अगर गेहूं की बुवाई में लेट हो गए हैं तो नुकसान से बचाने वाली ये रिपोर्ट देख लो
किसान साथियों कई बार ऐसा होता है कि खेत किसानी में कुछ समस्याएं और कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं जिनके कारण हम अपनी फसलों की बुवाई में लेट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए आप अपने धान के खेत को नमी रहते बुवाई नहीं कर पाए और फिर नमी सूखने के बाद आपके फिर से सिंचाई करनी पड़ी। और अब आप और ज्यादा लेट हो रहे हैं। या फिर आप अपने खेत में कुछ ऐसा काम कर रहे थे जिसके कारण खेत खाली नहीं था जैसे पराली इकट्ठा करना या फिर कोई ऐसी फसल जिसकी समय पर कटाई नहीं हो पायी और आप गेहूं की बुवाई में लेट हो गए। तो दोस्तों इस समस्या से निपटने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी किस्मों का विकास कर लिया है जो लेट बुवाई करने पर भी अच्छा खासा उत्पादन देती है । बशर्ते आपको मिट्टी के हिसाब से इन किस्मों के फायदे और नुकसान को जान लेना चाहिए। इसी के लिए हमने आज के लिए रिपोर्ट आपके लिए तैयार की है।
आज हम बात करेंगे गेहूं की लेट या फिर पछेती किस्मों के बारे में जिन्हें आप मध्य जनवरी तक बुवाई कर सकते हैं। दोस्तो जैसा की आप सब को पता है कि 30 नवंबर या 5 दिसंबर के बाद की बुवाई को लेट या पछेती बुवाई माना जाता है। हालांकि यदि आप 25 दिसंबर तक भी बुवाई कर पा रहे हैं, तो राज 4037, श्रीराम सुपर 303, DBW 187, HD 3086 और श्री राम सुपर 272 जैसी किस्मों को लगा सकते हैं। लेकिन यदि आपको इससे भी लेट हो रहा है तो आपको निम्न किस्मों को ही लगाना चाहिए।
एडी 2851
एडी 2851 एक मध्यम अवधि की वैरायटी है जिसे 5 से 10 जनवरी तक बुवाई कर सकते हैं। यह 125-130 दिन में तैयार हो जाती है और पौधे की ऊंचाई 85-88 सेंटीमीटर होती है, जिससे गिरने की समस्या नहीं आती। यह किस्म गर्मी सहनशील है और पीला व भूरा रतुआ के प्रति सहनशील मानी जाती है। प्रति एकड़ 50-55 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यह किस्म मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उपयुक्त है।
राज 3765
राज 3765 को राजस्थान यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म अधिक तापमान सहनशील है और चपाती के लिए बेहतरीन मानी जाती है। यह 117-120 दिन में तैयार हो जाती है और 18-24 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार देती है। यह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच लोकप्रिय है।
एडी 2967
हालांकि या किस्म अगेती बुवाई में बेस्ट रहती है लेकिन एडी 2967 को दिसंबर अंत या जनवरी के पहले सप्ताह तक भी बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह किस्म 130 दिन में तैयार हो जाती है और 25-28 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन देती है। इसके लिए प्रति एकड़ 50 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है और लाइन की दूरी 18-20 सेमी रखनी चाहिए।
लोकवन
लोकवन किस्म विशेष रूप से मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय है। यह 110-115 दिन में तैयार होती है और 20-26 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार देती है। प्रति एकड़ 60 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यह किस्म चपाती के लिए बेहतरीन मानी जाती है और जल्दी तैयार हो जाती है।
एचआई 1544 (पूर्णा)
एचआई 1544 को भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, इंदौर ने विकसित किया है। यह किस्म 115-120 दिन में तैयार हो जाती है और 22-24 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार देती है। प्रति एकड़ 50-55 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। यह चपाती के लिए भी बेहतरीन मानी जाती है और इसकी रोटियां पूरे दिन सॉफ्ट बनी रहती हैं।
डी.बी.डब्लू.-90
गेहू की यह पछेती किस्म 121 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह स्ट्रिप एवं लीफ रस्ट अवरोधी है और उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता रखती है। गेहूं की इस किस्म से 42.80 मण प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
पी.बी.डब्लू.-590
गेहूं की यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त पाई गई है। यह किस्म 121 में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म ताप सहिष्णु, लीफ रस्ट अवरोधी है। इसकी उत्पादन क्षमता 42.2 मण प्रति एकड़ है।
क्या है सबसे बेस्ट
यदि आप लेट बुवाई कर रहे हैं, तो ये किस्में बेहतरीन विकल्प हैं। खासकर एडी 2851 सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ये किस्में कम समय में तैयार होने के साथ ही उच्च उत्पादन देने में सक्षम हैं। गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई के लिए बीज की मात्रा : पछेती किस्म की बुवाई के लिए 55 से 60 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिए। सबसे पहले पछेती किस्मों की बुवाई के लिए बीज को करीब 12 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इससे बीज का जल्दी व ज्यादा जमाव होता है। इसके बाद बीज को पानी से निकाल कर उसे दो घंटे फर्श पर छाया में सुखाना चाहिए।
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About the Author
मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।