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धान की बालियां निकलने पर बढ़ जाता है यह रोग लगने का खातरा | जाने इस रोग के लक्षण और कैसे करे रोकथाम

धान की बालियां निकलने पर बढ़ जाता है यह रोग लगने का खातरा | जाने इस रोग के लक्षण और कैसे करे रोकथाम
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किसान साथियो धान की फसल में तना छेदक, हरदा रोग और गलवा रोग जैसी बीमारियां किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई हैं। इन बीमारियों के कारण धान की बालियां प्रभावित होती हैं और उत्पादन में काफी कमी आ जाती है। पूर्णिया कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के. एम. सिंह के अनुसार, इन बीमारियों से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। किसान भाई इन उपायों को अपनाकर अपनी धान की फसल को इन बीमारियों से बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन ले सकते हैं। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

अधिक उत्पादन पाने के लिए क्या करे किसान
पूर्णिया कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के वरिय कृषि वैज्ञानिक डॉ. केएम सिंह ने किसानों को धान की फसल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि धान की फसल जब बालिया फूटने की अवस्था में होती है, उस समय यूरिया और पोटाश का मिश्रण छिड़काव करने से पौधों को पर्याप्त पोषण मिलता है, जिससे दाने अच्छे बनते हैं और धान की फसल स्वस्थ रहती है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलो यूरिया और 5 से 10 किलो पोटाश को मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। डॉ. सिंह ने किसानों को यह भी बताया कि बीज की गुणवत्ता और उचित खेती तकनीकों का उपयोग करके प्रति हेक्टेयर 50 से 60 क्विंटल तक धान का उत्पादन आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इन सुझावों का पालन करके धान की फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं और धान में लगने वाले रोगों से भी बचा सकते हैं।

धान की फसल में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम
धान की फसल में कई तरह के रोग लग जाते हैं जो किसानों के लिए चिंता का विषय होते हैं। हाल ही में, कई किसानों ने धान की फसल में तना छेदक और गलवा रोग लगने की शिकायत की है। तना छेदक रोग से बचाव के लिए किसान टिप्रोनिल दानेदार दवा का उपयोग कर सकते हैं। इस दवा को 10 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से तना छेदक रोग से काफी हद तक निजात मिल सकती है। वहीं, गलवा रोग के लिए वेलिडामैसिन हेक्साकोनोजिल दवा प्रभावी साबित हो सकती है। इस दवा को डेढ़ से दो एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौधे की बालियां सड़ने से बचाई जा सकती हैं। इसके अलावा, हरदा रोग लगने पर प्रोपिकोना जोल दवा का उपयोग किया जा सकता है। इस दवा को 1 से 1.5 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

क्या है रोकथाम का दूसरा तरीका
धान की फसल जब बालियां निकालती है, तो इस दौरान गंधी कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ जाता है। ये कीट धान के दानों और फूलों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं, जिससे दाने खोखले हो जाते हैं और किसानों को भारी नुकसान होता है। इस समस्या से निपटने के लिए किसान फॉलिडोल नामक कीटनाशक का छिड़काव सुबह के समय कर सकते हैं। हालांकि, फॉलिडोल एक रासायनिक कीटनाशक है, इसलिए इसका उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आप जैविक तरीकों से कीटों का नियंत्रण करना चाहते हैं, तो नीम का तेल या नीम के बीज का तेल एक अच्छा विकल्प है। इनका 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से गंधी कीट के साथ-साथ हरदा रोग को भी नियंत्रित किया जा सकता है। यह उपचार बालियां निकलने के बाद भी किया जा सकता है। इस प्रकार, वैज्ञानिक तरीकों और कुशल ज्ञान का उपयोग करके किसान धान की फसल में होने वाले कीटों के प्रकोप को नियंत्रित कर सकते हैं और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।