DAP खरीदने जा रहे हैं तो यह रिपोर्ट देखकर जाना | नुकसान से बचाने वाली रिपोर्ट
भारतीय किसानों के लिए खेती से अच्छी आय प्राप्त करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। इसका एक प्रमुख कारण है नकली खादों का बाजार में व्यापक प्रसार। किसानों का आरोप है कि नकली डीएपी खाद के उपयोग से उनकी फसलों का उत्पादन कम हो रहा है, जिससे उनकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। डीएपी एक महत्वपूर्ण उर्वरक है जिसका उपयोग फसलों की वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन नकली डीएपी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है और फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। नकली खादों के कारण किसानों को न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि कृषि क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
तीन महीनो के बाद पता चलता है नकली डीएपी का
बेगूसराय के किसान प्रो. रामकुमार सिंह, विनोद सिंह और राजीव कुमार ने एक गंभीर समस्या की ओर इशारा किया है। वे बताते हैं कि डीएपी, जो एक प्रमुख उर्वरक है, किसानों को लगभग 1450 रुपये प्रति बोरा के हिसाब से मिलता है। किसान इसे अपनी फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए उपयोग करते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, किसानों को यह पता लगाने में तीन महीने लग जाते हैं कि उन्होंने जो डीएपी खरीदा है वह असली है या नकली। यदि फसल की पैदावार अच्छी होती है, तो किसान मान लेते हैं कि उन्होंने असली डीएपी खरीदा है। लेकिन जब फसल की पैदावार कम होती है, तब उन्हें पता चलता है कि वे नकली डीएपी के शिकार हो गए हैं। यह स्थिति किसानों के लिए बेहद निराशाजनक है क्योंकि इससे न केवल उनकी मेहनत बर्बाद होती है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है।
किसानों को नहीं है नकली खाद की पहचान
खाद और बीज किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन कई बार किसानों को नकली खाद और बीज बेचकर धोखा दिया जाता है। किसान अक्सर खाद के पैकेट पर लिखे वजन और गुणवत्ता के बारे में अनजान होते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस समस्या पर ध्यान देते हुए नकली खाद और बीज बेचने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं। इन कानूनों के तहत दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में ऐसी कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण इन राज्यों के किसानों को नकली खाद और बीज के कारण फसल खराब होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चावल के लाइव भाव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करे
असली और नकली डीएपी को कैसे पहचानइे ?
कृषि विशेषज्ञ अंशुमान द्विवेदी के अनुसार, डीएपी (डाई अमोनियम फास्फेट) दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली फास्फोरस आधारित खाद है। यह खाद पौधों को आवश्यक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस प्रदान करती है। डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस होता है, जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए बेहद जरूरी हैं। किसानों को अक्सर नकली डीएपी खाद की समस्या का सामना करना पड़ता है। असली और नकली डीएपी की पहचान करने के लिए एक सरल तरीका है कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर मलना। अगर इससे तेज गंध आए जो सूंघना मुश्किल हो, तो यह संकेत है कि डीएपी असली है। नकली डीएपी खाद किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है क्योंकि इससे फसल उत्पादन कम होता है और किसानों की आय प्रभावित होती है। इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। साथ ही, सरकार को भी नकली खाद के उत्पादन और बिक्री पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली खाद उपलब्ध होगी और वे अधिक उत्पादन कर सकेंगे।
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मैं लवकेश कौशिक, भारतीय नौसेना से रिटायर्ड एक नौसैनिक, Mandi Market प्लेटफार्म का संस्थापक हूँ। मैं मूल रूप से हरियाणा के झज्जर जिले का निवासी हूँ। मंडी मार्केट( Mandibhavtoday.net) को मूल रूप से पाठकों को ज्वलंत मुद्दों को ठीक से समझाने और मार्केट और इसके ट्रेंड की जानकारी देने के लिए बनाया गया है। पोर्टल पर दी गई जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त की गई है।