चने के दोगुने उत्पादन के लिए अपनाए बुवाई का यह तरीका | रोग और कीट रहेंगे दूर
किसान साथियों ज्यादा उत्पादन पाने के लिए सबसे जरूरी है कि फ़सल की बुवाई के समय सही तरीके को अपनाया जाए। सही तरीके व सही तकनीक से बोई गई फसलों का परिणाम अच्छा आता है। आज की पोस्ट में हम चने की बुवाई के संबंध में जरूरी जानकारी देने वाले हैं चने के किसानों के लिए यह पोस्ट बहुत जरूरी है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
खरीफ की फसलों के बाद हमारे किसान साथी रबी फसलों की बुवाई में जुट जाते हैं। रबी फसलों में अधिकांशतः किसान गेहूं, चना, सरसों की बुवाई करते हैं इसके पीछे का कारण यही है कि इसके बाजार में इन फ़सलों के अच्छे भाव मिल जाते हैं और इनकी कीमतों में भी कोई खास उतार-चढ़ाव नहीं होता। जो किसान इस बार चने की खेती करने का सोच रहे हैं या करने जा रहे हैं उन्हें चने की बुवाई करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। अक्सर देखने में आया है कि अन्य रबी की फसलों की भांति चने में भी कई प्रकार के कीट व रोगों का प्रकोप बना रहता है ऐसे में बुवाई के समय कुछ खास तकनीकी का प्रयोग करें तो चने की फसल को कीट व रोगों के प्रकोप से काफी हद तक बचाया जा सकता है।
उचित समय पर चने की बुवाई
चने की बुवाई का आदर्श समय 10 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच ही माना जाता है कुछ किसान भाई इसकी पछेती बुवाई भी करते हैं लेकिन पछेती बुवाई में अधिक खाद व उर्वरक डालने पड़ते हैं जिससे लागत अधिक आती है वही मौसम अनुकूल होने के बावजूद भी पछेती बुवाई में उत्पादन कम ही प्राप्त होता है अनुमान के मुताबिक चने के उत्पादन में 30 से 40% की कमी आ सकती है। इसलिए किसान को यह ध्यान देना चाहिए कि चने की सही समय पर बुवाई करें ताकि कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके
जाने मिट्टी में हो, कितनी गुणवंता
चने के पौधे के उपयुक्त विकास के लिए मिट्टी का PH. मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। इतना ही नहीं चने की खेती के लिए मिट्टी का लवण व क्षार रहित होना आवश्यक है और अच्छे जल निकास वाली भूमि ही उपयुक्त रहती है।
जाने बुवाई से पहले बीच का अंकुरण प्रतिशत
किसान भाइयों यह तो आप सबको पता ही है कि सही बीजों की बुवाई से ही अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है। लेकिन चने की बुवाई से पहले बीजों के अंकुरण का प्रतिशत को जानना आवश्यक है। बीज़ की गुणवत्ता जांचने के लिए 100 बीजों को पानी में 8 से 10 घंटे भिगो दे। उसके बाद बीजों को पानी से निकाल कर गीले नरम तौलिया या बोरे में ढक कर एक साधारण या सामान्य तापमान वाले कमरे में रख दें। चार से पांच दिन बाद आप देखेंगे कि बीज अंकुरित होना शुरू हो गए हैं अब यदि अंकुरित बीजों की संख्या 90 से अधिक है तो बीजों का अंकुरण प्रतिशत बिल्कुल ठीक है यदि इससे कम है तो बुवाई के लिए अच्छी उत्तम क्वालिटी के बीजों का इस्तेमाल करें या फिर बीजों की मात्रा को बढ़ा दे।
बुवाई से पहले कैसे करें बीजों को उपचारित
चने के बीजों की बुवाई से पहले किसान बीज को उपचारित जरूर करें। बीजों को उपचारित करने के लिए किसान बीजों को राइजोबिया कल्चर व पीएसबी कल्चर से उचारित करना चाहिए और इसके बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए। बीज उपचारित करने के लिए आवश्यकतानुसार पानी गर्म कर लें। अब इसमें गुड़ घोले। अब इस गुड़ वाले पानी के घोल को ठंडा होने के बाद इसमें अच्छी तरह से कल्चर को मिला दें। इसके बाद कल्चर मिले घोल से बीजों को उपचारित करें। इसके बाद बीजों को छाया में सुखने के लिए रखें और इसके बाद जल्दी ही बीजों की बुवाई कर दें। बीज उपचार करने में सबसे पहले बीजों को कवकनाशी से उपचारित करें, इसके बाद कीटनाशी से और सबसे अंत में राइजोबियम कल्चर से बीजों को उपचारित करना चाहिए।
जड़ गलन व उकठा रोग से बचाव
चने में जड गलन व उकठा रोग का जैसे हानिकारक रोगों का प्रकोप होता है। इस रोग से बचाव के लिए ट्राईकोडर्मा से भूमि का उपचार करना चहिए। बुवाई से पहले 10 किलोग्राम टाईकोडर्मा को 200 किलोग्राम आर्द्रता युक्त गोबर की खाद मिलाकर 10-15 दिन छाया में रखना चाहिए। अब इस मिश्रण को बुवाई के समय प्रति हैक्टेयर की दर से पलेवा करते समय मिट्टी में मिला देना चाहिए। साथ ही रोग प्रति रोधी किस्मों का उपयोग करना चाहिए। वहीं बीजों को उपचारित करने के लिए बीजों को एक ग्राम कार्बेंडाजिम एवं थीरम 2.5 ग्राम या ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उचारित कर लेन चाहिए और इसके बाद ही बुवाई करनी चाहिए।
दीमक व अन्य कीट से फसलों का बचाव
चने की फसल में दीमक, कटवर्म एवं वायर वर्म की रोकथाम के लिए किसान भाई क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से आखिरी जुताई से पहले छिड़काव करें। चने की फसल में दीमक से बचाव के लिए बीजों को फिप्रोनिल 5 एससी 10 मिली या इमीडाक्लोप्रिड 600 एफएस का 5 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार कर बुवाई करें।
क्या है, बीज की उचित मात्रा जाने
ध्यानयोग्य बात है कि चने की बुवाई में बीज की उचित मात्रा होना आवश्यक है। यदि छोटे दाने वाली किस्म वाले बीच की बुवाई कर रहे हैं तो 20 से 22 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से बीज की मात्रा रखें। वहीं बड़े दानों वाली किस्म के लिए 40 किलोग्राम बीज दर रखनी चाहिए। इसके अलावा पछेती बुवाई के लिए भी 35 से लेकर 40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करना चाहिए।
उचित तकनीक से करें चने की बुवाई, क्या है सही तरीका
1. सीडड्रिल की सहायता से चने की बुवाई उपयुक्त नमी वाले खेत में करें।
2. बीज को नमी के संपर्क में लाने के लिए बुवाई गहराई में करें तथा पाटा लगाएं।
3. पौधों की संख्या 25 से 30 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से रखें।
4. बीजों की बुवाई के समय एक कतार से दूसरे कतार के बीच की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें। और पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. कीं होनी चाहिये
5. सिंचित अवस्था में काबुली चने में पंक्तियां के बीच की दूरी 45 सेमी रखनी चाहिए।
चने की बुवाई के वक्त ध्यान रखने योग्य बातें
अपने क्षेत्र के अनुसार चने की किस्म का चुनाव करना चाहिए और हमेशा बुवाई के लिए प्रमाणिक बीज का ही उपयोग करना चाहिए।
जिस खेत में चने की बुवाई करनी हो वह खेत फसल अवशेषों से मुक्त होना चाहिए। वहीं भूमि में फफूंदों का विकास नहीं होना चाहिए। और हाँ सबसे महत्वपूर्ण बीजों का उपचार करते समय अपनी सुरक्षा के लिए पूरे कपड़े पहने, मुंह पर मास्क लगाएं और हाथों में दस्ताने अवश्य पहनें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।