चने की बढ़िया उत्पादन के लिए अपनाए पूसा चना 10216, कम पानी में भी भरपूर उत्पादन देगी चने की यह प्रजाति
चने की बढ़िया उत्पादन के लिए अपनाए पूसा चना 10216, कम पानी में भी भरपूर उत्पादन देगी चने की यह प्रजाति
क्या है पूसा चना 10 216 प्रजाति
खरीफ फसलों के बाद हमारे किसान साथी अब रबी सीजन की फसल चना दलहन की बुवाई में जुट जाते है जैसे कि आप जानते हैं, किसान अपने क्षेत्र की उत्पादक क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपनी फैसलों का चयन करते हैं कई राज्यों में पानी की कमी होने के कारण तो किसान भाई चने की खेती प्रमुखता से करते हैं क्योंकि गेहूं की तुलना में चने की खेती कम पानी में आसानी से की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिको द्वारा बहुत सारी ऐसी प्रजातियों का विकास किया जा चुका है जो सामान्य किस्मों के मुकाबले अधिक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। आधुनिक किसान भी अधिक उत्पादन किसान चने की नई-नई प्रजाति और किस्मो के बीज को लगाना चाहते हैं ताकि अच्छा खासा मुनाफा कमा सके।
ऐसी ही नयी विकसित किस्मों में से देसी चने की एक नई प्रजाति जिसका नाम है पूसा चना 10216, यह चने की एक उन्नत प्रजाति है जिसे बीजीएम 10216 के नाम से भी जाना जाता है यह प्रजाति भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2020 में विकसित की गई थी यह प्रजाति देश के मध्यवर्ती क्षेत्र के लिए उत्तम है, जिसमें उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के दक्षिणी भाग सम्मिलित है।
10216 प्रजाति की विशेषताएं
चने की यह किस्म औसतन 106 से 110 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादकता क्षमता 13.18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म की मुख्य विशेषता यह है कि यह सूखा के प्रति सहिष्णु है। एवं यह चना उकठा उक्त शुष्क मूल विगलन रोगी प्रतिरोध फसल होती है। और साथ ही यह किस्म चने में लगने वाले कीट फली छेदक के लिए भी मध्यम प्रतिरोधी है। चने की इस किस्म को लिंकेज ग्रुप-4 पर क्यूटीएल हॉटस्पॉट के अनुक्रमण के माध्यम से विकसित देश का पहला सूखा सहिष्णु MAS-व्युत्पन्न किस्म से बनाया गया है।
क्या है पूसा चना 10 216 की उत्पादन क्षमता
चने की यह प्रजाति से कम नमी की स्थिति में भी अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है। कम नमी की स्थिति में इस किस्म की औसतन उपज क्षमता लगभग 14.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वही कम नमी की स्थिति में इस किस्म से अधिकतम 25.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है। क्योंकि इस फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। इस किस्म के 100 दानों का वजन लगभग 22.2 ग्राम होता है
चने की खेती करने से पहले, महत्वपूर्ण बातें
किसानों को बुवाई के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि चने की खेती के लिए उचित जल निकास वाले खेत और बलुई दोमट से चिकनी मिट्टी वाले खेत प्रयुक्त होते हैं वही चने की बुवाई का उचित समय उत्तर पश्चिमी तथा उत्तर पूर्वी भारत के मैदानी क्षेत्रों में बारानी दिशाओ में दिशाओं में अक्टूबर के दूसरे सत्र तथा सिंचाई दिशा में 15 नवंबर तक की जा सकती है
दूसरी मुख्य बात है कि चने के बीज को मिट्टी में लगभग 10 सेंटीमीटर गहराई से डाला जाए क्योंकि गहराई कम होने से उकठा रोग लगने की संभावना अधिक हो जाती है। अगर किसी कारण वश पीछेती बुवाई की है तो पहली कतार से दूसरी कतार के बीच की दूरी 22.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए वही दलहनी फसल होने के कारण चने के बीज को उचित राइजोबियम टीके के उपचार करने से लगभग 10 से 15% अधिक उपज मिल सकती है
👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट
👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव
👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें
About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट(Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।