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टॉप का उत्पादन लेने के लिए गेहूं में कब क्या डालना है | 70 मण से कम उत्पादन ले रहे हो तो यह पोस्ट जरूर देख लेना

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किसान साथियो गेहूं की फसल से अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए संतुलित खाद और पोषण प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। सही समय पर खादों और पोषक तत्वों का प्रयोग फसल की वृद्धि को बढ़ावा देता है, बालियों में दानों का भराव बेहतर करता है और उपज में बढ़ोतरी करता है। इस लेख में गेहूं की फसल के लिए चरणबद्ध खाद प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई है।

बुवाई के समय क्या होता है बेसल डोज
गेहूं की बुवाई के समय पोषण पूर्ति का पहला चरण होता है, जिसे बेसल डोज कहा जाता है। इस समय पौधों की जड़ों की मजबूती और प्रारंभिक विकास के लिए संतुलित खादों का प्रयोग किया जाता है। डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) का 50 किलोग्राम प्रति एकड़ उपयोग किया जाता है, जिसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस उपलब्ध होता है। यह फसल की जड़ों को मजबूत करता है और उनकी प्रारंभिक बढ़वार में सहायक होता है। इसके साथ ही, 50 किलोग्राम एसएसपी (सिंगल सुपर फास्फेट) का भी प्रयोग किया जाता है, जिसमें 11% सल्फर, 16% फास्फोरस, 19% कैल्शियम और जिंक तथा बोरन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। ये सभी तत्व फसल को मजबूती देते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं। इसके अतिरिक्त, 30 किलोग्राम एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) का उपयोग किया जाता है, जिसमें 60% पोटाश होता है। यह फसल की बालियों को मजबूत और दानों को चमकदार बनाता है। बुवाई के समय 5 किलोग्राम बेंटोनाइट सल्फर का उपयोग भी किया जाता है, जो फसल में हरियाली, स्वाद और चमक बढ़ाने के साथ-साथ फंगल रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।

पीलापन दूर कैसे करे
कई बार फसल में पीलापन की समस्या बनी रहती है, जिसे दूर करने के लिए विशेष मिश्रण का उपयोग किया जाता है। इसमें 10 किलोग्राम फेरस सल्फेट, 10 किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट और 10 किलोग्राम अमोनियम सल्फेट शामिल होते हैं। इनका सिंचाई के साथ उपयोग करने से फसल 2–3 दिनों में हरी-भरी और मजबूत हो जाती है।

खरपतवार नियंत्रण कब किया जाता है
25–30 दिन की अवस्था में खरपतवार फसल की वृद्धि को बाधित कर सकते हैं। इसलिए इस समय खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए क्लोनोवा प्रॉपर जाइल 160 ग्राम या सल्फो सल्फर 16 ग्राम को 200 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे किया जाता है।

गेहूं में पहली खाद कब डालनी चाहिए
बुवाई के 21–27 दिन बाद, जब पौधों की जड़ों का विकास तेज होता है, तब पहली खाद दी जाती है, जिसे सीआरआई (Crown Root Initiation) स्टेज कहते हैं। इस समय पौधों की जड़ों को मजबूती देने के लिए 45 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग किया जाता है। यूरिया पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है, जिससे फसल हरी-भरी और मजबूत बनती है। इसके साथ ही, 10 किलोग्राम सागरिका (सीवीड स्ट्रेक्ट) का उपयोग किया जाता है। यह समुद्री शैवाल से बना जैविक उत्पाद है, जो पौधों की वृद्धि को तेज करता है और सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। इसके अतिरिक्त, 5 किलोग्राम माइक्रो न्यूट्रिएंट फर्टिलाइजर का प्रयोग किया जाता है, जिसमें जिंक, बोरन, आयरन और कॉपर जैसे तत्व होते हैं, जो फसल की शाखाओं और दानों की गुणवत्ता को सुधारते हैं।

गेहूं में दूसरी खाद कब डालनी चाहिए
40 दिन की अवस्था में, जब फसल तेजी से बढ़ रही होती है, तब अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। इस समय 4 किलोग्राम जिंक सल्फेट (33%) का उपयोग किया जाता है। यह पौधों को गहरा हरा बनाता है, शाखाओं की संख्या बढ़ाता है और दानों के भराव में सुधार करता है। इसके साथ ही, 40–45 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग किया जाता है, जिससे फसल को अतिरिक्त नाइट्रोजन प्राप्त होती है और उसकी बढ़वार बनी रहती है।

गेहूं में तीसरी खाद कब डालनी चाहिए
जब गेहूं की फसल 50–55 दिन की हो जाती है, तो इस समय उसे संतुलित पोषण देने के लिए तीसरी खाद का प्रयोग किया जाता है। इस अवस्था में 30–45 किलोग्राम यूरिया का उपयोग किया जाता है। यह खाद दानों की गुणवत्ता सुधारता है और पौधों को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे बालियों का विकास बेहतर होता है।

बालियों के बनने की अवस्था में क्या डाले
बालियों के बनने की अवस्था में फसल को अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है। इस समय 15–20 किलोग्राम एमओपी का उपयोग किया जाता है, जिससे दानों का आकार, चमक और स्वाद बेहतर होता है। इसके अलावा, 1 किलोग्राम एनपीके (13:45 या 00:50) और 200 ग्राम बोरनन (20%) का छिड़काव किया जाता है। यह फसल की गुणवत्ता और चमक को सुधारता है और उपज बढ़ाने में सहायक होता है।

गेहूं की बढ़वार रुक जाती है तो क्या करे
यदि फसल में झटका आ जाता है या उसकी बढ़वार रुक जाती है, तो उसे रिकवर करने के लिए 1 किलोग्राम एनपीके (19:19:19), 300–400 मिली सागरिका और 500 ग्राम ग्लूकोस का 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाता है। यह मिश्रण फसल को तेजी से रिकवर करता है और उसे मजबूत बनाता है।

ह्यूमिक एसिड और माइक्रोराइजा डालने से क्या फैयदा होगा
फसल की जड़ों को मजबूत करने और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाने के लिए ह्यूमिक एसिड और माइक्रोराइजा का प्रयोग किया जाता है। ह्यूमिक एसिड 500 ग्राम–1 किलोग्राम और माइक्रोराइजा 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग किया जाता है। ये उत्पाद जड़ों की मजबूती और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाते हैं।

इन बातो का रखे ध्यान
गेहूं की फसल से 26–28 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार प्राप्त करने के लिए संतुलित खाद प्रबंधन और समय पर सिंचाई बेहद जरूरी है। एमओपी और सल्फर जैसे तत्व फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही समय पर खरपतवार नियंत्रण और रिकवरी स्प्रे का उपयोग फसल को और अधिक उत्पादक बनाता है। किसान भाइयों को इन तकनीकों को अपनाकर अधिक उपज प्राप्त करनी चाहिए।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।