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गेहूं में अड़ंगे से छुटकारा दिलाने वाला फ़ार्मूला मिल गया है | जल्दी से जाने

गेहूं में अड़ंगे से छुटकारा दिलाने वाला फ़ार्मूला मिल गया है | जल्दी से जाने
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किसान साथियो खेती में खरपतवार एक बड़ी चुनौती है, खासकर गेहूं की फसल में। खरपतवार न केवल पोषक तत्वों को चुरा लेते हैं, बल्कि उत्पादन में गिरावट का कारण भी बनते हैं। इसलिए, समय पर और सही दवाइयों का उपयोग करके इनका प्रभावी नियंत्रण करना आवश्यक है। गेहूं में खरपतवार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं चौड़ी पत्ती वाले और शकरी (लंबी) पत्ती वाले। इन दोनों के लिए अलग-अलग दवाइयां उपलब्ध हैं, साथ ही ऐसी मिक्स दवाइयां भी हैं, जो दोनों प्रकार के खरपतवारों को एक ही स्प्रे में नियंत्रित कर सकती हैं। इस पोस्ट में हम गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोगी सभी प्रकार की दवाइयों और उनके उपयोग की विधि पर विस्तार से बताएंगे।

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार को कैसे नियंत्रण करे
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, जंगली पालक, पत्थर चट्टा और सरसों फसल के लिए बहुत नुकसानदेह होते हैं। इन खरपतवारों की पत्तियां चौड़ी और बड़े आकार की होती हैं, जिससे यह फसल के लिए जरूरी धूप और पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए दो मुख्य दवाइयां अत्यधिक प्रभावी मानी गई हैं:

1. 24D अमाइज (58%):
यह दवाई चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार को नियंत्रित करने में बहुत कारगर है। इसका डोज 400 मि.ली. प्रति एकड़ है। इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि 38% फॉर्मूलेशन वाली 24D का उपयोग न करें, क्योंकि यह अगली फसल के बीजों के अंकुरण में समस्या पैदा कर सकती है।

2. मेट सल्फर मिथाइल (20% WP):
यह तकनीकी फॉर्मूलेशन डुपोंट कंपनी के "अलग्र" और इफको कंपनी के "मकोटो" ब्रांड में उपलब्ध है। यह चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर बेहतरीन नियंत्रण देता है। इसका डोज 8 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह बाजार में अन्य कंपनियों के नाम से भी उपलब्ध है, लेकिन किसी अच्छी कंपनी का ही उत्पाद खरीदें।

शकरी (लंबी) पत्ती वाले खरपतवार को कैसे नियंत्रण करे
शकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे घास और उनके समान अन्य खरपतवार भी फसल के पोषण और उत्पादन को प्रभावित करते हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है:

1. क्लोडिनाफॉप प्रॉपर जाइल (15% WP):
यह दवाई शकरी पत्ती वाले खरपतवार के लिए अत्यधिक प्रभावी है। यह सिजेंटा कंपनी के "टॉपिक" और वाल कंपनी के "टॉपल" ब्रांड में उपलब्ध है। इसका डोज 160 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. सल्फो सल्फोन (75%):
यह तकनीकी फॉर्मूलेशन सुमेट कंपनी के "लीडर" और रडा कंपनी के "सफल 7" ब्रांड में उपलब्ध है। इसका डोज 13 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 150-180 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। हालांकि, इस दवाई का उपयोग उन खेतों में न करें, जहां अगली फसल के रूप में बाजरा, ज्वार, मक्का या मूंग उगाने की योजना हो, क्योंकि यह अगली फसल के अंकुरण में समस्या उत्पन्न कर सकती है।

चौड़ी और शकरी पत्ती वाली खरपतवार को कैसे नियंत्रण करे
अगर किसान दोनों प्रकार के खरपतवारों को एक साथ नियंत्रित करना चाहते हैं, तो मिक्स दवाइयां सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। ये दवाइयां न केवल समय बचाती हैं, बल्कि खरपतवारों पर अधिक व्यापक प्रभाव डालती हैं।

1. 24D अमाइज + क्लोडिनाफॉप प्रॉपर जाइल (15% WP):
इन दोनों तकनीकी दवाइयों का अलग-अलग घोल बनाकर मिक्स करें। इसके लिए क्लोडिनाफॉप का डोज 100 ग्राम प्रति एकड़ और 24D अमाइज का डोज 400 मि.ली. प्रति एकड़ रखें। इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

2. सवाल का "संदेश" या यूपीएल का "वेस्टा":
ये दवाइयां क्लोडिनाफॉप और मेट सल्फर मिथाइल के मिक्स फॉर्मूलेशन में आती हैं। इनका डोज 160 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3. यूपीएल का "टोटल" या सवाल का "सटासट":
ये दवाइयां सल्फो सल्फोन और मेट सल्फर मिथाइल का मिक्स फॉर्मूलेशन हैं। इनका डोज 16 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

4. यूपीएल का "शगुन 2111" या क्रिस्टल का "एएम 9":
"शगुन 2111" का डोज 200 ग्राम प्रति एकड़ है, जबकि "एएम 9" का डोज 240 ग्राम प्रति एकड़ है। इसे 120-150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

सावधानियां और सुझाव
इन दवाइयों का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि यदि गेहूं के बाद वाली फसल बाजरा, ज्वार, मक्का या मूंग है, तो इनका छिड़काव न करें। ये दवाइयां इन फसलों के बीजों के अंकुरण में समस्या पैदा कर सकती हैं। लेकिन अगर अगली फसल कपास, ग्वार या नरमा है, तो इनका उपयोग सुरक्षित है। दवाइयां खरीदते समय अच्छी गुणवत्ता और सही ब्रांड का चयन करें। सस्ते के चक्कर में खराब उत्पाद न खरीदें, क्योंकि इससे न केवल पैसे की बर्बादी होगी, बल्कि फसल भी प्रभावित हो सकती है। छिड़काव करते समय पानी की मात्रा का विशेष ध्यान रखें। कम पानी के उपयोग से दवाइयों का प्रभाव कम हो सकता है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।