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गेहूं काटने के बाद बस ये फसल लगा देना | फायदा देखकर जल जाएंगे पड़ौसी

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किसान साथियों अधिकतर हमारे किसान भाई पारंपरिक रूप से दो ही मुख्य फसलें उगाते हैं—रबी और खरीफ। लेकिन अब किसान तीसरी फसल के रूप में भी खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त मुनाफा होने लगा है। जायद मौसम में मूंग की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। कई किसान अपने खेतों को दो से तीन महीने तक खाली नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसी अवधि में वह मूंग, मूंगफली, मक्का या ग्रीष्मकालीन धान जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं। इन फसलों के लिए सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी दिया जाता है
विशेषज्ञों का मानना है कि मूंग की खेती कम समय में तैयार होने वाली फसल है और इसमें जल की कम आवश्यकता होती है। यही कारण है कि यह फसल जायद मौसम के लिए उपयुक्त मानी जाती है। मूंग एक दलहनी फसल है, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर भूमि की उर्वरता में सुधार करती है। सरकार ने मूंग की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर दी है। पिछले कुछ वर्षों में मूंग की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिला है, जिससे इस फसल की खेती करने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

जायद फसलों की खेती में वृद्धि

साथियों पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि जायद फसलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि किसान अब अपनी भूमि का अधिकतम उपयोग करना चाहते हैं। सरकार भी जायद फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल सरकार ने मूंग की खेती का लक्ष्य 13.47 लाख हेक्टेयर रखा है। वहीं, मूंगफली को 19,586 हेक्टेयर, मक्का को 27,877 हेक्टेयर, ग्रीष्मकालीन धान को 45,132 हेक्टेयर और उड़द को 95,260 हेक्टेयर में लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

अगर पिछले साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जितना लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उससे करीब दो लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में किसानों ने जायद फसलों की खेती की थी। इसका कारण यह भी है कि जायद फसलें कम समय में तैयार हो जाती हैं और बाजार में इनकी अच्छी मांग रहती है। साथ ही, किसानों को सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है, जिससे वे जायद फसलों की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

मूंग की कितने एमएसपी में वृद्धि

मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए इस साल एक अच्छी खबर आई है। सरकार ने 2024-25 के लिए मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि कर दी है। इस वर्ष मूंग की एमएसपी को 124 रुपये बढ़ाकर 8,682 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो कि पिछले वर्ष 8,558 रुपये प्रति क्विंटल थी। इस बढ़ोतरी से किसानों को सीधा फायदा होगा और वे अधिक मात्रा में मूंग की खेती करने के लिए प्रेरित होंगे।

मूंग की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय मार्च से अप्रैल के मध्य तक होता है। इस दौरान यदि किसान उन्नत किस्मों का चयन करें और सही तकनीकों का उपयोग करें, तो उन्हें बेहतर उत्पादन और अच्छा मुनाफा मिल सकता है। मूंग की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, और यह फसल कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मूंग की खेती से किसानों को दोहरे लाभ मिलते हैं—पहला, यह मुनाफा देने वाली फसल है, और दूसरा, यह मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है। सरकार की ओर से भी इस फसल के लिए अनेक प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे किसानों को बीज, खाद और अन्य कृषि इनपुट पर सब्सिडी मिल रही है।

नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।