अब नहीं बढ़ेगी DAP की कीमत | सरकार के किया यह ऐलान | जाने खबर
किसान साथियों और व्यापारी भाइयों कई दिनों से सोशल मीडिया और यूट्यूब पर खबर चल रही थी कि डीएपी की कीमत 1 जनवरी से बढ़ जाएगी । ऐसा हो सकता था लेकिन साल के पहले ही दिन सरकार ने एक किसान हित में फैसला लिया है इसके बाद अब डीएपी की कीमत नहीं बढ़ेगी नए साल की शुरुआत में ही किसानों के लिए खुशखबरी आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। सरकार ने डीएपी खाद बनाने वाली कंपनियों के लिए एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है। इसके तहत, इन कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी के अलावा सरकार अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी। यह पैकेज अगले एक साल तक प्रभावी रहेगा। इसके अलावा, फसल बीमा योजना को किसानों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए भी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इन फैसलों से किसानों को फायदा होगा और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
क्या नई सब्सिडी से डीएपी सस्ती मिलेगी ?
वर्तमान में, डीएपी खाद की 50 किलो की एक बोरी की कीमत 1350 रुपये है। सरकार द्वारा की गई नई घोषणा के अनुसार, डीएपी की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा। वैश्विक बाजार में अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव के कारण खाद की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं। मोदी सरकार एकमुश्त विशेष सब्सिडी देकर यह सुनिश्चित करना चाहती है कि डीएपी की कीमतों में भविष्य में अधिक वृद्धि न हो, जिससे किसानों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। यह कदम डीएपी की बाजार में निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा।
डीएपी फर्टिलाइजर क्या है
डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) एक बेहद प्रभावी रासायनिक खाद है जो फसलों की वृद्धि और गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी हैं। डीएपी में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है और यह पानी में आसानी से घुल जाता है, जिससे यह मिट्टी में तेजी से मिल जाता है और पौधे इसे आसानी से अवशोषित कर लेते हैं। डीएपी का उपयोग फसल के शुरुआती चरण में किया जाता है ताकि पौधों की जड़ों को मजबूती मिले और मिट्टी में पोषक तत्वों का स्तर बढ़ सके। यह खाद सभी प्रकार की फसलों जैसे गेहूं, धान, मक्का, गन्ना, दलहन और तिलहन आदि के लिए उपयुक्त है। विशेष रूप से, यह फॉस्फोरस की कमी वाली मिट्टी के लिए बेहद फायदेमंद होता है। डीएपी पौधों को आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करके उनकी वृद्धि को बढ़ावा देता है और फसल की पैदावार में सुधार करता है।
भारत में डीएपी बनाने वाली कंपनियां कोनसी है
भारत में उर्वरक उद्योग में IFFCO, RCF, चंबल फर्टिलाइजर्स, Zuari Agro Chemicals, FACT और GSFC जैसी प्रमुख कंपनियां हैं। इनमें से IFFCO देश की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था है और डीएपी (डायैमोनियम फॉस्फेट) उत्पादन में अग्रणी है। RCF एक सरकारी कंपनी है जो डीएपी और अन्य खादों का निर्माण करती है। चंबल फर्टिलाइजर्स और Zuari Agro Chemicals भी डीएपी सहित विभिन्न प्रकार के उर्वरकों का उत्पादन करने में अग्रणी हैं। केरल में स्थित FACT और गुजरात में स्थित GSFC भी डीएपी उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये सभी कंपनियां भारतीय कृषि क्षेत्र को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
भारत डीएपी का कितना आयात करता है
भारत अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) का बड़े पैमाने पर उपयोग करता है। चूंकि देश में डीएपी का उत्पादन पर्याप्त नहीं है, इसलिए इसकी अधिकांश मांग चीन, मोरक्को और सऊदी अरब जैसे देशों से की जाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण डीएपी की लागत में भी परिवर्तन होता रहता है। सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए डीएपी पर सब्सिडी प्रदान करती है ताकि किसानों को उर्वरक खरीदने में किसी तरह की दिक्कत न आए। डीएपी के अलावा, किसान एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) का भी उपयोग करते हैं। एसएसपी में फॉस्फोरस की मात्रा डीएपी की तुलना में कम होती है, लेकिन यह कीमत में अपेक्षाकृत सस्ता होता है। इसके अलावा, एनपीके उर्वरक भी किसानों द्वारा उपयोग किया जाता है। एनपीके उर्वरक में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मिश्रण होता है, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।