गन्ने की पताई को जलाने की बजाय इस प्रकार करें उपयोग | मिलेगा बड़ा फायदा
गन्ने की पताई को जलाने की बजाय इस प्रकार करें उपयोग | मिलेगा बड़ा फायदा
किसान भाइयों, किसानों के लिए फसल की कटाई के बाद बचे हुए फसल के अवशेष कठिन समस्या के रूप में परेशानी का कारण बने हुए हैं। किसान साथियो को इन अवशेषों का उपयोग करने के सही तरीके के बारे में जानकारी न होने के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पराली के अवशेषों की समस्या के लिए तो सरकार ने कई प्रकार के उपाय खोज लिए हैं और किसान उनका उपयोग भी करने लगे हैं, लेकिन गन्ने की कटाई के बाद बचने वाला अवशेष, जिसे हम पताई के नाम से जानते हैं, किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है। क्योंकि किसानों को इस बारे में सही जानकारी नहीं है कि गन्ने के बचे हुए इन अवशेषों का उपयोग सही प्रकार से किस प्रकार करें, जिससे न केवल इन्हें नष्ट किया जा सके, बल्कि इससे कुछ लाभ भी प्राप्त किया जा सके।
दोस्तों, गन्ने की कटाई के बाद खेतों में पताई का अवशेष बच जाता है, जिसे नष्ट करना जरूरी होता है। यह अवशेष खेतों में लंबे समय तक पड़ा रहता है और अगर इसे सही तरीके से निस्तारित नहीं किया जाए, तो यह खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता को घटा सकता है। इस पताई के निस्तारण के लिए कई पारंपरिक तरीके अपनाए जाते हैं, जैसे कि जलाना या फिर उसे बिना किसी विशेष प्रक्रिया के छोड़ देना। लेकिन ये तरीके पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं और खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह बचे हुए गन्ने का हिस्सा खेतों में फैला रहता है और इसे सही तरीके से निस्तारित करना आवश्यक होता है, ताकि खेतों की उत्पादकता पर इसका नकारात्मक असर न हो।
इस समस्या का समाधान लेकर उत्तर प्रदेश रात्रा शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक जैविक उत्पाद तैयार किया है, जिसे ऑर्गेनो डी कंपोजर कहा जाता है। यह उत्पाद गन्ने की पताई को खाद में बदलने का कार्य करता है, जिससे किसानों को न केवल पताई का सही निस्तारण करने में मदद मिलती है, बल्कि यह खेतों में उर्वरक के रूप में काम करके भूमि की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाता है। इस विशेष जैविक उत्पाद के इस्तेमाल से न केवल गन्ने की पताई का निस्तारण आसानी से किया जा सकता है, बल्कि यह किसानों को जैविक खाद तैयार करने का एक सस्ता और प्रभावी तरीका भी प्रदान करता है। ऑर्गेनो डी कंपोजर गन्ने की पताई और अन्य जैविक अवशेषों को खाद में बदलने के लिए एक बेहतरीन समाधान है। वैज्ञानिकों ने इस उत्पाद के विकास में उच्च गुणवत्ता के नियंत्रण का पूरा ध्यान रखा है, जिससे यह ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित साबित होता है।
यह जैविक उत्पाद गन्ने की पताई और अन्य कृषि अवशेषों को खाद में बदलने में मदद करता है। इसके प्रयोग से न केवल पताई का सही तरीके से निस्तारण होता है, बल्कि यह खाद की एक सस्ती और प्रभावी स्रोत भी बन जाती है। इससे खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है और कृषि की उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है। तो चलिए इस खाद को किस प्रकार तैयार किया जाता है, इसके विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
खाद बनाने की प्रक्रिया
किसान साथियों, ऑर्गेनो डी कंपोजर को बनाने के लिए ट्राइकोडर्मा स्पीशीज का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक प्रकार का जैविक सूक्ष्मजीव है। इसे टेलकम पाउडर में मिलाकर तैयार किया जाता है, और इसकी भंडारण क्षमता लगभग 6 महीने तक रहती है। यह जैविक उत्पाद विशेष रूप से गन्ने की पताई, गोबर, और प्रेसमड़ जैसे कृषि अवशेषों के निस्तारण में मदद करता है। इस उत्पाद के इस्तेमाल से न केवल इन अवशेषों को खाद में बदला जा सकता है, बल्कि इससे खेतों में प्राकृतिक तरीके से उर्वरक भी तैयार होता है। इसके इस्तेमाल की प्रक्रिया बेहद सरल है। गोबर या प्रेसमड़ पर एक किलो ऑर्गेनो डी कंपोजर का घोल छिड़कना होता है। इसके बाद 10 दिन के भीतर एक बार फिर से इस घोल का छिड़काव किया जाता है। इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराया जाता है, और फिर इसे 30 से 40 दिन तक छोड़ दिया जाता है। इस दौरान जैविक गतिविधियां होती हैं, जो इन अवशेषों को खाद में बदल देती हैं। इस तरह, एक साधारण प्रक्रिया से जैविक खाद तैयार होती है, जो खेती के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होती है।
ऑर्गेनो डी कंपोजर के फायदे
किसान भाइयों, ऑर्गेनो डी कंपोजर का उपयोग किसानों के लिए एक सस्ता और प्रभावी तरीका है। किसानों को इसके इस्तेमाल के लिए ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता, और यह आसानी से उपलब्ध भी है। इस उत्पाद के प्रयोग से पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इसके द्वारा किए गए खाद निर्माण के कारण खेतों की मिट्टी में जैविक तत्वों की भरपाई होती है, जो खेती के लिए फायदेमंद होता है। यह गन्ने की पताई, गोबर, और प्रेसमड़ जैसे अवशेषों को खाद में बदलने में मदद करता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त खाद की आवश्यकता नहीं होती और वे अपनी उपज बढ़ा सकते हैं। इस उत्पाद के इस्तेमाल से खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है, जिससे अगली फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है। दोस्तों, कुल मिलाकर इसका उपयोग किसानों के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके उपयोग से न केवल आप अपने खेत में मौजूद एक्स्ट्रा अवशेषों का उपयोग सही प्रकार कर सकते हैं, बल्कि इसे तैयार जैविक खाद से आप अपनी फसल पर आने वाले खर्च को कम करके अपनी फसल के उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार कर सकते हैं। इसका उपयोग करने पर रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता कम हो जाती है, जिससे मिट्टी का पीएच मान भी संतुलित रहता है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।