धान की कटाई से पहले ये दो कीट बन सकते हैं खतरा | ऐसे करें इलाज
किसान साथियों ,धान की फसल, जिसे मुख्य खाद्य फसल के रूप में जाना जाता है, अब पककर तैयार हो चुकी है। लेकिन इस समय जब धान की फसल अपने अंतिम चरण में होती है,इस वक्त तो धान मे ज्यादातर दो खतरनाक कीटों के प्रकोप का खतरा बना रहता है, जिससे किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर सकता है। यदि समय रहते इन कीटो पर नियंत्रण के उपाय किए जाएं, तो फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञ ने इन कीटों से बचाव के कुछ विशेष उपाय सुझाए हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
धान की फसल के पकने के समय मुख्यतः फौजी कीट (आर्मी वर्म) और एफीड (माहू) का प्रकोप देखने को मिलता है। ये दोनों कीट फसल को भारी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। फौजी कीट और माहू फसल की कटाई के ठीक पहले सक्रिय होते हैं और फसल को बर्बाद कर सकते हैं।
फसल पर कौन-कौन से कीट हमला करते हैं?
धान की फसल के पकने के समय दो प्रमुख कीट - फौजी कीट और माहू - सक्रिय हो जाते हैं:
फौजी कीट (आर्मी वर्म): फौजी कीट विशेष रूप से शाम के समय सक्रिय हो जाते हैं | ये कीट समूह में आकर पत्तियों और तनों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके प्रकोप से पूरी फसल एक रात में बर्बाद हो सकती है। ये कीट मुख्यतः दिन में जमीन के नीचे या जमीन की दरारों या मेढ़ के पास छिपे रहते हैं, लेकिन रात में फसल पर हमला कर देते हैं। जब इनकी भूख बढ़ती है, तो ये बड़े पैमाने पर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और कभी-कभी दिन में भी आक्रमण कर सकते हैं।
माहू (एफीड): माहू, जिसे एफीड भी कहा जाता है, माहू पौधों के तनों से रस चूसते हैं, जिससे पौधों को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता। ये कीट पौधों की बढ़वार और धान के दाने की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसका असर फसल की वृद्धि और उत्पादन पर पड़ता है। माहू के संक्रमण की शुरुआत में पौधों पर गोल पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो समय के साथ भूरे रंग में बदल जाते हैं। इससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और फसल की गुणवत्ता में गिरावट आती है।
फौजी कीट से बचाव के उपाय
फौजी कीट से फसल को बचाने के लिए किसानों को शाम के समय 750 ग्राम फेनीट्रोथीओन या ट्राइक्लोरोफोन प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसे 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें, जिससे कीटों का प्रभाव कम हो सके और फसल सुरक्षित रहे।
माहू से फसल को बचाने के उपाय
माहू के प्रकोप को रोकने के लिए किसान फेनबुकार्व 50 EC 300 मिली और आईसोप्रोथियोलेन को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इस उपाय से फसल को माहू के संक्रमण से बचाया जा सकता है और पौधों को पोषण की कमी से मुक्त किया जा सकता है।
दोस्तों अंत मे धान की फसल के इस महत्वपूर्ण समय पर इन कीटों से सुरक्षा बेहद जरूरी है। किसानों को समय पर आवश्यक कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए, जिससे फसल सुरक्षित रह सके और उनकी मेहनत व्यर्थ न जाए।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।