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चने के खेत से 30 मण से ज्यादा उत्पादन लेने का फार्मूला मिल गया है | यहां जाने

चने की उन्नत खेती
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चने की खेती में अगर बंपर उत्पादन लेना है तो अपनाएं यह फार्मूला।

किसान भाइयों, चने की खेती एक महत्वपूर्ण और लाभकारी कृषि व्यवसाय है। चना, जिसे आमतौर पर gram या chickpea के नाम से भी जाना जाता है, यह प्रोटीन से भरपूर होता है और इसका उपयोग खाद्य पदार्थों में बखूबी होता है। 2023 के मुकाबले इस साल किसानों को चने के अच्छे भाव मिल रहे हैं। इसलिए अब चने की खेती एक मुनाफा देने वाली खेती बन गई है। दोस्तो यदि आपने अपने इस सीज़न में चने की खेती लगायी हुई है तो आपके लिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि इसके उत्पादन को कैसे बढ़ाया जाए ताकि आपको बढ़िया भाव के साथ साथ बढ़िया उत्पादन भी मिल सके। दोस्तों, आजकल किसान अपनी फसल के उत्पादन को लेकर कई चुनौतियों का सामना करते हैं, जैसे कि मौसम की अनिश्चितता, कीट और रोगों से नुकसान, और सही तकनीकी ज्ञान की कमी। लेकिन अगर आप चने की खेती के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखते हैं, तो आप आसानी से प्रति एकड़ 30-35 मण तक का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको चने की खेती के कुछ बेहतरीन और असरदार तरीके बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप चने का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। आइए, विस्तार से जानें चने की फसल को बंपर बनाने के लिए किस तरह का फार्मूला अपनाना चाहिए।

चने की बुवाई का सही समय
किसान साथियों, चने की खेती में सबसे पहले जो सबसे महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखनी चाहिए, वह है बुवाई का सही समय। हालांकि चने की बुवाई का काम लगभग लगभग समाप्त हो चुका लेकिन फिर भी हम आपको बताना चाहेंगे कि यदि आप चने की बुवाई वसंत (spring) के मौसम में करते हैं, तो आपको इसका बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा। वसंत का मौसम चने की बुवाई के लिए आदर्श समय होता है क्योंकि इस समय मिट्टी में नमी और तापमान दोनों ही उपयुक्त होते हैं। बुवाई का समय यदि सही नहीं होता, तो पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जिससे उत्पादन घट सकता है। साथ ही, आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चने की बुवाई का समय किसी भी हाल में बहुत देर तक न हो। सामान्यत: अक्टूबर और नवंबर के महीनों में चने की बुवाई करनी चाहिए। इसके अलावा, यदि आप धान की फसल काटकर चने की बुवाई करते हैं तो लेट बिजाई में आप 15 दिसंबर तक चने की बुवाई कर सकते हैं, लेकिन इसमें आपकी पैदावार में थोड़ी गिरावट आ सकती है। इसके लिए आप चने की उन्नत लेट बुवाई वाली किस्मों का चयन करें।

चने की सही बीज़ किस्म का चयन
साथियों, चने की फसल में अधिक उत्पादन लेने के लिए चने की सही किस्म का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फसल की वृद्धि और उत्पादन पर बड़ा प्रभाव डालता है। बाजार में कई प्रकार की चने की किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से कुछ विशेष किस्में चने के बंपर उत्पादन में मदद करती हैं। जैसे कि विजेता, विजेता 92/18, और दफ्तरी 21। इन किस्मों को अपनाने से न केवल फसल का उत्पादन बढ़ता है, बल्कि यह कीट और रोगों से भी ज्यादा प्रभावित नहीं होतीं। इन किस्मों का चयन करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी इन किस्मों के लिए उपयुक्त हो। चने की ये किस्में रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण अधिक उत्पादन देती हैं और बेहतर गुणवत्ता की होती हैं, जो किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होती हैं।

बीज उपचार का महत्व
किसान भाइयों, चने की फसल में अधिक उत्पादन लेने के लिए बीमारियों से बचाव बहुत जरूरी होता है, क्योंकि चने में कई प्रकार की बीमारियां जैसे कि विल्ट (Wilt) चने की फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसके लिए बीज उपचार करना इस समस्या से बचने के लिए एक प्रभावी उपाय है। बीज उपचार करने से बीजों में छिपे रोगजनकों का नाश होता है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से बचते हैं, जो फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसके लिए आपको बीज उपचार के लिए फंगिसाइड का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। इसे बीजों को बोने से पहले छिड़कना चाहिए ताकि बीजों में किसी भी प्रकार के रोगाणु न हों। इससे चने की फसल जल्दी बढ़ती है और स्वस्थ रहती है। इसके लिए आप चने की फसल में उखठा और जड़ गलन से बचने के लिए बीजों को 2.5 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बन्डाजिम के मिश्रण से उपचारित करें या फिर जड़ गलन और उखटा रोग से बचने के लिए बीजों को 1.5 से 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मैन्कोजेब या थायरम की मात्रा से उपचारित करें। अन्य रोगों से बचने के लिए आप बीजों को राइज़ोबियम कल्चर से उपचारित करें। एक हेक्टेयर क्षेत्र के बीजों के लिए तीन पैकेट कल्चर काफ़ी होता है। यदि खेत में दीमक का प्रकोप हो, वहां 100 किलो बीज में 800 मिलीलीटर क्लोरोपायरिफ़ोस 20 ई.सी. मिलाकर बीजों का उपचार करें।

चने में कौन सा खाद डालें?
किसान भाइयों, वैसे तो आमतौर पर चने की फसल में उर्वरकों की अधिक आवश्यकता नहीं होती, लेकिन अगर आप अपने उत्पादन को अत्यधिक मात्रा में बढ़ाना चाहते हैं तो आप किसी चने की देसी किस्मों के लिए सिंचित और असिंचित इलाकों में नाइट्रोजन (यूरिया 13 किलो) और फास्फोरस (सुपर फासफेट 50 किलो) प्रति एकड़ के हिसाब से बिजाई के समय डालें। जबकि काबुली चने की किस्मों के लिए, बिजाई के समय 13 किलो यूरिया और 100 किलो सुपर फासफेट प्रति एकड़ डालें। चने में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाने के लिए सल्फर को बुवाई के समय ही देना चाहिए। यदि आपके पास बेसल डोज में डीएपी और यूरिया उपलब्ध नहीं है तो आप एनपीके 12-32-16, 60 किलोग्राम प्रति एकड़ इसकी बुवाई के समय दें। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का अच्छा संतुलन होता है। इसके साथ 3 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (KCl) और 12 किलोग्राम बेंटोनाइट सल्फर या 80 किलोग्राम जिप्सम का भी उपयोग करें। इससे आपकी फसल में बढ़िया फुटाव के साथ-साथ फलियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है जो फसल के उत्पादन को बढ़ाने में सहायता करती हैं।

खरपतवार नाशक दवाई
किसान भाइयों किसी भी फसल की वृद्धि और उत्पादन के रास्ते में खरपतवार एक सबसे बड़ी समस्या होती है जो मिट्टी से पौधों को प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों को नष्ट कर देती है इसके लिए किसान भाई चने की फ़सल में खरपतवारों को रोकने के लिए, पेंडिमेथालिन दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।. इसके लिए, 500 लीटर पानी में 2.50 लीटर पेंडिमेथालिन दवा को घोलकर छिड़काव करना चाहिए. यह दवा चने की फ़सल के लिए बहुत असरदार मानी जाती है. खरपतवारों को रोकने के लिए, किसान भाई परस्यूट नाम की दवा का भी इस्तेमाल भी कर सकते है.इस दवा का उपयोग घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर अधिक असर दायक होता है.खरपतवारों के 1-2 पत्ती अवस्था में उगने के बाद इस दवा को जल्दी इस्तेमाल करना चाहिए।

रोग नियंत्रण और कीटों से बचाव
किसान भाइयों, चने की फसल में कई प्रकार के कीट और रोग लग सकते हैं, जो फसल की वृद्धि को प्रभावित करते हैं और आगे चलकर फसल के उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। चने की फसल में कुछ प्रमुख कीट टिड्डी, स्लग और हाई फंगस हैं। इनके नियंत्रण के लिए समय-समय पर सही कीटनाशक का इस्तेमाल करना जरूरी है। जब चने की फसल में कीड़े नजर आने लगें, तो आपको तुरंत डीवार्मर और अंडा किलर जैसे कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। इससे कीटों की संख्या कम हो जाती है और पौधों की वृद्धि बिना किसी रुकावट के जारी रहती है। इसके अलावा, पौधों पर फल आने की अवस्था में फली छेदक रोग चने की फसल को अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकता है। चने में फली छेदक रोग लगने पर इसके कीड़े के नियंत्रण हेतु लगभग 50 प्रतिशत फूल आने पर एनपीवी 250 एलई एक मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

ग्रोथ इनहिबिटर्स का उपयोग
किसान भाइयों, चने की फसल के बेहतर विकास के लिए ग्रोथ इनहिबिटर्स का सही मात्रा में इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है। ये लायोसिन, डोंगले, और इलेक्ट्रिसिटी जैसे इनहिबिटर्स चने की फसल की बढ़त को नियंत्रित करते हैं और इसके विकास को गति देते हैं। इनका प्रयोग तब करना चाहिए जब चने की फसल के पौधों में कोंपल आनी शुरू हो जाए। इनहिबिटर्स का समय पर और उचित मात्रा में इस्तेमाल करने से पौधों की वृद्धि सामान्य रहती है और वे स्वस्थ रहते हैं।

सिंचाई का सही समय
किसान भाइयों, फसल की सही विकास और बढ़िया उत्पादन प्राप्त करने के लिए चने की फसल में सही समय पर पानी देना बहुत जरूरी है। हालांकि चने की फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सीमित मात्रा में पानी से भी अच्छा उत्पादन मिल सकता है। चने की फसल में सिंचाई का मुख्य उद्देश्य मिट्टी में नमी बनाए रखना होता है। फसल में बढ़िया उत्पादन लेने के लिए सिंचाई का समय भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि आप इसे सही समय पर और सही तरीके से देते हैं, तो आपकी फसल को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। इसके लिए आप चने की फसल में पहली सिंचाई आवश्यकतानुसार बुवाई के 45-60 दिनों बाद (फसल में फूल आने से पहले) तथा दूसरी सिंचाई फलियों में दाना बनते समय की जानी चाहिए। यदि जाड़े की वर्षा हो जाए, तब सिंचाई आवश्यक नहीं है। असिंचित या देरी से बुवाई की दशा में दो प्रतिशत यूरिया के घोल का फूल आने के समय छिड़काव करना लाभदायक रहता है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।