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गेहूं में कौन सा स्प्रे कब करना है 90% किसान नहीं जानते | रिपोर्ट में देखें पूरी डिटेल्स

गेहूं में कौन सा स्प्रे कब करना है 90% किसान नहीं जानते | रिपोर्ट में देखें पूरी डिटेल्स
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किसान साथियो गेहूं की फसल में अच्छी पैदावार और गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए संतुलित पोषण, समय पर सिंचाई और उचित स्प्रे प्रबंधन बेहद जरूरी होता है है। आज के समय में बढ़ती मांग और बदलते जलवायु परिस्थितियों के कारण फसलों की देखभाल करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। खासकर गेहूं जैसी मुख्य फसलों में यदि पोषण की कमी रह जाए तो न केवल उत्पादन घटता है, बल्कि फसल का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इसलिए, किसान भाइयों के लिए यह जानना जरूरी है कि बुवाई से लेकर कटाई तक फसल की देखभाल के लिए कौन-कौन से स्प्रे किए जाएं, किस समय पर किए जाएं और उनमें कौन-कौन से पोषक तत्व शामिल हों। इस लेख में हम गेहूं की फसल के लिए तीन मुख्य स्प्रे और उनके लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिससे किसान भाई अपनी फसल को हरी-भरी और अधिक उत्पादन देने वाली बना सकते हैं।

गेहूं की फसल में पहला स्प्रे कब करना चाहिए
गेहूं की फसल में पहला स्प्रे तब किया जाता है, जब फसल बुवाई के 25 से 30 दिन के बीच होती है। यह समय फसल के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, क्योंकि इसी समय पर पौधों की जड़ें बढ़ती हैं और टिलरिंग (नए कल्लों का निकलना) शुरू होती है। इस समय यदि पौधों को उचित पोषण नहीं दिया गया तो उनकी ग्रोथ रुक सकती है और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पहले स्प्रे में मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और जिंक का मिश्रण उपयोग किया जाता है, जिससे पौधों को संतुलित पोषण मिलता है और उनकी बढ़वार तेज होती है। पहले स्प्रे के लिए एनपीके 19:19:19 या 18:18:18 सल्फर युक्त खाद का उपयोग 1 किग्रा प्रति एकड़ की दर से किया जाता है। इसके साथ चिलेटेड जिंक (12%) 100 ग्राम प्रति एकड़ मिलाया जाता है। इन दोनों को 120-130 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करना चाहिए। यह स्प्रे पौधों की टिलरिंग बढ़ाने में मदद करता है और फसल की ग्रोथ को तेज करता है। इसके अलावा, फसल का हरापन बनाए रखता है और जिंक की कमी को दूर करता है, जिससे पौधे मजबूत और स्वस्थ बनते हैं। यह स्प्रे मिट्टी में नमी बनाए रखता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और वे अच्छी तरह से ग्रोथ कर पाते हैं।

गेहूं की फसल में दूसरा स्प्रे कब करना चाहिए
दूसरा स्प्रे गेहूं की फसल के 45 से 55 दिन के बीच किया जाता है, जब पौधे तेजी से बढ़ रहे होते हैं और उनके जड़ों का विकास सबसे अधिक होता है। इस समय पौधों को फास्फोरस और हल्की मात्रा में नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है, जिससे वे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित कर सकें और उनकी ग्रोथ में तेजी आए। दूसरे स्प्रे के लिए एनपीके 12:61:0 का उपयोग 1 किग्रा प्रति एकड़ की दर से करें। इसके साथ सागरिका लिक्विड 400 मिली प्रति एकड़ मिलाएं। इन दोनों को 130-150 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह स्प्रे जड़ों के विकास को तेज करता है और पौधों को पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण करने में मदद करता है। साथ ही, यह फसल की मजबूती को बढ़ाता है और टिलरिंग में सुधार करता है, जिससे अधिक पैदावार की संभावना बढ़ती है। फास्फोरस के कारण जड़ें मजबूत होती हैं और पौधे मिट्टी से अधिक पोषण खींचने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा, यह स्प्रे फसल को अधिक हरापन देता है और उसे बाहरी तनाव से बचाता है।

गेहूं की फसल में तीसरा स्प्रे कब करना चाहिए
तीसरा स्प्रे गेहूं की फसल के 80 से 90 दिन के बीच किया जाता है, जब फसल गब अवस्था में होती है। इस समय पौधों में बालियां बन रही होती हैं और दाने भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। इस चरण में फसल को सबसे अधिक पोटाश और बोरॉन की जरूरत होती है, जिससे बालियां मजबूत और चमकदार बनती हैं और दानों का भराव बेहतर होता है। तीसरे स्प्रे के लिए एनपीके 0:0:50 का उपयोग 1 किग्रा प्रति एकड़ की दर से करें। इसके साथ बोरॉन (20%) 100-150 ग्राम प्रति एकड़ मिलाएं। इन दोनों को 150 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। यह स्प्रे बालियों की लंबाई, वजन और चमक को बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा, दानों का भराव बेहतर होता है, जिससे गेहूं की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार होता है। पोटाश फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और उसे सूखे या अधिक नमी जैसी समस्याओं से बचाता है। बोरॉन दानों के भराव को मजबूत करता है और फसल को अतिरिक्त पोषण प्रदान करता है।

इन बातो का रखे ध्यान
इन तीन मुख्य स्प्रे के अलावा, यदि फसल में फंगस या कीट का अटैक दिखाई दे तो तुरंत फंगीसाइड और कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, खेत में नमी बनाए रखना और सिंचाई का संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है ताकि खाद और स्प्रे का प्रभाव अधिक हो सके। किसान भाइयों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सभी स्प्रे को सही मात्रा और समय पर किया जाए ताकि फसल को पूरा पोषण मिल सके। गेहूं की फसल में संतुलित पोषण और सही समय पर स्प्रे करने से उत्पादन में 20-25% तक की वृद्धि संभव है। पहला स्प्रे फसल की शुरुआती ग्रोथ और टिलरिंग को मजबूत करता है, दूसरा स्प्रे जड़ों और पोषण के अवशोषण को बढ़ाता है, जबकि तीसरा स्प्रे बालियों की लंबाई, वजन और गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। इन सभी स्प्रे को सही मात्रा में करने से फसल रोगों से बची रहती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है। किसान भाई इन उपायों को अपनाकर अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में शानदार सुधार कर सकते हैं। जैविक और रासायनिक खादों का संतुलित उपयोग और समय-समय पर फंगीसाइड व कीटनाशकों का छिड़काव फसल को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। उम्मीद है कि यह जानकारी गेहूं की खेती को और अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाने में मदद करेगी।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।