आगे की नीति को लेकर संकेत मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका से औद्योगिक उत्पादन और आवास क्षेत्र के आंकड़े रुपये की चाल को प्रभावित कर सकते हैं। मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी के अनुसार, सकारात्मक वैश्विक इक्विटी और कमजोर अमेरिकी मुद्रा के चलते रुपये में तेजी बनी रह सकती है। हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और विदेशी निवेशकों की संभावित बिकवाली रुपये की तेजी को सीमित कर सकती हैं। वर्तमान स्थिति को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रुख अपनाना चाहिए और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नज़र बनाए रखनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट केवल सूचना के उद्देश्य से लिखी गई है और इसे निवेश की सलाह न माना जाए। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले अपनी रिसर्च करें और किसी वित्तीय विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।