आखिरी समय में आपकी सरसों को बर्बाद कर सकता है यह कीट | ऐसे करें बचाव
किसान साथियों, हाल ही में मौसम में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसका सीधा प्रभाव रबी सीजन की फसलों पर पड़ रहा है। विशेष रूप से कुछ जिलो में इस समय सरसों की फसल पर माहू कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। ये कीट आकार में छोटे लेकिन फसल के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। माहू कीट पौधों की पत्तियों, फूलों, फलों और टहनियों से रस चूसकर उन्हें कमजोर बना देते हैं, जिससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है ये कीट पौधों की कोशिकाओं में मौजूद पोषक तत्वों को सोख लेते हैं, जिससे पत्तियां पीली और मुरझाई हुई दिखाई देने लगती हैं। इसके अलावा, माहू कीट अपने मलमूत्र के रूप में 'हनीड्यू' छोड़ते हैं, जिस पर काली फफूंद (सूट मोल्ड) विकसित हो जाती है, जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बाधित करती है। इसका सीधा असर उत्पादन और फसल पर पड़ता है। तो किसानों साथियों, इस समस्या से बचाने के लिए उचित उपायों को अपनाने की जरूरत है।
फूल आने के बाद कीटनाशकों का छिड़काव सावधानी से करें
किसान साथियों अब सरसों की फसल में इस समय फूल आने लगे हैं, जिससे फसल कीटों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गई है। फूल आने के बाद कीटनाशक रसायनों का छिड़काव करने में सतर्कता बरतना बेहद जरूरी हो जाता है, फूल आने के समय सरसों की फसल में माहू, पोड बोरर और थ्रिप्स जैसे कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। माहू पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। पोड बोरर फली को नुकसान पहुंचाता है, जबकि थ्रिप्स फूलों की पंखुड़ियों को नुकसान पहुंचाते हैं। माहू को पत्तियों की निचली सतह पर काले या हरे रंग के छोटे कीटों से पहचाना जा सकता है, पोड बोरर के प्रकोप में फली में छेद और सूखे बीज नजर आते हैं, जबकि थ्रिप्स के प्रकोप से फूलों में विकृति और पंखुड़ियों पर सिल्वर रंग के निशान दिखाई देते हैं।
तापमान बढ़ने पर माहू का खतरा ज्यादा
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार, 15 जनवरी के बाद जैसे ही तापमान में हल्की वृद्धि होती है, माहू का प्रकोप तेजी से बढ़ने लगता है। यह कीट छोटे आकार का होता है और इसकी शिशु अवस्था को 'निम्ट' कहा जाता है। ये छोटे-छोटे कीट पत्तियों, फूलों और नई टहनियों से चिपककर उनका रस चूसते हैं, जिससे पौधा धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। यदि समय रहते इस कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो सरसों की उपज में भारी गिरावट आ सकती है।
कैसे करे छिड़काव
किसानों को सबसे पहले अपने खेत के किनारे के पौधों की जांच करनी चाहिए। यदि हरे रंग के छोटे-छोटे निम्ट दिखाई दें, तो तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करें। माहू पर नियंत्रण पाने के लिए सर्वांगी कीटनाशकों जैसे ईमिडा क्लोपिड 17.8% या ईमिडा क्लोपिड 30.5% थायमोक्जिम, एसिडामिसप्रीड का उपयोग किया जा सकता है। इन कीटनाशकों की 100 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर सबसे पहले खेत के किनारों पर छिड़काव करें और फिर पूरे खेत में इसका छिड़काव करें।
यदि सरसों के साथ मसूर की खेती भी की गई है, तो उसमें भी इन कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि माहू मसूर की फसल को भी नुकसान पहुंचा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, माहू के प्रभावी नियंत्रण के लिए सही समय पर छिड़काव करना आवश्यक है। समय पर सही कीटनाशक के उपयोग से किसान भाइयों को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा और उनकी फसल सुरक्षित रह सकेगी।
यदि कीटनाशक का उपयोग न करना चाहें तो जैविक उपाय अपनाएं। माहू को नियंत्रित करने के लिए नीम तेल (Azadirachtin 1500 ppm) का छिड़काव करें। पोड बोरर नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा परजीवी ततैया का उपयोग करें। कीटों को भगाने के लिए लहसुन और लाल मिर्च का घोल छिड़कें।
शाम के समय करें स्प्रे
कीटनाशक का छिड़काव हमेशा शाम के समय करें, विशेष रूप से दोपहर 3:00 बजे के बाद। सरसों की फसल में फूल आने के साथ ही मित्र कीटों की उपस्थिति बढ़ जाती है, जो फसल के लिए लाभकारी होते हैं। यदि कीटनाशक का छिड़काव सुबह किया जाए, तो ये लाभकारी कीट नष्ट हो सकते हैं। इसलिए, छिड़काव के लिए सुबह जल्दी या शाम का समय ही उचित होता है, जब मधुमक्खियां और अन्य मित्र कीट कम सक्रिय होते हैं। फूलों के पूरी तरह खिलने से पहले कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। यदि फूल आ चुके हैं और छिड़काव की आवश्यकता हो, तो इसे केवल शाम के समय करें।
किसानों को माहू से अपनी सरसों की फसल बचाने के लिए इन उपायों को जल्द से जल्द अपनाना चाहिए ताकि उत्पादन में किसी भी प्रकार की कमी न आए और उनकी मेहनत सफल हो सके। यदि सही समय पर छिड़काव किया जाए और मौसम को ध्यान में रखते हुए खेत की निगरानी की जाए, तो इस खतरनाक कीट से फसल को बचाया जा सकता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।