अगर आपका गेहूं नीचे से पीला हो रहा है तो बस यह एक काम कर लो | रिज़ल्ट देखकर चौंक जाएंगे
अगर गेहूं की निचली पत्तियां पीली हो रही हैं तो करें यह उपाय।
किसान साथियों, सर्दी ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है और इस ठंड का प्रभाव फसलों पर भी साफ दिखाई दे रहा है। अगर आप गेहूं की खेती कर रहे हैं तो ठंडे मौसम में गेहूं की निचली पत्तियों का पीला पड़ना एक सामान्य समस्या बन सकती है। जब तापमान 5 डिग्री सेल्सियस के नीचे गिरता है, तो गेहूं की निचली पत्तियों का रंग पीला हो सकता है, जिससे फसल की वृद्धि और उपज पर असर पड़ सकता है। यह समस्या तब अधिक गंभीर हो सकती है, जब इसे नजरअंदाज किया जाए। लेकिन अगर इसे समय रहते संभाल लिया जाए तो इससे बचा जा सकता है। यह समस्या नाइट्रोजन की कमी, जलजमाव, और पाले के कारण बढ़ती है, लेकिन सही उपायों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जलजमाव से बचने, सही पोषक तत्वों का उपयोग, और जैविक उपायों का इस्तेमाल करके आप अपनी गेहूं की फसल को स्वस्थ और हरा-भरा बना सकते हैं। इस रिपोर्ट में हम इस समस्या के कारणों और उससे बचने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप अपनी गेहूं की फसल को स्वस्थ रख सकें और उच्च गुणवत्ता की उपज प्राप्त कर सकें। तो चलिए इन सब कर्मों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने के लिए पढ़ते हैं यह रिपोर्ट।
पत्तियां पीली होने का मुख्य कारण
किसान साथियों, जब गेहूं की निचली पत्तियां पीली होने लगती हैं, तो यह न सिर्फ एक सौंदर्यगत समस्या है, बल्कि इससे पौधों की वृद्धि पर भी असर पड़ता है। इस स्थिति का मुख्य कारण नाइट्रोजन की कमी होता है। सर्दी के मौसम में, विशेषकर जब तापमान बहुत कम होता है, तो मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों (microorganisms) की गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता घट जाती है, खासकर नाइट्रोजन की। नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी होने पर पौधे निचली पत्तियों से नाइट्रोजन को ऊपर की ओर खींचते हैं, जिससे निचली पत्तियां पीली होने लगती हैं। इसके अलावा, अत्यधिक ठंड के कारण कोशिकाओं (cells) में क्षति होती है, जिससे पत्तियां पीली और सिकुड़ी हुई नजर आती हैं। सर्दी के प्रभाव से जड़ों की गतिविधि भी प्रभावित होती है, जिससे पौधों को पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता। इससे पानी का जमा होना (waterlogging) भी एक और कारण बन सकता है, जो जड़ों के लिए खतरनाक होता है और पौधों को पोषक तत्वों की आपूर्ति में रुकावट डालता है। यह समस्या विशेष रूप से उन खेतों में अधिक देखी जाती है, जहां पराली जलाने जैसी गलत प्रथाओं के कारण मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की कमी हो जाती है। इन परिस्थितियों में, किसानों को इस समस्या से बचने के लिए सटीक कदम उठाने की जरूरत होती है।
बचाव के उपाय
1.जलजमाव से बचाव
दोस्तों, जब खेत में पानी का जलजमाव हो जाता है, तो यह पौधों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। जलजमाव से न सिर्फ जड़ें सड़ने लगती हैं, बल्कि पौधों को ऑक्सीजन और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि खेत में पानी की सही निकासी हो, ताकि पौधों की जड़ें ताजगी से ऑक्सीजन प्राप्त कर सकें और पौधों को पूरी तरह से पोषक तत्व मिल सकें।
2.सही समय पर सिंचाई
साथियों, अगर आपको लगे कि आपके पौधों की पत्तियां पीली होने लगी हैं, तो इसका एक कारण समय पर सिंचाई न करना भी हो सकता है। इसलिए फसल में सिंचाई का सही समय तय करना बहुत महत्वपूर्ण है। सामान्यत: गेहूं की बुवाई के बाद पहले 20-25 दिनों तक पानी की जरूरत होती है, इसके बाद मौसम के हिसाब से सिंचाई की आवश्यकता होती है। खासकर ठंडे मौसम में, पाले का असर कम करने के लिए रात में सिंचाई करना फायदेमंद हो सकता है। पानी की सही मात्रा में सिंचाई करने से पत्तियों में आंतरिक नमी बनी रहती है और पत्तियां ज्यादा प्रभावित नहीं होतीं।
3.उर्वरकों का सही उपयोग
किसान भाइयों, जैसा कि हमने पहले कहा, नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां पीली हो जाती हैं। इसलिए बुवाई के समय नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का सही मात्रा में प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इन पोषक तत्वों का पौधों के लिए विशेष रूप से सर्दियों में बहुत महत्व होता है, क्योंकि इनसे पौधों की वृद्धि होती है और निचली पत्तियों की पीली होने की समस्या को कम किया जा सकता है। साथ ही, जिंक (Zinc) और सल्फर (Sulfur) का भी सही अनुपात में उपयोग करें, क्योंकि ये तत्व पौधों की समग्र सेहत को बेहतर बनाते हैं। इन उर्वरकों की मात्रा अगर आपने फसल में पहले डाल रखी है तो प्रति एकड़ के हिसाब से बची हुई मात्रा का उपयोग करें। अगर पत्तियां बहुत ज्यादा पीली हो जाएं तो इसके लिए यूरिया और मैग्नीशियम सल्फेट का पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए। यूरिया पौधों को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है, और मैग्नीशियम सल्फेट पत्तियों को हरा-भरा रखने में मदद करता है। यह उपाय विशेष रूप से तब उपयोगी होता है, जब सर्दी के कारण पौधों में पोषक तत्वों की कमी बहुत बढ़ जाए। पत्तों पर मैग्नीशियम सल्फ़ेट का छिड़काव करने के लिए, 5-10 ग्राम मैग्नीशियम सल्फ़ेट को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। गेहूं की फसल में मैग्नीशियम सल्फेट का 10-15 दिन में दो या तीन बार छिड़काव करना चाहिए।
4.जैविक उपाय
किसान भाइयों, पौधों की वृद्धि में किसी भी प्रकार की कमी का आजकल के किसानों के लिए जैविक उपायों का इस्तेमाल एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका बन चुका है। गोबर की खाद (cow dung), वर्मीकंपोस्ट, और ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उत्पाद पौधों को प्राकृतिक तरीके से पोषण देते हैं। यह न सिर्फ पौधों को मजबूती प्रदान करते हैं, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारते हैं। इसके अलावा, पराली जलाने के बजाय उसे डीकंपोजर से सड़ाकर मिट्टी में मिलाना चाहिए, जिससे सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़े और मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो।
5.दलहनी फसलों के साथ चक्र अपनाएं
साथियों, इस समस्या से निपटने के लिए किसान भाइयों के लिए गेहूं की खेती में दलहनी फसलों का चक्र अपनाना एक अच्छा उपाय है। दलहनी फसलें (जैसे मसूर, चना आदि) मिट्टी में नाइट्रोजन को बढ़ाती हैं। इन फसलों की जड़ें वातावरण से नाइट्रोजन अवशोषित करती हैं, जिससे गेहूं की फसल को भी नाइट्रोजन की कमी नहीं होती। इस प्रकार, दलहनी फसलों का चक्र अपनाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की संतुलित आपूर्ति बनी रहती है, और गेहूं की फसल को बढ़ने में मदद मिलती है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।