Movie prime

वास्तु के हिसाब से करें खेत को तैयार | हर एकड़ से लें लाखों का फायदा | देखें पूरी जानकारी

वास्तु के हिसाब से करें खेत को तैयार | हर एकड़ से लें लाखों का फायदा | देखें पूरी जानकारी
WhatsApp Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

किसान साथियों आज हम बात करेंगे कृषि क्षेत्र में वास्तु शास्त्र का क्या महत्व है। साथियों भारत एक कृषि प्रधान देश है, बावजूद इसके देश में किसान के हालात सबसे खराब है। हमारे किसान भाई दिन-रात मेहनत करके भी मेहनत के अनुसार मुनाफा नहीं कमा पाते, जबकि आज का हमारा किसान भाई पढ़ा लिखा होने के साथ-साथ खेती के लिए आधुनिक तौर-तरीकों को भी अपना रहा है, फिर भी उसको आशा के अनुरूप खेती से मुनाफा नहीं मिल पाता‌, इसका क्या कारण है जब हमने यह पता लगाने की कोशिश की तो अनेकों कारण सामने आए लेकिन कुछ कृषि जानकारो के अनुसार खेती में मेहनत के अनुसार मुनाफा ना मिलने का कारण खेत का वास्तु भी हो सकता है। कुछ बुद्धिजीवीयौ के अनुसार सही विधि के अनुसार खेती करने पर भी मेहनत के अनुसार मुनाफा न मिलने में वास्तु शास्त्र का बड़ा योगदान हो सकता है।आईए जानते हैं खेती में वास्तु का क्या महत्व है।

कृषि भूमि के लिए वास्तु की भूमिका-
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय वास्तु कला प्रणाली है। जिसका उद्देश्य रहने और काम करने की जगहो पर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाना है।कृषि भूमि के लिए वास्तु का पालन करना कृषि उपज को बढ़ाने और अधिक मुनाफे के लिहाज से महत्वपूर्ण परिणाम देने वाला माना जाता है। वास्तु अवधारणाओं को वैज्ञानिक तरीको से जोड़ने से सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने में मदद मिलेगी। जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।

वास्तु के अनुसार कृषि भूमि पर जानने योग्य बातें-

1. कृषि भूमि की ढलान- कृषि भूमि का कोई भी हिस्सा ऊंचा-नीचा नहीं होना चाहिए‌। धरती को समतल किया जाए, अगर कोई भूमि ऊंची नीची है तो ढलान हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यह ढलान वास्तु के हिसाब से पश्चिम और दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। वास्तु विद्वानों के अनुसार यह एक ऐसा नियम है जिसे किसी भी परिस्थितियों में फसल की बढ़िया उपज के लिए लाभदायक माना जाता है।

2. ऊंचे और बड़े वृक्ष कहां लगाएं- अगर आप किसी भूमि के किनारो पर ऊंचे पेड़ लगाना चाहते हैं तो दक्षिणी या पश्चिमी किनारो पर लगा सकते हैं, क्योंकि यह कृषि उपज की दृष्टि से लाभदायक साबित होते हैं

3. जल भंडारण कहां करें- खेती में सिंचाई के लिए बोरिंग और जमीन में पानी इकट्ठा करने के लिए उत्तर- पूर्वी दिशा को लाभदायक माना जाता है। कुऐं  या ट्यूबल कभी भी दक्षिण पूर्व, उत्तर- पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे कृषि भूमि के लिए वास्तु के अनुसार कुछ भारी नुकसान हो सकता है। फसलों को पानी की आपूर्ति के लिए जल की निकासी दक्षिण से उत्तर की ओर बनाई जानी चाहिए।

4. फार्म हाउस का निर्माण- अगर खेत के किसी कोने में फार्म हाउस या झोपड़ी बनानी हो तो यह खेत के दक्षिण- पश्चिम भाग में होनी चाहिए। फार्म हाउस आमतौर पर बड़े किसानों के होते हैं इसलिए फार्म हाउस बनाते समय दिशा का ध्यान रखें। फार्म हाउस के अंदर भी सभी जरूरी फर्नीचर को वास्तु के हिसाब से व्यवस्थित करना चाहिए।
 
5. बिजाई के लिए शुभ दिन- वास्तु के हिसाब से बुवाई के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है। नई फसल बोते समय सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप लाभदायक बताया गया है। यह किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए निकलने से पहले भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। 

6. अग्नि जलाने के लिए- खेत में आवश्यकता पड़ने पर अग्नि जलाने के लिए गड्डा दक्षिण-पूर्वी दिशा में होना चाहिए। वास्तु के अनुसार फसल निकालने के बाद उसमें से थोड़ा सा भोग सबसे पहले अग्नि देवता को अर्पित करना चाहिए।

7. खेत में काम आने वाले कृषि यंत्रों को जैसे की थ्रेसर मशीन, ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, या अन्य कोई वाहन हो, वास्तु के अनुसार उसे दक्षिण या दक्षिण- पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। इन्हें कभी भी उत्तर या उत्तर- पूर्वी दिशा या पूर्व में नहीं रखना चाहिए।

8. चारे के लिए भंडारण स्थान- अगर कोई किसान भाई चारे का भंडारण खेत में ही करना चाहता हैं तो वास्तु नियमों के अनुसार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम का कोना सबसे शुभ बताया गया है। फसलों के लिए आवश्यक खाद और रसायन रखने के लिए दक्षिण दिशा सब से लाभदायक फल देने वाली बताई गई है।

वास्तु नियमों के अनुसार कृषि भूमि की उर्वरता और उपज को बढ़ाने के लिए भूमि पूजन को बहुत ही शुभ माना गया है।

हमने यह जानकारी सार्वजनिक तथ्यों के आधार पर इकट्ठी की है। किसान भाई कोई भी कार्य करने से पहले कृषि विद्वानो और वास्तु शास्त्र के विद्वानों से सलाह जरूर ले लें।

👉 यहाँ देखें फसलों की तेजी मंदी रिपोर्ट

👉 यहाँ देखें आज के ताजा मंडी भाव

👉 बासमती के बाजार में क्या है हलचल यहाँ देखें

About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।