इस कंडीशन में गेहूं में भूलकर भी न दें पानी | नहीं तो हो जाएगा बड़ा नुकसान
इस कंडीशन में गेहूं में भूलकर भी न दें पानी | नहीं तो हो जाएगा बड़ा नुकसान
किसान भाइयों, किसान हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी होते हैं और उनकी मेहनत से ही हमारे खेतों में हर साल अनाज उगते हैं। गेहूं भी प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है, जिसे हर वर्ष लाखों किसान उगाते हैं। यह एक ऐसी फसल है जो बड़े पैमाने पर खाने के रूप में उपयोग होती है और किसान इसके माध्यम से अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं। हालांकि, गेहूं की फसल के उत्पादन में सफलता पाने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू है सिंचाई। सिंचाई का सही समय जानने से फसल की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि हो सकती है, वहीं गलत समय पर पानी देने से फसल को नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, गेहूं की फसल में पानी देने के सही समय को जानना किसान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हमारे किसानों को इस बात का सही ज्ञान होना जरूरी है कि गेहूं की फसल में पानी देने का एक खास समय होता है, जिसे अगर गलत तरीके से अपनाया जाए, तो फसल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। खासकर, जब गेहूं की फसल में बालियां निकल आती हैं और दानों की भरण प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तब इस समय पर पानी देने का सही तरीका जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है। किसानों को यह समझना चाहिए कि कब पानी देना चाहिए और कब नहीं, ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे और बाजार में उसकी कीमत सही मिले। इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि गेहूं की फसल में कौन से ऐसे खास समय होते हैं, जब आपको सिंचाई नहीं करनी चाहिए, और इसके अलावा सिंचाई के सही समय पर क्या फायदा हो सकता है। तो चलिए इन सभी तथ्यों को विस्तार से समझने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
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सिंचाई का सही समय
किसान साथियों, गेहूं की फसल में सिंचाई का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह ध्यान में रखते हुए कि गेहूं की फसल में पानी देना जब ठीक तरीके से किया जाता है, तो फसल का उत्पादन बढ़ता है और दानों की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। हालांकि, गेहूं की फसल में सिंचाई का अधिकतम लाभ तब ही मिल सकता है जब हम पानी देने का सही समय पहचान लें। जब गेहूं की फसल में बालियां आ जाती हैं और दाने भरने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब इस समय पर यदि आप सिंचाई करते हैं तो यह फसल के लिए नुकसानकारी हो सकता है। क्योंकि इस समय में, अगर आप सिंचाई करते हैं तो यह दानों की चमक को प्रभावित कर सकता है। साथ ही दानों में सफेद धब्बा बन सकता है और इससे दाने की गुणवत्ता कम हो सकती है। इस कारण से बाजार में भी आपको अच्छे दाम नहीं मिलेंगे। यही कारण है कि गेहूं की फसल के इस खास समय पर आपको सिंचाई से बचना चाहिए।
क्यों नहीं करनी चाहिए इस समय सिंचाई
किसान साथियों, जब गेहूं की फसल में बाली में फूल आते हैं और दाने बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, तो इस समय सिंचाई करने से दानों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अगर आप इस समय पर पानी देते हैं, तो दानों की चमक कम हो सकती है और दाने का आकार भी प्रभावित हो सकता है। जिससे बाजार में गेहूं की कीमत घट सकती है। यह सब तब होता है जब आप बलिया निकालने के बाद सिंचाई करते हैं और दाने की भरण प्रक्रिया पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इस अवस्था के दौरान सिंचाई न की जाए। यदि आप इस अवस्था में पानी देंगे तो यह न केवल दानों की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, बल्कि इस समय सिंचाई करने से उत्पादन में भी कमी हो सकती है। जिसका सीधा असर आपके मुनाफे पर पड़ेगा, क्योंकि बाजार में आपके गेहूं का भाव कम होगा। इस समय पर सिंचाई से बचने के लिए, आपको गेहूं की फसल की बढ़ोतरी और दाने भरने के समय का सही हिसाब लगाना होगा।
समय पर पानी देने से कैसे बढ़ेगा उत्पादन
किसान साथियों, अगर किसान सही समय पर सिंचाई करते हैं तो उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बढ़ सकते हैं। गेहूं की फसल में सिंचाई का सबसे अच्छा समय तब होता है जब गेहूं की फसल में बालियां निकल रही होती हैं और दाने बनने की प्रक्रिया चल रही होती है। इस समय को "दूधिया अवस्था" कहा जाता है, और इस समय पर पानी देना फसल के लिए लाभकारी होता है। इस समय पानी देने से गेहूं के दानों का आकार अच्छा होता है और उनकी गुणवत्ता बढ़ती है, जिससे बाजार में उन्हें अच्छे दाम मिल सकते हैं। लेकिन जैसे ही दाने भरने की प्रक्रिया पूरी होती है और बालियां पकने लगती हैं, उस समय पर सिंचाई से बचना चाहिए। इसके बाद, अगर पानी दिया जाता है तो यह दानों की शाइनिंग को प्रभावित कर सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि आप सही समय पर सिंचाई करें, ताकि फसल का उत्पादन बेहतर हो और आपको अच्छे दाम मिल सकें।
दाने भरने की प्रक्रिया पर क्या करें
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में दाने भरने की प्रक्रिया में सिंचाई करना बहुत अहम है, लेकिन साथ ही यह ध्यान रखना जरूरी है कि किस प्रकार की गेहूं की किस्में आपने उगाई हैं। यदि आपने उच्च हाइट वाली गेहूं की किस्में उगाई हैं, तो इस अवस्था में पानी देने से बचें। क्योंकि इस समय पर पानी देने से हवा के प्रभाव से आपकी फसल गिर सकती है, और यह आपके उत्पादन को कम कर सकता है। इसलिए, यदि आपने ऐसे गेहूं की किस्में उगाई हैं जो कम हाइट वाली हैं, तो आप दूधिया अवस्था तक सिंचाई कर सकते हैं। लेकिन अगर आपकी फसल लंबी है, तो आपको सिंचाई से बचना चाहिए। सिंचाई का सही समय और तरीका जानने से न केवल आपकी फसल का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी बनी रहेगी।
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एनपीके और बोन स्प्रे
किसान भाईयों को यह जानना जरूरी है कि अगर वे गेहूं की फसल के दानों की गुणवत्ता बढ़ाना चाहते हैं, तो वे इस समय एनपीके 0050 और बोन का स्प्रे कर सकते हैं। यह स्प्रे दानों की चमक और आकार को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे बाजार में अच्छे दाम मिल सकते हैं। गेहूं की फसल में छिड़काव करने के लिए इस स्प्रे के लिए, आपको 1 किलो एनपीके 0050 और 100 ग्राम बोन का उपयोग करना होगा, और इसे 150 लीटर पानी में घोलकर फसल पर स्प्रे करना होगा। यह उपाय दानों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करेगा और 30 अप्रैल के प्रभाव से आपकी फसल के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।