अधिक पैदावार के लिए लगाएं धान की ये तीन किस्में। टूट जाएंगे उत्पादन के सारे रिकॉर्ड
किसान भाइयों, अगर आप धान की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो सही किस्म का चुनाव सबसे ज़रूरी है। एक अच्छी किस्म न सिर्फ ज्यादा पैदावार देती है, बल्कि रोगों से लड़ने की क्षमता भी रखती है। साथ ही, यह कम समय में तैयार होकर आपकी मेहनत का पूरा फल देती है। इसी प्रकार 2025 में भी कई नई और पुरानी किस्में मार्केट में हैं, लेकिन हम आपको 3 सबसे बेस्ट वैरायटीज़ के बारे में बताएंगे, जिन्हें लगाकर किसान भाई पिछले सालों में बंपर पैदावार ले चुके हैं। इन किस्मों में PAU 804, स्वर्णा सब-1, और एराइज 6444 गोल्ड शामिल हैं, जो उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बेहतर गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। इस रिपोर्ट में हम इन तीनों किस्मों की पूरी डिटेल देंगे, जिसमें बीज दर, पकने की अवधि, उत्पादन क्षमता, रोग प्रबंधन और अन्य ज़रूरी बातें शामिल होंगी। इसलिए आप रिपोर्ट को अंत तक ज़रूर पढ़ें ताकि आपको इन किस्मों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके जिससे आपको सही निर्णय लेने में आसानी हो! तो चलिए शुरू करते हैं यह रिपोर्ट।
1. PAU 804
किसान साथियों, PAU 804 धान की एक लोकप्रिय और भरोसेमंद किस्म है, जिसे पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) ने विकसित किया है। यह किस्म 130-140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ है। अगर सही देखभाल की जाए तो धान की यह किस्म 33 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार दे सकती है। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए 3-4 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता पड़ती है। अगर इसके पौधों में कल्लों की बात करें तो हर पौधे में लगभग 15 से 16 कल्ले होते हैं। इसके पौधे की ऊंचाई: 100-105 सेमी होती है। इसके अलावा धान की इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अधिक है। इसके अलावा इसके दाने काफी मोटे और भारी होते हैं, जिसके कारण बाजार में गुणवत्ता और दानों में वजन अधिक होने के कारण किसानों को अत्यधिक मुनाफा प्राप्त होता है।
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बीज उपचार और रोपाई
साथियों, धान की किसी भी किस्म की नर्सरी तैयार करने से पहले बीज को फंगीसाइड (जैसे कार्बेन्डाजिम) से उपचारित करें। उसके बाद रोपाई के समय पौधों की दूरी 20x15 सेमी रखें। रोपाई के बाद सिंचाई का विशेष ध्यान रखें क्योंकि धान को पानी की अधिक आवश्यकता होती है, खासकर कल्ले निकलते समय और बालियां बनते समय। सिंचाई के साथ-साथ उर्वरकों की सही मात्रा भी आवश्यक है। इसके लिए नाइट्रोजन (N): 120 किलो/हेक्टेयर, फॉस्फोरस (P): 60 किलो/हेक्टेयर, पोटाश (K): 40 किलो/हेक्टेयर ज़रूर डालें। साथ ही, रोग और कीटों के नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करें। झुलसा रोग के लिए मैंकोज़ेब या ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव करें। यदि तना छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे तो कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड या फिप्रोनिल का प्रयोग करें।
2. स्वर्णा सब-1
साथियों, स्वर्णा सब-1 धान की एक उन्नत संकर किस्म है, जो 125-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है और ज्यादा कल्ले बनाती है। इसके एक पौधे में 17 से 18 कल्ले बनते हैं जिससे आपके धान की पैदावार बढ़ती है। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए आपको 4 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। इसकी बालियां लंबी और मोटी होती हैं। इसका दाना चमकदार होता है, जिसके कारण बाजार में आपको इसका अच्छा भाव मिल जाता है।
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बीज उपचार और रोपाई
स्क्रीन नर्सरी तैयार करने से पहले बीज को थीरम या बाविस्टिन से उपचारित करें। उसके बाद नर्सरी में बीज बोने के 25-30 दिन बाद रोपाई करें। अगर इसमें सिंचाई की बात करें तो इस किस्म के लिए खेत में 5-7 सेमी पानी बनाए रखें। और उर्वरक की बात की जाए तो नाइट्रोजन की सही मात्रा को 3 भागों में दें (रोपाई के समय, कल्ले बनते समय, बालियां आने से पहले)। इसके अलावा फसल में रोग और कीट नियंत्रण के लिए ब्लास्ट रोग से बचने के लिए ट्राइसाइक्लाजोल का छिड़काव करें। गंधी कीट की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड या एसीफेट का प्रयोग करें।
3. एराइज 6444 गोल्ड
साथियों, बायर कंपनी की यह हाइब्रिड किस्म किसानों के बीच काफी पॉपुलर है। यह 130-135 दिनों में पकती है और 30 क्विंटल तक पैदावार देती है। और यदि इसकी सही देखभाल की जाए तो इसकी अधिकतम उत्पादन क्षमता 35 क्विंटल की है। धान की यह वैरायटी 130-135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके एक पौधे में 14 से 16 कल्ले (टिलर्स) होते हैं और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अधिक बताई जाती है। इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए बीज दर: 4-5 किलो प्रति एकड़ बताई गई है। इसकी भी बाजार में काफी बढ़िया कीमत प्राप्त होती है। इसमें आपको बीज गुरु रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसमें रोपाई के बाद नाइट्रोजन और फास्फोरस का संतुलित मात्रा में ही प्रयोग करें। इन तीनों किस्मों (PAU 804, स्वर्णा सब-1, एराइज 6444 गोल्ड) में से अपने क्षेत्र और जलवायु के अनुसार चुनाव करें। अच्छी पैदावार के लिए बीज उपचार, सही सिंचाई और रोग प्रबंधन ज़रूरी है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।