सरसों बुवाई के समय डाले ताक़तवर खाद जो जिता दे हारी बाज़ी | सरसों किसानों के लिए जरूरी रिपोर्ट
सरसों की बुवाई के समय ये खाद दिला सकती है डेढ़ गुना तक उत्पादन | जाने क्या है इसकी खासियत
किसान साथियो सरसों की बुवाई का समय चल रहा है। सरसों की बुवाई करते समय खाद डालने का बहुत बड़ा महत्व है। इन दिनों सरसों की खेती एक जुए की तरह हो चुकी है। कई बार ऐसा होता है कि सब कुछ करने के बावजूद भी सरसों में नुकसान हो जाता है और खेती पर किया गया पूरा ख़र्च बेकार हो जाता है। इसलिए हम आपके लिए यह रिपोर्ट लेकर आए हैं ताकि आपको कोई भी नुकसान ना हो और आपका सरसों का उत्पादन डेढ़ गुना तक बढ़ जाए। इसके लिए आपको इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़ना है। WhatsApp पर भाव देखने के लिए हमारा ग्रुप जॉइन करें
सरसों की बुवाई का सही समय
किसान साथियों सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सरसों की बिजाई का सबसे उपयुक्त समय क्या है। तो किसान साथियो सरसों की अगेती खेती का सबसे उपयुक्त समय 5 अक्टूबर से लेकर 20 अक्टूबर का है। अगर आपका खेत अभी खाली है तो आप खेती में प्लेवा करके सरसों की बुवाई की तैयारी करें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आपने इस 15 दिन अवधि के दौरान सरसों की बिजाई कर दी तो आपकी सरसों का उत्पादन अच्छा होने की पूरी-पूरी संभावना रहेगी और सरसों की लैब भी अच्छी आएगी। सबसे पहले ध्यान रखना है कि खेती की जुताई जितनी हो सके उतनी गहरी कर लें। क्योंकि गहरी जुताई से सरसों की जड़े आसानी से अन्दर तक जा सकती और पौधे मजबूत बनेंगे। इसमे ज्यादा फुटाव होगा और ज्यादा ब्रांच निकलेंगी। सरसों के ताजा भाव देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
कोन सी खाद और कितनी
दूसरी सबसे बड़ी ध्यान रखने वाली बात है वो है खाद और उर्वरक का चुनाव और इसकी मात्रा। तो दोस्तों सरसों के केस में फास्फोरस का बहुत बड़ा महत्व है। इस जरूरी उर्वरक फास्फोरस की पूर्ति हम दो तरह से कर सकते हैं। एक तरफ हम इसके लिए डीएपी का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर दूसरा सिंगर सुपर फास्फेट भी फास्फोरस की पूर्ति के लिए काफी अच्छा रहता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फासफोरस फ़सल में उत्पादन को बढ़ाने के साथ साथ सरसों में तेल मात्रा को भी बढ़ाने में काम करता है ।
DAP या सिंगल सुपर फास्फेट, कितनी रखें डोज
तिलहनी फसलों में अगर सरसों की फसल को लेकर चलें तो सरसों में आप डीएपी के माध्यम से केवल दो तरह के पोषक तत्वों की पूर्ति हो पाती है। एक तो फास्फोरस की और दूसरा नाइट्रोजन की। तो साथियो हमारी सरसों को दो तरह के पोषक तत्व तो मिल गए लेकिन फ़सल को फासफोरस के अलावा सल्फर और कैल्शियम की डोज की भी जरूरत होती है तो यह सिंगल सुपर फास्फेट के इस्तेमाल से मिल जाती है । आजकल सिंगल सुपर फास्फेट जिंक कोटेड भी आ रहे हैं। किसान साथी चाहे तो अच्छे उत्पादन के लिए डीएपी और सिंगल सुपर फास्फेट को मिक्स करके भी खेत में डाल सकते हैं। किसान साथियो ने अपने अनुभव के आधार पर बताया है कि इन दोनों उर्वरकों को सरसों की बिजाई से पहले बेसल डोज में देने के बाद रिजल्ट बहुत शानदार मिले हैं। अगर मात्रा की बात करें तो डोज में आपको लगभग 30 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से डीएपी लेना है और सिंगल सुपर फास्फेट आपको लेना है 50 किलो से 70 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से।
पोटाश का मह्त्व
डीएपी और सिंगल सुपर फास्फेट के अलावा आप बेसल डोज में पोटाश डालते हैं तो यह सोने पर सुहागा जैसा रहेगा। पोटाश की लगातार हमारे खेतों का अंदर कमी होती जा रही है। पौधा फोटो सिंथेसिस करके सूर्य का प्रकाश से भोजन बनाता है । इस प्रक्रिया में पोटाश का बड़ा महत्व है । पोटाश का काम यह है कि जो भी खाद या फिर जो भी माइक्रो न्यूट्रिएंट हमने अपने खेतों में डाल रखे हैं उन्हें यह पौधे के हर हिस्से में पहुंचाता है। पोटाश सर्दियों में पौधों को स्ट्रेस से भी बचाता है। डोज की बात करें तो आप 20 से 25 किलो पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।
यूरिया और सल्फर की मात्रा
पौधे को कुछ मात्रा में नाइट्रोजन तो डीएपी से मिल जाती है लेकिन इसके बाद आप चाहे तो 10 से 15 किलो यूरिया डाल सकते हैं। इस यूरिया से पौधे को जरूरी नाइट्रोजन पूरी तरह से मिल जाएगी। अब बात करते हैं सल्फर की । सरसों को बाकी फसलों के मुकाबले सल्फर की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। एक तरफ तो सल्फर एक फंगीसाइड का काम करता है। जैसे कि आप सबको पता है कि सरसों के उपर आगे चलकर ओस पड़ेगी उस समय पर सरसों में जो वाइट रस्ट की प्रॉब्लम आती हैं। जिसे धोलिया बीमारी भी कहा जाता है। यह सरसों के तने में एक तरह की गलन लग जाती है। इससे बचाने में कहीं ना कहीं सल्फर मदद करता है इस समय पर यह एक तरह का फंगीसाइड का काम करता है। दूसरा सल्फर का सबसे बड़ा काम है सरसों के दानों के अंदर तेल की मात्रा को बढ़ाना। अगर आपकी सरसों में ज्यादा तेल मात्रा होगी तो आपको एक तो रेट बढ़िया मिलेगा साथ ही सरसों के दाने का वजन बढ़ेगा जिससे आपका उत्पादन भी बढ़ेगा। तो साथियो सरसों की बिजाई से पहले बेसल डोज में आप को सल्फर भी जरूर ले लेना है।
कितना रखें डोज
बाजार में तीन तरह के सल्फर आते हैं । आप चाहे तो 80 परसेंट वाला ले सकते हैं या फिर बेंटोनाइट सल्फर जो दानेदार आता है उसको भी प्रयोग कर सकते हैं। सरसों की बिजाई के समय बेंटोनाइट सल्फर जो दाल वाला सल्फर है 15 किलो पर एकड़ के हिसाब से डाल सकते हैं। यह लंबे टाइम तक धीरे-धीरे रिलीज होता रहता है और यह अपना काम करता रहता है।
डेढ़ गुना तक बढ़ेगा उत्पादन
किसान साथियों हमारा मानना है कि अगर आपने अपने खेत में सरसों की बुवाई के समय इन सभी खाद और उर्वरकों का प्रयोग कर लिया तो पूरी संभावना है कि आपका उत्पादन डेढ़ गुना तक बढ़ सकता है सरसों के मोटे दाने होंगे और तेल की मात्रा भरपूर मिलेगी। साथियो आप चाहें तो अपने एक्सपीरियंस को मंडी भाव टुडे के साथ शेयर कर सकते हैं। आप सरसों की कौन सी वेराइटी लगाने जा रहे हैं यह सूचना आप हमें ईमेल के जरिए दे सकते हैं आप हमसे हमारे फेसबुक पेज या फिर यूट्यूब चैनल के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
नोट : लेख में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गई है। किसी भी तरह का खाद्य उर्वरक प्रयोग करते समय अपने नज़दीकी कृषि सलाह केंद्र में जाकर सलाह जरूर ले लें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।