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प्याज की इस किस्म से किसान ने उठाया 1 बीघा से 100 क्विंटल का उत्पादन | जाने डिटेल्स

प्याज की इस किस्म से किसान ने उठाया 1 बीघा से 100 क्विंटल का उत्पादन | जाने डिटेल्स
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गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद तहसील के करइल क्षेत्र के किसानों ने अपनी मेहनत और स्मार्ट खेती के दम पर प्याज की खेती में नया इतिहास रच दिया है। यहां के किसान अब नंदी और चाइना किंग जैसी उन्नत प्याज प्रजातियों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें सामान्य प्याज की तुलना में चार गुना तक मुनाफा हो रहा है। इन प्रजातियों की खासियत यह है कि ये सर्दियों में तैयार होती हैं, जब बाजार में प्याज के दाम ऊंचाई पर होते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे इन प्रजातियों ने किसानों की किस्मत बदल दी और उनकी खेती को लाभदायक बना दिया।

नंदी और चाइना किंग प्रजातियां

नंदी और चाइना किंग प्याज की प्रजातियां किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये सर्दियों के मौसम में तैयार होती हैं। जब दूसरी प्याज की फसलें बाजार में कम होती हैं, तब इन प्रजातियों की मांग अधिक होती है और किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं। इन प्रजातियों की खेती से जुड़े अंशुमान राय नामक किसान बताते हैं कि इनका उत्पादन ठंडे मौसम के अनुकूल है, और इन पर बीमारियों का असर भी बहुत कम होता है।

इसके अलावा, इन प्रजातियों की बुवाई और उत्पादन की प्रक्रिया भी सरल है। जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में बीजों की बुवाई होती है। इसके बाद करीब दो महीने में नर्सरी तैयार हो जाती है। नर्सरी से पौधों को निकालकर सुखाया जाता है और लहसुन की तरह संरक्षित किया जाता है। फिर अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में इनकी रोपाई होती है। रोपाई के 90 दिनों के अंदर फसल तैयार हो जाती है।

प्रति बीघा 100 क्विंटल उत्पादन

इन प्रजातियों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि प्रति बीघा करीब 100 क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है। यह उत्पादन सामान्य प्रजातियों की तुलना में काफी अधिक है। किसान बताते हैं कि केवल 2-3 किलोग्राम बीज से एक बीघे की नर्सरी तैयार हो जाती है। इस तरह, इन प्रजातियों की लागत भी कम होती है और मुनाफा अधिक।

चार गुना मुनाफा

नंदी और चाइना किंग प्रजातियों की खेती से किसानों को सामान्य प्याज की तुलना में चार गुना मुनाफा हो रहा है। सामान्य प्रजातियां गर्मियों में तैयार होती हैं, जब प्याज के दाम अपेक्षाकृत कम होते हैं। लेकिन नंदी और चाइना किंग की फसल सर्दियों में तैयार होती है, जब प्याज के दाम 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं। यही कारण है कि इन प्रजातियों ने करइल क्षेत्र के किसानों की किस्मत बदल दी है।

कीमतों में गिरावट

हालांकि, प्याज की कीमतें हमेशा ऊंची नहीं रहतीं। कभी-कभी बाजार में प्याज की कीमतें गिरने से किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है। फिर भी, करइल के किसानों का मानना है कि इन प्रजातियों की खेती उनकी लागत कम करती है और मुनाफा अधिक देती है। इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में तैयार होने वाली फसलें सामान्यतः उच्च गुणवत्ता की होती हैं, जिससे इनकी बाजार में मांग बनी रहती है।

गाजीपुर के करइल क्षेत्र के किसान अपनी सफलता से दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। उनकी खेती की यह नई तकनीक और प्रजातियां न केवल उनकी आय बढ़ा रही हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी आधुनिक और लाभदायक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।