धान की फसल में खरपतवार को उगने से रोकना है तो, एक बार यह तरीका जरूर अपनाएं
किसान साथियों धान की खेती करने वाले किसानों के लिए खरपतवार एक बड़ी समस्या बन जाती है। धान की रोपाई के बाद खेत में कई तरह के खरपतवार उग आते हैं। इनमें घास, दूब और कुछ ब्रॉडलीफ वीड्स (चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार) शामिल हैं। अगर इन्हें समय पर नहीं हटाया गया, तो ये धान के पौधों से पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी छीन लेते हैं। नतीजा यह होता है कि धान के पौधे कमजोर हो जाते हैं और उत्पादन घट जाता, जिसके कारण किसान की पैदावार कम होती है। पारंपरिक तरीकों जैसे हाथ से निराई-गुड़ाई करने में समय और मेहनत दोनों ही ज्यादा लगते हैं। लेकिन आजकल कुछ मॉडर्न हर्बिसाइड्स (खरपतवारनाशक) हैं, जिन्हें खाद के साथ मिलाकर डाला जा सकता है। यह तरीका न सिर्फ आसान है, बल्कि कारगर भी है। आज की इस रिपोर्ट में हम एक ऐसे ही हर्बिसाइड के बारे में बात करेंगे, जिसे Pretilachlor 50% EC कहते हैं। यह खरपतवार को पनपने से पहले ही रोक देता है। साथ ही, हम जानेंगे कि इसे कितनी मात्रा में और कब डालना चाहिए ताकि आपके धान के खेत में खरपतवार की समस्या ही न हो। तो चलिए इसकी पूरी जानकारी लेते हैं इस रिपोर्ट में।
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खरपतवार नाशक
धान के खेत में खरपतवार को कंट्रोल करने के लिए प्री-इमरजेंस हर्बिसाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं। यानी यह दवा उस समय डाली जाती है जब खरपतवार अभी उगे ही नहीं होते। इनमें से एक प्रमुख दवा है Pretilachlor 50% EC, जिसे Eraze (नागार्जुन कंपनी का प्रोडक्ट) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सिलेक्टिव हर्बिसाइड है, जो सिर्फ खरपतवार को मारता है, धान के पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाता। यह मिट्टी में एक लेयर बना देता है, जिससे खरपतवार के बीज अंकुरित नहीं हो पाते। खासतौर पर ग्रासी वीड्स (घास वाले खरपतवार) और सेज वीड्स पर यह बहुत असरदार है।
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कैसे डालें
इस हर्बिसाइड को NPK 10:26:26 जैसे दानेदार खाद के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। इससे खेत में एक साथ खाद भी पहुंच जाती है और खरपतवार भी कंट्रोल हो जाते हैं। इसका उपयोग करने के लिए आप रोपाई के बाद 500 mL Pretilachlor 50% EC प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। इसे खाद के साथ अच्छी तरह मिलाकर खेत में समान रूप से छिड़क दें। लेकिन ध्यान रखें कि इस हर्बिसाइड को सबसे ज्यादा असरदार बनाने के लिए इसे धान की रोपाई के 72 घंटे के अंदर ही डाल देना चाहिए। क्योंकि इस दौरान खरपतवार के बीज अभी अंकुरित नहीं होते और दवा मिट्टी में एक प्रोटेक्टिव लेयर बना देती है।
कीमत कितनी है
इस दवा की कीमत ₹250 से ₹300 प्रति लीटर के बीच होती है। यानी एक एकड़ के लिए लगभग ₹125 से ₹150 का खर्च आता है, जो कि मैनुअल निराई की तुलना में काफी सस्ता है।
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ध्यान रखने वाली बातें
इस दवा का छिड़काव करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की भी जरूरत है। जब आप खेत में दवा डाल रहे हों तो खेत में पानी भरा होना चाहिए और दवा डालने के बाद कम से कम 3-4 दिन तक खेत में पानी भरा रहना चाहिए। ध्यान रखें कि अगर पानी निकाल दिया गया, तो दवा का असर कम हो जाएगा। दवा को रोपाई के बेहतर घंटे के अंदर ही डालें क्योंकि अगर 72 घंटे बीत जाएं, तो खरपतवार उगने लगेंगे और फिर इस दवा का असर कम होगा।
नोट:- रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।