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सरसों को पाले से बचाना है तो अभी से कर लें ये काम | ठण्ड के मौसम में सरसों किसानों के लिए जरूरी है ये रिपोर्ट

सरसों को पाले से बचाना है तो अभी से कर लें ये काम | ठण्ड के मौसम में सरसों किसानों के लिए जरूरी है ये रिपोर्ट
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सरसों को पाले से बचाना है तो अभी से कर लें ये काम | ठण्ड के मौसम में सरसों किसानों के लिए जरूरी है ये रिपोर्ट

नमस्कार किसान साथियों रबी की दूसरी सबसे बड़ी फ़सल सरसों का सीजन चल रहा है। जनवरी का महीना शुरू हो चुका है और इस समय सरसों की फसल में फूल आने के बाद अब फलिया बनना शुरू हो गई है। जैसा कि आप सबको पता है कि दिसंबर और जनवरी मे ठंड का स्तर अत्यधिक बढ जाता है और जिसके चलते पाला भी पडना शुरू हो जाता है। हर साल पाला पड़ने से सरसों की फसल को बड़ी मात्रा में नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार सरसों की पूरी की पूरी फ़सल तबाह हो जाती है। इसलिए जरूरी है है कि आप इस समय आप अपनी फ़सल पर पूरा ध्यान दें।

साथियो इस समय सरसों में दाने बनने लगे हैं। अक्सर ऐसा होता है कि पाले और ठंड की वजह से पौधों में एंजाइम जम जाते है जिसके कारण सरसों की फलियां अपनी पूरी ग्रोथ नहीं कर पाती है सूर्य के प्रकाश के अभाव में भी फूलों से फलियां बनने में देरी होती है जिससे फसल को पकने में समान्य से अधिक समय लगता है
पाला से सरसों की फसल में होने वाले नुकसान

सरसों की फसल में पाले का पड़ना आपकी फसल के लिए कठिनाई भरा हो सकता है। इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। मोटे तौर पाले के कारण होने वाले नुकसान इस प्रकार से हैं:

पानी का ज़मना
साथियो पाला पड़ने से पौधे के अंदर का पानी जम जाता है, जिससे पौधे के एंजाइम्स भी जम जाते हैं। इससे पौधे की सामान्य विकास क्रियाएं अवरुद्ध हो सकती हैं। पाले से फसल के अंदर का पानी जमा होने से पौधा अपनी जरूरी क्रियाएं समय पर नहीं कर पाता, जिससे पौधे को विकास करने में तकलीफ होती है। फसल की ग्रोथ में रुकावट हो सकती है।

प्रकाश संश्लेषण की कमी:
फसल को धूप का सही मात्रा में प्राप्त नहीं होने की वजह से पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को ठंड के कारण नहीं कर पाता है, जिससे पौधा हरा भरा नहीं रह पाता।

माहु कीटों का प्रकोप:
पाले के बाद, फसल की ऑक्सीजन सप्लाई में कमी हो सकती है, जिससे माहु कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है

सरसों की फसल को पाल के नुकसान से बचने के उपाय
किसान साथियों सरसों की फ़सल को का भरण पोषण करते करते आप यहां तक ले आए हैं। ऐब यहां से आगे बरती गई सावधानी आपको बड़े नुकसान से बचा सकती है।  इसलिये इन नुकसान से बचने के लिए, आपको पाले के पड़ने से पहले और बाद में फसल का ध्यानपूर्वक देखभाल करनी  चाहिए। सही मात्रा मे खाद, उर्वरक, और सिंचाई का सही तरीके से प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

नमी बनाए रखें:
अपने खेतों में नियमित सिंचाई करें ताकि पौधों को पाले से बचाया जा सके। क्योंकि पानी में भी गर्मी होती है जिससे पौधे को पाले से बचाया जा सकता है। यह भी सुनिश्चित करेगा कि पौधे गर्मी से सही रूप से निपट सकें।

सल्फर का उपयोग:
फसल में सल्फर का स्प्रे करने से पाले का प्रभाव कम हो सकता है। सल्फर को खाद के रूप में भी प्रदान कर सकते हैं। फसल पर 0.2 प्रतिशत डाइमिथाईल सल्फोक्साइड, 0.1 प्रतिशत थायो यूरिया सहित 0.1 प्रतिशत तनु गंधक के अम्ल का छिड़काव किया जा सकता है।

तना गलन रोग से बचाव
सर्दी के मौसम की परिस्थिति को देखते हुए सरसों में तना गलन रोग लग सकता है। इसके लिए किसान फसल की निगरानी रखें और फसल में तना गलन रोग के लक्षण नजर आने पर उन पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें। साथ ही सरसों में सफेद रतुआ रोग के उपचार के लिए किसान मेनकोजेक फफूंदनाशी 2 किलो ग्राम दवा का 800 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव जरूर करें।

हारु का स्प्रे:
सल्फर के लिए आप हारु (टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65%) का स्प्रे भी कर सकते हैं। इस स्प्रे के करने से पौधों को पाले के कारण होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। इस ज्यादा ठंड पड़ने पर सरसों में कई फंगस का भी अटैक होता है. इसलिए सरसों में इस वक्त Tebuconazole 10 % + Sulphur 65% wg का स्प्रे काफी फायदेमंद रहता है। एक तरफ जहां सल्फर जहां सरसों को पाले से बचाता है वहीं टैबूकोनाजोल फंगस को आने से रोकता है। यह रस्ट ,ब्लास्ट ,लिफ़ स्पॉट ,पाउडी मिल्ड्यू आदि फंफूद से सुरक्षा प्रदान करता है। सरसों के अलावा अन्य तिलहन फसलों में सल्फर तेल की मात्रा और फसल उत्पादन बढ़ाता है। सल्फर की स्प्रे से सरसों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। अत्यधिक ठंड में सल्फर पौधे को क्रियाशील रखता है और यह कोशिकाओं और पत्तों पर पड़े पानी को जमने नहीं देता। सल्फर की स्प्रे से जमीन से भोजन लेने की पौधे की क्षमता भी बढ़ती है। इस तरह पाला पड़ने पर यह फसल की पाले और ठंड से सुरक्षा करता है।

NPK-0050 का प्रयोग:
फसल में NPK-0050 का उपयोग करना भी फूलों और फलियों की ग्रोथ को सहारा प्रदान कर सकता है।

पोटाश का उपयोग:
पोटाश का प्रयोग करने से पौधों को पाले के प्रभावों से बचाया जा सकता है।
तो किसान साथियो इन सुझावों का पालन करके, आप सरसों की फसल को पाले से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रख सकते हैं। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

नोटः दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इन्टरनेट पर उपलब्ध भरोसेमंद स्त्रोतों से प्राप्त की गई है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।

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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों  को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।