बारिश के मौसम में इस तरीके से रखें अपने गेहूं का ख्याल | अनाज से लद जाएंगी ट्रॉलियां
किसान साथियो सर्दियों का मौसम किसानों के लिए गेहूं की फसल की देखभाल में नई चुनौतियां लेकर आता है। गेहूं की अच्छी पैदवार के लिए न केवल सही समय पर बुआई और सिंचाई की जरूरत होती है, बल्कि खाद और उर्वरकों का संतुलित उपयोग भी बेहद जरूरी होता है। खासतौर पर यूरिया, जो फसल को जरूरी नाइट्रोजन प्रदान करता है, उसका सही समय पर और सही मात्रा में उपयोग करना फसल की सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। कृषि विज्ञान केंद्र की विशेषज्ञ डॉ. पूजा कुमारी के अनुसार, गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद या बुआई के 25 से 30 दिन बाद प्रति एकड़ 50 किलो यूरिया डालना चाहिए। इससे पौधों की शुरुआती वृद्धि तेज होती है और फसल का विकास बेहतर तरीके से होता है। दूसरी सिंचाई के बाद फिर से 50 किलो यूरिया डालने की सलाह दी जाती है। यह पौधों को मजबूती देता है और उपज बढ़ाने में मदद करता है। यूरिया का संतुलित उपयोग न केवल फसल की गुणवत्ता को बनाए रखता है, बल्कि यह मिट्टी के पोषक तत्वों को भी संतुलित करता है। हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यूरिया का अत्यधिक उपयोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे यूरिया का उपयोग विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार ही करें।
खरपतवार को कैसे करे नियंत्रण
साथियो खरपतवार गेहूं की फसल के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। ये फसल के पोषक तत्वों को चुरा लेते हैं और पानी की मात्रा को भी अवशोषित कर लेते हैं, जिससे मुख्य फसल की वृद्धि प्रभावित होती है। यदि समय रहते खरपतवार पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह फसल की उपज को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए सल्फास फ्यूरान (Sulfas Furan) का प्रति एकड़ 13.5 ग्राम या क्लोडिनोफॉप (Clodinofop) का प्रति एकड़ 160 ग्राम छिड़काव करना चाहिए। ये दवाएं खरपतवार को नष्ट करने में प्रभावी होती हैं और फसल को सुरक्षित रखती हैं। छिड़काव के लिए फ्लैटफैन नॉजल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है ताकि दवा फसल पर समान रूप से फैल सके। ध्यान रखें कि छिड़काव के दौरान हवा का रुख जांच लें और बारिश की संभावना होने पर दवाओं का उपयोग टाल दें।
बारिश होने के बाद गेहूं की देखभाल कैसे करें किसान ?
बारिश के मौसम में गेहूं की फसल को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। अगर पहले से सिंचाई की गई हो और उसके बाद बारिश हो जाए, तो खेत में पानी भरने का खतरा बढ़ जाता है। इससे न केवल फसल कमजोर पड़ सकती है, बल्कि फसल के गिरने का खतरा भी बढ़ जाता है। कैथल कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी रमेश वर्मा के अनुसार, बारिश के बाद यूरिया का अधिक उपयोग फसल की जड़ों को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, खेत में जलभराव होने पर पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं, जिससे उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बारिश के बाद किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेत में अतिरिक्त पानी की निकासी का प्रबंध करें और मिट्टी की नमी को देखते हुए यूरिया का छिड़काव करें। फसल में ज्यादा यूरिया डालने से बचें और प्रति एकड़ सवा दो बैग से अधिक यूरिया न डालें।
अत्यधिक यूरिया के खतरे से सावधान रहें
यूरिया एक प्रभावशाली उर्वरक है, लेकिन इसका अधिक उपयोग फसल के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। करनाल मौसम विभाग के विज्ञानी श्याम सिंह चौहान का कहना है कि बिना विशेषज्ञ की सलाह के यूरिया का अधिक उपयोग पौधों की जड़ों को कमजोर कर सकता है। अत्यधिक यूरिया डालने से पौधों में नाइट्रोजन की अधिकता हो जाती है, जिससे पौधों के तने कमजोर पड़ जाते हैं और वे गिरने लगते हैं। यह समस्या खासतौर पर तब देखने को मिलती है, जब बारिश के बाद खेत में पानी भर जाता है। ऐसे में किसानों को यूरिया का उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव
गेहूं की फसल में यूरिया का सही उपयोग फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। पहली और दूसरी सिंचाई के बाद यूरिया डालने से फसल को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसकी वृद्धि बेहतर होती है। साथ ही, खरपतवार नियंत्रण के लिए सुझाई गई दवाओं का समय पर उपयोग फसल को सुरक्षित रखता है। बारिश के मौसम में अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है, ताकि फसल गिरने और जड़ों के सड़ने का खतरा न रहे। यूरिया का अत्यधिक उपयोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए किसानों को हमेशा संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे हमेशा मिट्टी और पानी की जांच कराएं और फसल की जरूरतों के अनुसार ही उर्वरकों का प्रयोग करें। कृषि वैज्ञानिकों और मौसम विभाग से समय-समय पर सलाह लेना भी जरूरी है। अगर किसान इन सुझावों का पालन करते हैं, तो न केवल उनकी फसल सुरक्षित रहेगी, बल्कि उपज में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को मिलाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।