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धान की फसल में बहुत तेजी से फ़ैल रहा है यह खतरनाक रोग | जाने इसकी रोक थाम कैसे करे

धान की फसल में बहुत तेजी से फ़ैल रहा है यह खतरनाक रोग | जाने इसकी रोक थाम कैसे करे
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किसान साथियो इन दिनों धान की फसल बकानी रोग नामक फफूंद जनित बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। यह रोग धान की फसल के लिए काफी खतरनाक है और इससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इस रोग के संक्रमण से धान के पौधे असामान्य रूप से लंबे हो जाते हैं और धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। वर्तमान में बारिश के मौसम के कारण वातावरण में आर्द्रता का स्तर काफी बढ़ गया है। इस बढ़ी हुई आर्द्रता के कारण धान की फसल कई तरह के रोगों की चपेट में आ रही है, जिनमें बकानी रोग भी शामिल है। यदि समय रहते इस रोग का उपचार नहीं किया गया तो इससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपनी फसल का नियमित निरीक्षण करें और रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करवाएं।

कैसे पहचाने की यह बकानी रोग
साथियो कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी के अनुसार, बकानी रोग से ग्रस्त धान के पौधे स्वस्थ पौधों की तुलना में काफी लंबे हो जाते हैं। रोगग्रस्त पौधों के पत्ते पीले पड़ जाते हैं और किनारों से सूखने लगते हैं। इन पौधों का तना पतला और कमजोर हो जाता है और जड़ें सड़ने लगती हैं। जड़ों के सड़ने से पौधे मिट्टी से पोषक तत्वों को ठीक से ग्रहण नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, पौधों के तनों की निचली गांठों से जड़ें निकलना और तनों पर रूई जैसी सफेद या गुलाबी रंग की फफूंद का दिखाई देना भी बकानी रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

नाइट्रोजन का पर्याप्त मात्रा में करें इस्तेमाल
साथियो कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया कि मोटे धान की रोपाई के बाद भी किसान बासमती धान की रोपाई कर रहे हैं। ऐसे में बकानी रोग से फसल को बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। खेत की अंतिम जुताई के समय ट्राइकोडर्मा को खेत में डालना चाहिए। साथ ही, पौधशाला में पौधे उखाड़ने से 7 दिन पहले कार्बेन्डाजिम को रेत में मिलाकर पौधशाला में बिखेर देना चाहिए। नाइट्रोजन का अधिक मात्रा में उपयोग करने से बकानी रोग बढ़ने का खतरा रहता है। इसलिए, किसानों को नाइट्रोजन का प्रयोग उचित मात्रा में ही करना चाहिए। नाइट्रोजन के संतुलित उपयोग से फसल को बकानी रोग से काफी हद तक बचाया जा सकता है।

खड़ी फसल को बकानी रोग से कैसे बचाए
साथियो कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी के अनुसार, यदि धान की खड़ी फसल में बकानी रोग के लक्षण शुरुआती चरण में ही दिखाई देने लगें तो किसानों को तुरंत उपचार करना चाहिए। इस रोग के नियंत्रण के लिए 250 ग्राम एफिनेट मिथाइल को 125 से 130 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत में छिड़काव किया जा सकता है। इसके अलावा, कार्बेंडाजिम और थायोफिनेट मिथाइल के घोल का छिड़काव भी प्रभावी रहता है। समय पर उचित उपचार करने से फसल को बचाया जा सकता है और उत्पादन में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

Note:- किसान साथियो उपर दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिक की सलाह जरूर ले लें । कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान में किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।