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अपने क्षेत्र के हिसाब से करें बाजरे की इन 3 किस्मों की बुवाई। उत्पादन होगा रिकॉर्ड तोड़

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किसान साथियों, जो किसान भाई बाजरे की बुवाई करना चाहते हैं उनके मन में इस समय एक ही सवाल चल रहा है कि उनके क्षेत्र के हिसाब से कौन सी मिट्टी में कौन सी वैरायटी सही रहती है? और किस वैरायटी को कितने पानी की जरूरत होती है, तो हम आपको बता दें कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में बाजरे की खेती अलग-अलग मिट्टी की किस्म और पानी की उपलब्धता के आधार पर की जाती है। कहीं जमीन भारी होती है तो कहीं हल्की, कहीं पानी की भरपूर व्यवस्था होती है तो कहीं सिर्फ मानसून की बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि हर किसान अपने खेत की मिट्टी और पानी की उपलब्धता को देखकर ही वैरायटी का चुनाव करे। बाजरा वैसे भी ऐसा फसल है जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन दे सकता है, लेकिन सही वैरायटी का चयन इसमें सोने पे सुहागा साबित होता है। इसलिए आज हम आपको बाजरे की ऐसी तीन हाइब्रिड किस्मों के बारे में बताएंगे जिनकी बुवाई आप अपने क्षेत्र की मिट्टी और पानी की व्यवस्था के अनुसार कर सकते हैं। तो चलिए अब एक-एक करके उन तीन हाइब्रिड वैरायटियों के बारे में विस्तार से समझते हैं जो भारत के अलग-अलग हिस्सों में अच्छी पैदावार दे रही हैं। और साथ में आप यह भी समझ पाएंगे कि किस मिट्टी में, कितने पानी में, कितने दिनों में और कितनी बीज मात्रा के साथ ये वैरायटी कितनी पैदावार दे सकती है।

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1. पायोनियर 86एम94

अगर आपके खेत की मिट्टी भारी है (जैसे काली मिट्टी या चिकनी मिट्टी) और आपके पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है, तो पायोनियर 86एम94 बाजरे की सबसे अच्छी किस्मों में से एक है। यह किस्म अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है और अच्छे पानी वाले इलाकों में इसकी खेती करने से किसानों को बेहतरीन नतीजे मिलते हैं। अगर इसकी विशेषताओं की बात करें तो इसकी पकने की अवधि: 75-78 दिन की है। इसका मतलब है कि बाजरे की यह वैरायटी 3 महीने से भी कम समय में पककर तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई के लिए बीज दर: 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ की जरूरत होती है। अगर इसकी औसत पैदावार की बात करें तो यह वैरायटी 16-17 क्विंटल प्रति एकड़ (भारी मिट्टी में) पैदावार दे सकती है। बाजरे की यह किस्म नहर या ट्यूबवेल के पानी वाले क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त बताई गई है, जो भारी मिट्टी में भी बढ़िया पैदावार देती है। क्योंकि यह किस्म भारी मिट्टी में ज्यादा पानी सहन कर सकती है। इसके अलावा इसमें अधिक तापमान को सहन करने की क्षमता भी होती है। अगर आपके पास अच्छी सिंचाई सुविधा है और मिट्टी उपजाऊ है, तो यह किस्म आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकती है।

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2. क्रिस्टल 944

पहले यह किस्म बायर 944 के नाम से जानी जाती थी, लेकिन अब इसे क्रिस्टल 944 के नाम से बेचा जाता है। यह किस्म भी भारी मिट्टी और अच्छी सिंचाई वाले इलाकों के लिए बेहतरीन है। अगर इसकी मुख्य विशेषताओं की बात करें तो इस किस्म की पकने की अवधि: 80-85 दिन की होती है और इसकी बीज दर: 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ की है। अगर इसकी पैदावार की बात करें तो इसकी औसत पैदावार: 16-17 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह वैरायटी नहर या ट्यूबवेल वाले क्षेत्रों के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा यह किस्म ज्यादा तापमान को सहन कर सकती है, जो आजकल के बदलते मौसम के लिए अच्छा है। अगर मिट्टी की बात करें तो भारी मिट्टी में इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है। और अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ और रोग प्रतिरोधी है। अगर आपके पास अच्छी सिंचाई सुविधा है और मिट्टी भारी है, तो क्रिस्टल 944 एक बेहतरीन विकल्प है।

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3. टाटा 787

टाटा कंपनी की 787 वैरायटी भी भारी मिट्टी और ज्यादा पानी वाले इलाकों के लिए एक बेहतरीन किस्म है। यह किस्म अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है और किसानों के बीच काफी पॉपुलर है। इस वैरायटी की खासियत यह है कि इसकी पकने की अवधि: 78-82 दिन है और इसकी बीज दर: 1.5 किलोग्राम प्रति एकड़ है। अगर इसकी पैदावार की बात करें तो इसकी औसत पैदावार: 15-16 क्विंटल प्रति एकड़ है। बाजरे की यह किस्म अच्छी सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए काफी उपयुक्त बताई गई है। साथ ही यह किस्म भारी मिट्टी में अच्छी ग्रोथ करती है। इसके अलावा इस वैरायटी को ज्यादा पानी की जरूरत होती है, लेकिन पैदावार भी अच्छी मिलती है। यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में कम समय में तैयार हो जाती है। इसलिए अगर आप भारी मिट्टी वाले इलाके में खेती कर रहे हैं और पानी की कोई कमी नहीं है, तो टाटा 787 एक अच्छा विकल्प है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।


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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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