गेहूं में 80 मण से अधिक पैदावार लेनी है तो पहली सिंचाई के साथ इस खाद को जरूर डाल देना | कल्लों से भर जाएगा खेत
गेहूं में अधिक पैदावार लेने के लिए पहली सिंचाई के साथ करें इन खादों का उपयोग, जानें इस रिपोर्ट में।
किसान भाइयों, कृषि के क्षेत्र में गेहूं एक प्रमुख फसल है, जिसे रबी सीजन में उगाया जाता है। इसकी उच्च गुणवत्ता और उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए शुरुआती देखभाल, विशेषकर पहली सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन, अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पहली सिंचाई फसल के जीवनचक्र की बुनियाद रखती है, क्योंकि यह पौधों की जड़ों के विकास, फुटाव, और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा देती है। इसी प्रकार, पहली सिंचाई के बाद दिए गए उर्वरक पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। इस रिपोर्ट में, हम विस्तार से जानेंगे कि पहली सिंचाई का सही समय क्या है, सिंचाई के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, और पहली सिंचाई के समय कौन-कौन से उर्वरक कितनी मात्रा में उपयोग करने चाहिए।
पहली सिंचाई कब करें
किसान भाइयों, वैसे तो गेहूं की फसल में पहली सिंचाई मिट्टी और जलवायु के आधार पर निर्धारित होती है, लेकिन आमतौर पर गेहूं की पहली सिंचाई बुवाई के 19 से 25 दिनों के बीच करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। यह समय मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हल्की और रेतीली मिट्टी में नमी जल्दी सूख जाती है, इसलिए वहां पहली सिंचाई 19-21 दिन के भीतर करें, जबकि भारी या दोमट मिट्टी में नमी लंबे समय तक बनी रहती है, ऐसे में सिंचाई 21-25 दिन के बीच करना बेहतर होता है। दोस्तों, गेहूं की फसल में पहली सिंचाई हमेशा हल्की मात्रा में करें। जैसे ही पानी क्यारी में भर जाए, उसे तुरंत दूसरी क्यारी में डालें। ऐसा करने से पानी के जमाव से बचा जा सकता है। अधिक पानी देने से पौधों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं और फसल का फुटाव प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, फसल में पहली सिंचाई में अधिक पानी देने से कई अन्य नुकसान भी हो सकते हैं। सिंचाई के समय फसल में पानी की अधिक मात्रा के कारण पौधों में पीलेपन की समस्या हो सकती है और फसल में रोगों का खतरा बढ़ सकता है। आमतौर पर गेहूं की फसल में सिंचाई मुख्यतः बार्डर विधि में की जाती है। इसमें 60 से 70 प्रतिशत सिंचाई क्षमता मिल जाती है और क्यारी विधि की तुलना में 20-30 प्रतिशत पानी की बचत होने के साथ-साथ मेहनत की बचत भी होती है।
पहली सिंचाई के लाभ
किसान भाइयों, यदि आप गेहूं की फसल में पहली सिंचाई सही समय और सही मात्रा में करते हैं और सिंचाई के साथ आवश्यक पोषक तत्व फसल में डालते हैं, तो यह फसल के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। पहली सिंचाई सही समय पर करने से पौधों में तेजी से फुटाव होता है। गेहूं की फसल में पहली सिंचाई सही मात्रा में करने से पौधों की जड़ें मजबूत और स्वस्थ होती हैं, जिससे फसल का रंग हरा-भरा रहता है और फसल का विकास तेजी से होता है। अगर पौधों को सही समय पर नमी की सही मात्रा मिल जाती है, तो पौधों को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तेज करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिसके कारण पौधों की शीघ्रता से वृद्धि होती है। इसका परिणाम उत्पादन में 15-20% तक बढ़ोतरी हो सकती है।
उर्वरकों का प्रयोग
किसान साथियों, फसल में पहली सिंचाई के 5-6 दिन बाद प्रति एकड़ 40-45 किलो यूरिया डालें। यूरिया पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो उनकी ग्रोथ और फुटाव के लिए आवश्यक है। गेहूं की फसल में सल्फर की पूर्ति के लिए किसान भाई यूरिया के साथ 4 किलो सल्फर प्रति एकड़ डालें। सल्फर पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जड़ों के विकास को तेज करता है, और फसल को हरा-भरा बनाए रखता है। यदि आपने बुवाई के समय डीएपी या पोटाश का उपयोग नहीं किया था, तो पहली सिंचाई के बाद इनका प्रयोग करना लाभदायक होता है। पोटाश फसल की गुणवत्ता बढ़ाता है, जबकि फास्फोरस जड़ों को मजबूत करता है। गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के समय, 10-15 किलोग्राम डीएपी और 10-15 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए।
पोषक तत्वों का छिड़काव
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के बाद पौधों में जिंक, फेरस सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट, और मैंगनीज का छिड़काव करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह पौधों के स्वास्थ्य और उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए आप जिंक की 100-150 ग्राम प्रति एकड़, फेरस सल्फेट की 100-150 ग्राम प्रति एकड़, मैग्नीशियम सल्फेट की 500 ग्राम प्रति एकड़, मैंगनीज 1 किलो प्रति एकड़ और यूरिया 1 किलो प्रति एकड़ का 120 से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के हिसाब से फसल में विधि द्वारा छिड़काव करें। छिड़काव करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छिड़काव हमेशा शाम के समय करें। दिन में छिड़काव करने से धूप के कारण पोषक तत्वों का असर कम हो सकता है।
एनपीके 19-19-19 का उपयोग
किसान भाइयों, गेहूं की फसल में यदि शुरुआत में पोषक तत्वों की कमी रह गई हो, तो एनपीके 19-19-19 का उपयोग पहली सिंचाई से पहले किया जा सकता है, ताकि जड़ों तक सभी पोषक तत्व पहुंच सकें और फसल की ग्रोथ को बढ़ाया जा सके।
अगर आपको लगे कि आपकी फसल पीली होने लगी है, तो आप समझ लें कि आपकी फसल में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। एनपीके 19-19-19 में नाइट्रोजन 19%, फास्फोरस 19%, और पोटैशियम 19% पाया जाता है। इसका उपयोग आप सभी प्रकार की फसलों में पौधों और फसलों की वृद्धि, विकास और बढ़वार के लिए कर सकते हैं। यह खाद फसल के समग्र विकास में मदद करता है और पौधों की जड़ों को तेजी से बढ़ने में मदद करता है। यह पौधों में हरा रंग (क्लोरोफिल) को बढ़ाता है और वानस्पतिक विकास के लिए आवश्यक तत्व है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद सार्वजनिक स्रोतों से इकट्ठा की गई है। संबंधित किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।