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गेहूं में सिर्फ यह स्प्रे मार दो, एक-एक बाली में बनेंगे 75 दाने

गेहूं में सिर्फ यह स्प्रे मार दो, एक-एक बाली में बनेंगे 75 दाने
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किसान भाइयों, भारत दुनिया के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देशों में से एक है, और यहां की कृषि अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा गेहूं उत्पादन से जुड़ा हुआ है। भारत में गेहूं उत्पादन के मामले में चीन के बाद दूसरा स्थान है। हालांकि, जब हम प्रति एकड़ उत्पादन की बात करते हैं तो भारत टॉप 5 देशों में भी नहीं आता। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे किसान गेहूं की फसल में पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पाते। वहीं, कुछ विकसित देशों में गेहूं के प्रति एकड़ उत्पादन का स्तर बहुत अधिक है। वहां के किसान अपने खेतों में अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए विभिन्न कृषि तकनीकों, उन्नत फसली प्रबंधन और पोषक तत्वों की सही आपूर्ति पर ज्यादा ध्यान देते हैं। भारत में गेहूं के उत्पादन में इस कमी को दूर करने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें प्रमुख कारण फसल के हर चरण में सही पोषक तत्वों का अभाव है। गेहूं की फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान उस समय पर देना पड़ता है जब बूटिंग स्टेज से लेकर बालियों के विकास तक की प्रक्रिया हो रही होती है। यह वह समय होता है जब फसल के पोषण की जरूरतें ज्यादा होती हैं और अगर इन जरूरतों को सही समय पर पूरा किया जाए तो गेहूं का उत्पादन बहुत बढ़ सकता है। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि गेहूं के उत्पादन को कैसे बढ़ाया जा सकता है, खासकर बूटिंग स्टेज से लेकर बालियों के आकार और दाने के वजन को बढ़ाने के लिए हमें क्या कृषि उपाय करने चाहिए। कृषि में कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जिनका सही उपयोग गेहूं की फसल के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जैसे फास्फोरस, पोटाश और बोरन ऐसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं, जो इस समय में गेहूं की फसल के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी सही मात्रा में आपूर्ति और उनके उपयोग की सही विधि अपनाकर गेहूं का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इस रिपोर्ट में हम इन पोषक तत्वों के महत्व को समझेंगे और जानेंगे कि किस प्रकार किसान इन्हें अपनी फसल में प्रभावी रूप से लागू कर सकते हैं। इसमें हम यह भी देखेंगे कि गेहूं की फसल में बालियां जब बाहर निकलने लगती हैं, तो उन बालियों का आकार बढ़ाने के लिए हमें क्या विशेष कदम उठाने चाहिए। साथ ही, दाने के आकार और वजन को बढ़ाने के लिए कौन सी खाद और किस समय पर देना चाहिए, ताकि हम गेहूं के उत्पादन में सुधार कर सकें। इस लेख का उद्देश्य भारतीय किसानों को उनकी फसल में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करना है, ताकि वे अपने गेहूं के उत्पादन को बढ़ा सकें और कृषि में अधिक लाभ कमा सकें। तो चलिए इन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों पर विस्तारपूर्वक जानने के लिए पढ़ते हैं आज की यह रिपोर्ट।

पौधों को मजबूत करने का उपाय
किसान साथियों, जब गेहूं की फसल बूटिंग स्टेज में होती है, तब पौधों को अपने तनों को मजबूत करने के लिए फास्फोरस की आवश्यकता होती है। फास्फोरस पौधे की जड़ों को मजबूत करने, तने को मोटा करने और पौधों को पर्यावरणीय परिस्थितियों से बचाने में मदद करता है। खासकर, जब बालियां निकलने की शुरुआत होती है, तो पौधे को अपनी संरचना मजबूत करनी होती है ताकि वह आने वाली हवाओं का सामना कर सके और बालियों का सही आकार प्राप्त कर सके। फास्फोरस की आपूर्ति करने के लिए किसान भाइयों के द्वारा डीएपी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन खेतों में ऊपर से डीएपी डालने से ज्यादा प्रभाव नहीं मिलता, क्योंकि यह पोषक तत्व जड़ों तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाता। इसके बजाय, जल घुलनशील फर्टिलाइज़र जैसे एनपीके का स्प्रे पत्तियों पर करना ज्यादा प्रभावी होता है। जब पत्तियां इन पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं, तो पौधों की संरचना में तेजी से मजबूती आती है, जिससे बालियां और दाने बेहतर आकार में आते हैं। इसके लिए किसान भाई अपनी गेहूं की फसल में 40 दिन से 60 दिन तक एनपीके 12-61-00 का छिड़काव करें। जब आपकी गेहूं की फसल 60 से 90 दिन की हो जाए तो एनपीके 00-52-34 का छिड़काव करें।

दाने का आकार बढ़ाने में मदद
किसान साथियों, गेहूं की फसल में दाने का आकार बढ़ाने के लिए पोटाश एक और महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो गेहूं की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। यह पौधों को पर्यावरणीय तनाव जैसे गर्मी और ठंड से बचाता है और साथ ही दानों के आकार और चमक को बढ़ाने में मदद करता है। जब गेहूं की फसल बूटिंग स्टेज से गुजर रही होती है, तो पोटाश की पर्याप्त मात्रा से न केवल पौधों का विकास तेज होता है, बल्कि यह दानों के अंदर सही पोषक तत्वों को जमा करने में भी मदद करता है, जिससे उनका आकार और वजन बढ़ता है। पोटाश की आपूर्ति के लिए, अगर आपने शुरू में इसे बेसल डोज में नहीं डाला था, तो आप लगभग 20-25 किलो पोटाश स्प्रिंकलर के जरिए डाल सकते हैं। इसके अलावा, फोलियर स्प्रे के रूप में भी पोटाश की पूर्ति की जा सकती है, जिससे पौधों को जल्दी से पोषक तत्व मिलते हैं और दानों का आकार बढ़ता है।

पोलिनेशन के लिए जरूरी
किसान साथियों, इस अवस्था में गेहूं की फसल के लिए बोरन का प्रयोग गेहूं की फसल में विशेष रूप से पोलिनेशन के दौरान महत्वपूर्ण होता है। जब गेहूं की बाली में दाने भर रहे होते हैं, तो बोरन की उपस्थिति परागण की प्रक्रिया को बेहतर बनाती है। पोलिनेशन के दौरान, बोरन नर और मादा परागों के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद करता है, जिससे दाने अधिक और बड़े आकार के बनते हैं। इसलिए, बोरन की आपूर्ति के लिए एनपीके 05234 के साथ बोरन का मिश्रण करना सर्वोत्तम रहता है। इससे बोरन की कमी पूरी होती है और पोलिनेशन के दौरान पौधों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। बोरन की सही मात्रा का उपयोग करने से गेहूं की बाली में दानों का वजन बढ़ता है और उत्पादन में सुधार होता है।

सही कृषि तकनीक
दोस्तों, इन सब पोषक तत्वों के अलावा किसान की मेहनत और सही तकनीक के प्रयोग से गेहूं की फसल का उत्पादन बढ़ाना संभव है। बूटिंग स्टेज से लेकर बाली बनने तक के समय में, सही पोषक तत्वों की आपूर्ति करना सबसे अहम है। फास्फोरस, पोटाश और बोरन जैसे पोषक तत्वों की सही मात्रा का उपयोग करके गेहूं की फसल को बेहतर बना सकते हैं। इसके अलावा, खेतों में नियमित निगरानी और समय पर सिंचाई करने से भी उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। जैसे ही गेहूं की बालियां बनना शुरू होती हैं, उसी समय से फसल पर विशेष ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।