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क्या आपकी धान की फसल की पतियों की नोक उपर से सूख रही है | तो जल्दी से करें यह उपाए

क्या आपकी धान की फसल की पतियों की नोक उपर से सूख रही है | तो जल्दी से करें यह उपाए
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किसान साथियों आपकी मेहनत से उगाई गई बासमती की फसल अब लगभग 50 दिन की हो चुकी है। इस अवस्था में कई किसानों ने देखा होगा कि उनके धान के पौधों की पत्तियां ऊपरी भाग से सूखकर पीली पड़ने लगी हैं। यह दृश्य किसानों को काफी परेशान करता है क्योंकि पूरा खेत सूखा-सूखा नजर आने लगता है। इस समस्या के कारण किसानों को लगता है कि कहीं उनकी फसल किसी गंभीर बीमारी की चपेट में तो नहीं आ गई है। आज हम इस लेख के माध्यम से इस समस्या के पीछे के कारणों और इसके समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

कोनसी है ये बीमारी जो पत्तियों की नोक को सूखा रही है
किसान साथियों धान की फसलों में पत्तियों का सूखना एक गंभीर समस्या है, जिसका मुख्य कारण एक जीवाणु है। इस जीवाणु के कारण होने वाली बीमारी को पत्ती झुलसा रोग या BLB कहा जाता है। यह रोग आमतौर पर गर्म और नम मौसम में तेजी से फैलता है, खासकर जब तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो और हवा में नमी का स्तर 70% से ज्यादा हो। यह रोग शुरू में पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बों के रूप में दिखाई देता है जो धीरे-धीरे फैलकर पूरी पत्ती को पीला कर देते हैं। अगर इस रोग का समय पर उपचार न किया जाए तो यह तने तक पहुंच जाता है और पूरे पौधे को नष्ट कर देता है। पत्ती झुलसा रोग धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है, जिससे किसानों की आय प्रभावित होती है।

कैसे पहचाने इस रोग को
पौधों में कुछ विशिष्ट लक्षणों के दिखने से उनकी बीमारी का पता चल सकता है। जैसे कि, पत्तियों के सिरे या नोक वाले हिस्से का पीला पड़ना, पत्तियों पर लंबी भूरी धारियों का उभरना, प्रभावित पत्तियों का मुरझाकर सूख जाना और पत्तियों के प्रभावित हिस्से को काटने पर गाढ़े, पानी जैसे रंग का रिसाव होना। ये सभी संकेत बताते हैं कि पौधा किसी प्रकार की बीमारी से ग्रस्त हो सकता है।

BLB रोग का क्या है इलाज
फसलों में रोग लगने पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (50% WP) का 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इस छिड़काव के 10-12 दिन बाद, स्ट्रेप्टोसायक्लिन 12-18 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करना चाहिए। रोगग्रस्त फसलों पर यूरिया का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। खेत में उगे खरपतवारों को पूरी तरह से निकाल देना चाहिए और रोग लगने पर कुछ दिनों के लिए खेत में पानी नहीं देना चाहिए। अगली सिंचाई के समय, 2 किलो ब्लीचिंग पाउडर को पानी में मिलाकर सिंचाई करने से भी लाभ मिल सकता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे

Note:- किसान साथियो उपर दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वसनीय स्रोतों और किसानों के निजी अनुभव पर आधारित है। किसी भी जानकारी को उपयोग में लाने से पहले कृषि वैज्ञानिक की सलाह जरूर ले लें । कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार धान में किसी भी बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेनी चाहिए।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।

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