धान की खेती पर बढ़ रहा सैनिक कीट का खतरा | जाने क्या है पहचान और इलाज
किसान साथियों , धान की खेती खरीफ मौसम में प्रमुखता से की जाती है, और इस समय बालियां निकलने की अवस्था में होती हैं। बालियों के निकलने के लगभग एक महीने बाद फसल पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन इस समय धान की बालियों में दाने दुग्धावस्था में होते हैं, जो फसल के विकास का एक नाजुक चरण होता है। इस दौरान,धान की खेती में किसानों को विभिन्न प्रकार के कीटों और बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी फसल के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और अन्य धान उत्पादक राज्यों के कई हिस्सों में खरीफ मौसम के दौरान धान की विभिन्न किस्मों की खेती की जाती है। पिछले कुछ समय से किसान खैरा और फुदका जैसे रोगों से अपनी फसल को बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब सैनिक कीट (Fall Armyworm) का खतरा भी बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सैनिक कीट का प्रकोप बहुत ही घातक होता है और समय पर रोकथाम न की जाए तो यह कीट फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।
सैनिक कीट की सूंडियां (larvae) खासकर शाम के समय झुंड में पौधों पर हमला करती हैं। ये सूंडियां धान की बालियों को कुतरकर उन्हें क्षतिग्रस्त कर देती हैं, जिससे बालियां टूटकर नीचे गिर जाती हैं। इसका सीधा असर फसल की उपज पर पड़ता है, क्योंकि बालियों में अनाज नहीं बन पाता है। इस कीट का प्रकोप काफी गंभीर हो सकता है, इसलिए धान की फसल को सैनिक कीट से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। ये उपाय इस कीट के प्रकोप को नियंत्रित करने और फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी हो सकते हैं। आइए, इन उपायों पर एक नज़र डालते हैं:
- किसानों को अपनी फसलों की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए, खासकर शाम के समय, जब सैनिक कीट का हमला अधिक होता है। फसल पर सैनिक कीट के लक्षण दिखते ही तत्काल उचित कदम उठाने चाहिए।
- सैनिक कीट के नियंत्रण के लिए जैविक नियंत्रण विधियों का उपयोग किया जा सकता है। इसमें ट्राइकोग्रामा जैसे परजीवी कीट का प्रयोग किया जा सकता है, जो सैनिक कीट के अंडों को नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा, नीम के तेल का छिड़काव भी प्रभावी हो सकता है।
- गंभीर प्रकोप की स्थिति में रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग भी किया जा सकता है। कृषि विभाग ने सुझाया है कि फसल पर क्लोरपायरीफॉस या लेम्डा-सायहैलोथ्रिन जैसे कीटनाशकों का छिड़काव किया जाए। ये कीटनाशक सैनिक कीट को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं।
- सैनिक कीट के प्रकोप को कम करने के लिए फसल प्रबंधन पर ध्यान देना भी जरूरी है। किसानों को अपने खेतों की सिंचाई और फसल की देखभाल नियमित रूप से करनी चाहिए। सही समय पर पानी देना और पौधों को स्वस्थ रखना कीट के हमले से बचाने में मदद करता है।
सैनिक कीट का प्रकोप
सैनिक कीट विशेष रूप से धान की बालियों पर हमला करता है, जब वे पकने की अवस्था में होती हैं। यह कीट पौधों की बालियों को कुतर देता है, जिससे बालियां टूटकर गिर जाती हैं और अनाज बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। किसान पहले से ही खैरा और फुदका रोग जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे, और अब सैनिक कीट के प्रकोप ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। यदि समय पर इस कीट का उपचार नहीं किया गया, तो फसल का उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है, और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सैनिक कीट की पहचान और उसका प्रकोप
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो के अनुसार, सैनिक कीट की पहचान उसकी भूरे रंग की सूंडियों से की जा सकती है। ये सूंडियां दिन के समय खेतों की दरारों या पौधों के बीच छिपी रहती हैं, जबकि शाम होते ही बाहर निकलती हैं और पौधों पर हमला करती हैं। ये बालियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर गिरा देती हैं और पौधों को इस प्रकार खा जाती हैं जैसे किसी पशु ने फसल को चर लिया हो। इस प्रकोप का समय पर पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि फसल को बचाने के लिए तुरंत उपाय किए जा सकें।
कृषि विभाग ने किसानों को सैनिक कीट से फसल बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। यदि खेत में प्रति वर्ग मीटर 4 से 5 सूंडियां पाई जाती हैं, तो तुरंत नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए। विभाग ने कुछ रासायनिक उपाय सुझाए हैं, जो निम्नलिखित हैं:
मैलाथियान 5% चूर्ण: 20-25 किलोग्राम धूल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते है। इसके अलावा,
फेन्थोएट 2% चूर्ण: 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या
एसीफेट 75 एसपी: 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या
डीडीवीपी 76 ईसी: 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें या
क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी: 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिक्स करके छिड़काव कर सकते है। या
मिथाइल पैराथियान 2% चूर्ण: 25-30 किलोग्राम धूल प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
आप कोई भी एक रासायनिक उपाय इस्तेमाल कर सकते हैं
फेरोमोन ट्रैप और ब्लैक लाइट ट्रैप का उपयोग
सैनिक कीट से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप और ब्लैक लाइट ट्रैप का उपयोग भी किया जा सकता है। ये ट्रैप सूंडियों की गतिविधियों को नियंत्रित करने और उनकी संख्या को कम करने में मदद करते हैं। किसान अपने खेतों में इन ट्रैप्स का उपयोग कर सकते हैं ताकि सैनिक कीट का प्रकोप कम हो और उनकी फसल सुरक्षित रह सके।
और यदि धान की खेती में गंधीबग कीट (Brown Planthopper) एक गंभीर समस्या बन गया है। यह कीट न केवल फसल की उत्पादकता को प्रभावित करता है, बल्कि इसके प्रकोप से खेतों में दुर्गंध भी फैल जाती है। किसान यदि समय पर इसके प्रकोप का समाधान नहीं करते हैं, तो यह उनकी फसल को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।तो जरुरी है कि किसान अपनी फसल की नियमित निगरानी करे, ताकि गंधीबग के प्रकोप का समय पर पता लगाया जा सके। यदि किसान समय पर कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, तो वे अपनी फसल को इस कीट के प्रभाव से बचा सकते हैं।
गंधीबग कीट दूधिया अवस्था में दानों से रस चूसकर उन्हें खोखला कर देता है। इससे प्रभावित पौधों पर काले धब्बे बनने लगते हैं। जब यह कीट फसल पर आक्रमण करता है, तो इससे पौधों की बालियों में चावल नहीं बन पाते, और अंततः पौधे काले होकर सूखने लगते हैं। इस कीट का प्रकोप न केवल फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है, बल्कि इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी होता है।
गंधीबग कीट के नियंत्रण के लिए विभिन्न रासायनिक उपाय कर सकते है
कार्बोफ्यूरान 3 सीजी: इस कीटनाशक का उपयोग 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से किया जा सकता है। इसे फसल में छिड़कने से पहले पानी में अच्छी तरह घोल लें। या फिर
क्लोरपाइरीफॉस 20% ईसी: 1.50 लीटर की मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। यह कीट के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा। या
एसीफेट 75 एसपी: 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह उपाय गंधीबग के नियंत्रण के लिए प्रभावी है। इसके अलावा,
डीडीवीपी 76 ईसी: 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी इस कीट के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। या
मिथाइल पैराथियान धूल: 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इसका छिड़काव किया जा सकता है।
समय पर बचाव और सतर्कता से फसल की सुरक्षा
धान की फसल में सैनिक कीट का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या हो सकता है, लेकिन समय पर निगरानी, जैविक और रासायनिक उपायों का सही तरीके से इस्तेमाल करके इस समस्या से निपटा जा सकता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के सुझाए गए उपाय किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं, जिससे वे अपनी फसल को इस कीट के प्रकोप से बचा सकते हैं और बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं।
नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से जुटाई गई है। किसी भी जानकारी को प्रयोग में लाने से पहले नजदीकी कृषि सलाह केंद्र से सलाह जरूर ले लें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।